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ईद-उल-फितर मज़हब वतन और अवाम की भलाई के लिये काम और त्याग का पैग़ाम, वाह रे कोरोना तेरा कमाल शीरख़ूरमा करता रहा इंतज़ार, कोई न आया अबकी बार