चांद के दीदार के साथ ही माहे रमजान का हुआ आगाज, मस्जिदों में बढ़ी रौनक, आज पूरा हुआ पहला रोज़ा | New India Times

रहीम शेरानी हिंदुस्तानी, ब्यूरो चीफ, झाबुआ (मप्र), NIT:

चांद के दीदार के साथ ही माहे रमजान का हुआ आगाज, मस्जिदों में बढ़ी रौनक, आज पूरा हुआ पहला रोज़ा | New India Times

रहमतों और बरकतों वाले महीना माहे रमजान शुरू होते ही मुस्लिम बस्तियों एवं मस्जिदों में रौनक बढ़ गई है। मुस्लिम समाजजन 15 दिन पूर्व से ही माहे रमजान की तैयारियों में जुट गए थे। घरों की साफ सफाई के साथ मस्जिदों में भी साफ सफाई के साथ विद्युत सजावट की गई। अब रमजान के पूरे एक माह तक मुस्लिम समाज के लोग रोज़ा रखेंगे। इस्लामी माईने के अनुसार माहे रमजान अन्य महीनों से बेहतर व ज्यादा अफजल है, यह महीना बरकतों वाला महीना है। इस माह में की गई खुदा की इबादत बाकी महीनों से अफजल है इसी वजह से मस्जिदों में नमाज पढ़ने वालों की तादाद बढ़ जाती है। हर शख्स अपने रब को राजी करने के लिए रोज़ा रख कुरान की तिलावत के साथ इबादत करने में मशगूल रहते हैं। रमजान के आगाज के साथ ही मस्जिदों में पढ़ी जाने वाली विशेष नमाज़ तरावीह का सिलसिला भी शुरु हो गया। नमाज के समय पढ़ी जाने वाली इस नमाज की बड़ी फजीलत है। मुस्लिम समाज जनों ने अपने रब को राजी करने के लिए सेहरी कर शुक्रवार को पहला रोजा रखा। रोजे रखने का सिलसिला लगातार 30 दिनों तक चलेगा। माहे रमजान प्रेम मोहब्बत ओर भाईचारे के साथ-साथ अल्लाह की इबादत का एक खास महीना है। इस माह में सदका जकात अदा करते हैं। इस्लामी धर्म के मानने वाले हर मुस्लिम भाई बहनों बच्चे बुजुर्गों को माहे रमजान का बेसब्री से इंतजार करते है जिस तरह हर मुस्लिम शख्स को नमाज पढ़ना फर्ज है उसी तरह रोजे रखना भी खुदा ने फर्ज करार दिया है। अल्लाह ने कुरान शरीफ में इस महीने का जिक्र किया है इस पाक महीने को रहमतों वह बरकतों का महीना कहा जाता है। प्यास की शिद्दत भूख की तड़प गर्मी की तपिश होने के बाद भी रोजेदार खुदा का शुक्रिया अदा करता है रोजेदार के सामने दुनिया की सारी नेमतें रखी हो लेकिन वह खुदा की इजाजत व राजा के बिना उसे हाथ तक नहीं लगाता यह सभी चीजें एक रोजगार को खुदा के नजदीक लाती हैं और रूह को पाक करके अल्लाह के नजदीक जाने का मौका देने वाला माहे रमजान का मुकद्दस महीना हर शख्स को जिंदगी की सही राह पर चलने का पैगाम देता है। मुस्लिम समाज जन पूरे महा रोजे नमाज तिलावत में मशगूल रहेंगे। 30 रोजों के बाद चांद के दीदार कर ईद उल फितर (मीठी ईद) मनाई जाएगी।


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