अशफाक कायमखानी, सीकर/जयपुर (राजस्थान), NIT:
सीएए-एनपीआर व एनआरसी के खिलाफ खासतौर पर भारतीय महिलाओं द्वारा विरोध करने के लिये दिल्ली के शाहीनबाग क्षेत्र में चल रहे अनिश्चित कालीन धरने को एक तरफ पचास दिन मुकम्मल होते जाने के साथ ही उसकी मकबूलियत में भी तेजी से इजाफा होता जा रहा है। अब दिल्ली के अतिरिक्त भारत के अन्य हिस्सों के अलावा घूघंट प्रथा वाले राजस्थान प्रदेश में भी महिलाओं ने उक्त एक्ट के विरोध में धरने की शुरुआत करके जगह-जगह शाहीनबाग बना कर दमदार विरोध करना शुरू कर रखा है। जगह जगह बने शाहीनबाग में महिलाओं द्वारा शानदार तकरीरें करके व कन्हैया कुमार स्टाइल में नारे लगा कर अपने शांतिपूर्ण आंदोलन को लगातार आगे बढाकर आजादी के बाद अब तक के हुये आंदोलनों में महिलाओं के सबसे बड़े आंदोलन का रुप दे डाला है।
राजस्थान के कोटा, सीकर, पाली, सवाईमाधोपुर, मंगरोल, व जयपुर सहित जगह-जगह महिलाओं के आजादी के बाद पहली दफा इस तरह घर से बाहर आकर विरोध करने को लोग महिलाओं में शिक्षा के बढ़ते ग्राफ को मान कर चल रहे हैं। शिक्षा पाकर शिक्षित बनीं महिलाओं ने लोकतंत्र को ठीक से समझ कर सीएए को भारतीय संविधान पर हमला बता कर संविधान बचाओ-देश बचाओ थीम के साथ घर के बाहर आकर अपने शहर व कस्बे की एक जगह को चुनकर वहां अनिश्चित कालीन धरने की शूरुआत करके एक तरह से इंकलाब ला दिया है। धरने का पूरी तरह संचालन महिलाओं के हाथों है वहीं धरने में महिलाओं द्वारा देश भक्ति तराने भी गाये जा रहे हैं।
भाजपा को छोड़कर सभी सेक्युलर राजनीतिक दल व अनेक सामाजिक व मानवाधिकार संगठन महिलाओं के उक्त आंदोलन को समर्थन देने धरना स्थल (शाहीनबाग) पर आकर अपनी बात रख रहे हैं। दूसरी तरफ छात्र व युवाओं का आंदोलन को समर्थन काफी हद तक मिलना देखा जा रहा है। कांग्रेस पार्टी वैसे तो सीएए का विरोध कर रही है लेकिन कांग्रेस के वर्तमान विधायक अभी तक शाहीनबाग जाकर मंच से आंदोलन को समर्थन देने से बच रहे हैं। कहीं कहीं कांग्रेस संगठन के जिलाध्यक्ष व वार्ड पार्षद जरुर समर्थन देने को शाहीनबाग आते रहे हैं। सीकर के शाहीनबाग के सातवें दिन कांग्रेस जिलाध्यक्ष पी.एस जाट, महिला कांग्रेस अध्यक्ष पूर्ण कवंर व सभापति जीवण खां सहित कुछ पार्षद आकर आंदोलन को समर्थन दिया। वहीं जयपुर के शाहीनबाग में राजस्थान वक्फ बोर्ड के चेयरमैन व कांग्रेस नेता खानू खान ने आकर समर्थन दिया।
महिलाओं के सीएए के विरोध में शाहीनबाग बनाकर धरना देने के खिलाफ उक्त कानून के खिलाफ जिले व कस्बे स्तर की रैलियों का होने का सिलसिला लगातार जारी है। वही धरना स्थलों पर बैठी महिलाओं के मीडिया से बात करते समय उनके तर्क व जज्बात सुनकर तो लगता है कि महिलाओं की काबलियत को इतने दिन दबाया गया लेकिन अब महिलाओं की काबलियत का लोहा सब मान चुके हैं। राजस्थान में चल रहे अनगिनत शाहीनबाग में मौजूद रहने वाली महिलाओं से उनके द्वारा चलाये जा रहे उक्त अनिश्चितकालीन आंदोलन की समय सीमा के बारे में पूछने पर एक ही जवाब आता है कि जब तक दिल्ली के शाहीनबाग में महिलाओं द्वारा आंदोलन चलाया जायेगा तब तक वो भी अपने आंदोलन को जारी रखे रहेंगी।
कुल मिलाकर यह है कि भारत की केंद्र सरकार को भारतीय महिलाओं द्वारा चलाये जा रहे आंदोलन की आंदोलनरत महिलाओं से उनके स्थल जाकर बात करनी चाहिए। दूसरी तरफ आंदोलनरत महिलाओं के उक्त कानून के वापिस नहीं होने तक ठस से मस नहीं होने की स्थिति बन चुकी है। इसके अलावा कुछ महिलाएं तो इसे महात्मा गांधी व गोडसे की विचारधारा का टकराव बताने से भी पीछे नहीं हट रही हैं। दिल्ली में पहले जामिया के छात्रों के मार्च पर व फिर शाहीनबाग में गोली चलाने की घटनाओं से बैखोफ राजस्थान के शाहीनबाग की आंदोलनरत धरनार्थी महिलाएं कहती हैं कि वो लाठी गोली से डरने वाली नहीं हैं, वो लक्ष्मी बाई व सावित्री बाई फूले सहित अनगिनत महिलाओं का इतिहास पढ़ चुकी हैं वो आखिरकार लोकतांत्रिक तरीकों से सरकार को झूकाने पर मजबूर करके दम लेंगी।
Discover more from New India Times
Subscribe to get the latest posts to your email.