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समर्थ गुरु ही सच्चा तारणहार होता है, मुनिराज श्री कलापूर्ण विजयजी आचार्य श्री स्थलिभद्र सूरी के 89 वां जन्म दिवस पर गुनानुवाद सभा का हुआ आयोजन