गुलशन परूथी, ग्वालियर (मप्र), NIT:

जेल पाप भोगने का स्थल न होकर अपराध के प्रायश्चित किए जाने का स्थान है, यहां बंदी दृढ़ इच्छाशक्ति बनाए रखते हुए अपराध का प्रायश्चित कर सकते हैं। कानून की नजर में कोई भी व्यक्ति जन्मजात अपराधी नहीं होता। अपराध के समय की परिस्थितियां, क्रोध,संगत, नशा आदि भी इसके कारण हो सकते हैं। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 में उपबंधित प्लीबार्गेनिंग 7 वर्ष से कम सजा से दंडनीय मामलों (आपवादिक प्रकरणों के अलावा) में अपराध का प्रायश्चित किए जाने का एक अच्छा विकल्प है।

जिसके माध्यम से अपराधी की सजा को कम किया जा सकता है। हर बंदी को विचारण के दौरान अपना पक्ष न्यायालय के समक्ष अधिवक्ता के माध्यम से रखे जाने का अधिकार होता है। यह बात प्रधान जिला न्यायाधीश श्री पी सी गुप्ता के आदेश पर सेन्ट्रल जेल ग्वालियर में आयोजित विधिक साक्षरता शिविर में श्री आशीष दवंडे जिला न्यायाधीश एवं सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ग्वालियर ने मुख्य अतिथि के रूप में कही।

कार्यक्रम में जिला विधिक सहायता अधिकारी श्री दीपक शर्मा ने विचाराधीन बंदियों के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी किए गए निर्देशों की जानकारी के साथ प्लीबार्गेंनिग (सौदा अभिवाक्) की जानकारी भी प्रदान दी।

इस अवसर पर कार्यक्रम में डिप्टी चीफ लीगल एड डिफेंस काउंसिल श्री प्रवीण मित्तल ने बंदियों को उपलब्ध निःशुल्क एवं सक्षम विधिक सहायता के बारे में अवगत कराते हुए लीगल एड डिफेंस काउंसिल सिस्टम के संबध में विस्तार से जानकारी प्रदान की।
कार्यक्रम का संचालन जिला विधिक सहायता अधिकारी श्री दीपक शर्मा ने एवं आभार प्रदर्शन सहायक जेल अधीक्षक श्री प्रवीण त्रिपाठी ने किया।इस अवसर पर जेल अधीक्षक श्री विदित सिरवैया,वरिष्ठ जेल उप अधीक्षक श्री राम गोपाल पाल,सहायक जेल अधीक्षक श्री विपिन दंडोतिया सहित बंदी उपस्थित रहे।
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