मो. मुजम्मिल, पातालकोट/छिंदवाड़ा (मप्र), NIT:
छिंदवाड़ा जिले के पातालकोट को अब विश्व स्तर पर पहचाना जाने लगा है। वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड में पातालकोट का नाम दर्ज किया गया है। जिसमें एडवेंचर प्लेस लैंड ऑफ गोंडवाना का खिताब दिया गया है। यह ऐतिहासिक कार्यक्रम पातालकोट में आयोजित हुआ जिसमें वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड लंदन यूनाइटेड किंगडम संस्था द्वारा पातालकोट में एसडीएम मधुवंत राव धुर्वे को सर्टिफिकेट दिया गया है। इस संस्था द्वारा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अनोखे और अजूबे कारनामे तथा स्थानों को वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज करती है। इसी क्रम में वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड के यूरोप हेड स्विजरलैंड निवासी विल्हेम जैमलर और उनकी पत्नी पूनम जैमलर, वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड के सीईओ संतोष शुक्ला के साथ तामिया के पातालकोट आये और एसडीएम मधुवंत राव धुर्वे सहित अन्य प्रशासनिक अधिकारियों और पातालकोट की ग्राम पंचायत रातेड़ ग्राम पंचायत के सरपंच को इस संबंध में प्रमाण पत्र जारी किया।
रंग लाई मेहनत
पातालकोट को वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज कराने के लिए छिंदवाड़ा निवासी वर्तमान सिवनी डीएसपी प्रदीप वाल्मीकि, शिक्षाविद मोहखेड़ बीएसी अरविंद भट्ट और रविकांत अहिरवार के द्वारा विशेष प्रयास किया गया था। उनके द्वारा ही पातालकोट के संबंध में वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड में जानकारी भेजी गई थी। जिसके बाद संबंधित टीम के द्वारा पातालकोट में आकर भौतिक सत्यापन किया गया और इसे विश्व के अनोखे स्थान होने का कीर्तिमान दिया गया है।
आदिवासी सभ्यता और संस्कृति से रूबरू हुए विदेशी अतिथि
पातालकोट की आदिवासी सभ्यता और संस्कृति से वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड के अधिकारी रुबरु हुए पातालकोट में देसी आदिवासी सभ्यता और संस्कृति को लेकर कार्यक्रम आयोजित किए गए। इसके साथ ही इन विदेशी अतिथियों को पातालकोट का आदिवासी व्यंजन खाने में परोसा गया था। आदिवासी बच्चों के पारंपरिक परिधान और नृत्य देखकर इन विदेशी मेहमानों के द्वारा लगभग 5 ग्रुपों को 25 हजार रूपये की आर्थिक सहायता दी गई है। पातालकोट के स्कूलों में विदेशी मेहमानों ने कॉपी किताब और अन्य शिक्षण सामग्री का वितरण भी किया है।
पातालकोट की विशेषताएं
तामिया तहसील मुख्यालय से कुछ ही दूरी पर सतपुड़ा के घने जंगलों के बीच से होकर पातालकोट जाना होता है। यहां समुद्र तल से लगभग 3000 फीट खाई में बारह गांव बसे हुए हैं। जिनमें भारिया, बैंगा आदिवासी समाज बाहुल्य संख्या में निवासरत हैं। जो वन संपदा और खेती करके अपनी जीविका चलाते हैं। एक समय था जब यहां के लोगों को सिर्फ नमक के लिए ऊंचाई पर आना पड़ता था। सूर्य की रोशनी भी बड़ी मुश्किल से इन गांवों में पहुंच पाती है। बारिश और ठंड में यहां का खुशनुमा मौसम देखने लोग आते हैं। लेकिन आज गांव में सड़क में बिजली पानी की बुनियादी सुविधाएं पहुंच गई हैं। जिससे ग्रामीणों की जीविका में बदलाव आया है। पातालकोट में विभिन्न दुर्लभ जड़ी बूटियां पाई जाती हैं। आयुर्वेदिक पद्धति से उपचार में काम आती हैं वैध इन जड़ी-बूटियों को संभाल कर रखते हैं और असाध्य रोगों पर इसका इस्तेमाल कर निरोगी करने में कामयाब होते हैं।
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