आयशा मकरानी का दावा निकला फ़र्ज़ी: यूपीएससी में 184वीं रैंक का दावा करने वाली आयशा मकरानी प्रारंभिक परिक्षा भी नहीं कर पाई है पास | New India Times

अबरार अहमद खान/मुकीज खान, भोपाल (मप्र), NIT:

आयशा मकरानी का दावा निकला फ़र्ज़ी: यूपीएससी में 184वीं रैंक का दावा करने वाली आयशा मकरानी प्रारंभिक परिक्षा भी नहीं कर पाई है पास | New India Times

मध्य प्रदेश के आलीराजपुर ज़िले से यूपीएससी में 184वीं रैंक हासिल करने का दावा करने वाली आयशा मकरानी प्रारंभिक परिक्षा भी नहीं पास कर पाई है।

आयशा मकरानी का दावा निकला फ़र्ज़ी: यूपीएससी में 184वीं रैंक का दावा करने वाली आयशा मकरानी प्रारंभिक परिक्षा भी नहीं कर पाई है पास | New India Times

यूपीएससी ने प्रेस नोट जारी करते हुऐ कहा है कि उसका वास्तविक रोल नंबर 7805064 है। उसने 5 जून, 2022 को आयोजित प्रारंभिक परीक्षा में भाग लिया और सामान्य अध्ययन पेपर-1 में केवल 22.22 अंक और सामान्य अध्ययन पेपर- II में 21.09 अंक प्राप्त किए। परीक्षा नियमों की आवश्यकता के अनुसार, उन्हें पेपर- II में कम से कम 66 अंक प्राप्त करने की आवश्यकता थी। वह न केवल पेपर-II में क्वालीफाई करने में विफल रही है, बल्कि पेपर-1 के कट-ऑफ अंकों की तुलना में बहुत कम अंक प्राप्त किए हैं, जो कि वर्ष 2022 की प्रारंभिक परीक्षा के लिए अनारक्षित श्रेणी के लिए 88.22 थे। इसलिए, सुश्री आयशा मकरानी विफल रही हैं। प्रारंभिक परीक्षा के चरण में ही और परीक्षा के अगले चरणों में आगे नहीं बढ़ सके। दूसरी ओर, सुश्री आयशा फातिमा पुत्री श्री नज़ीरुद्दीन, जिनका रोल नंबर 7811744 है, वास्तविक उम्मीदवार हैं, उन्हों ने यूपीएससी में सिविल सेवा परीक्षा, 2022 के अंतिम परिणाम में 184वीं रैंक हासिल करने में सफलता हासिल की है।

आयशा मकरानी का दावा निकला फ़र्ज़ी: यूपीएससी में 184वीं रैंक का दावा करने वाली आयशा मकरानी प्रारंभिक परिक्षा भी नहीं कर पाई है पास | New India Times

यूपीएससी ने जारी बयान में कहा है कि उसका दावा झूठा है। उसने अपने दावे को साबित करने के लिए अपने पक्ष में जाली दस्तावेज बनाए हैं.” बयान में कहा गया कि ऐसा करके, मकरानी ने केंद्र सरकार (कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग) के अधिसूचित सिविल सेवा परीक्षा, 2022 के नियमों के प्रावधानों का उल्लंघन किया है. इसलिए परीक्षा नियमों के प्रावधानों के अनुसार, यूपीएससी उसके के खिलाफ धोखाधड़ी करने के लिए आपराधिक और अनुशासनात्मक दंडात्मक कार्रवाई पर विचार कर रहा है।यूपीएससी ने मीडिया पर पर भी सवाल उठाते हुऐ कहा है कि कई अन्य मीडिया चैनल और सोशल मीडिया पोर्टल ने भी बिना किसी सत्यापन के इस खबर को प्रसारित किया। मीडिया से यह अपेक्षा की जाती है कि वे अपने प्रिंट/चैनल के जरिए से ऐसे फर्जी दावों के समाचार प्रसारित/प्रकाशित करने से पहले यूपीएससी से ऐसे दावों की सत्यता की पुष्टि करें।


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