शेखावाटी का मुस्लिम समुदाय किधर जा रहा है? एजुकेशन पर खर्च करने के बजाए रस्म रिवाज व फिजूलखर्ची में दिख रहा है मस्त... | New India Times

अशफाक कायमखानी, सीकर/जयपुर (राजस्थान), NIT:

शेखावाटी का मुस्लिम समुदाय किधर जा रहा है? एजुकेशन पर खर्च करने के बजाए रस्म रिवाज व फिजूलखर्ची में दिख रहा है मस्त... | New India Times

हालांकि ऐसे हालात मुस्लिम समुदाय के भारत भर में हो सकते हैं लेकिन सीकर, चूरु व झूंझुनू जिलों के सामूहिक क्षेत्र शेखावाटी जनपद में शादी-मौत मरी व अन्य कुछ अवसरों के रिवाजों के कार्यक्रमों में मुस्लिम समुदाय में अनेक जगह अजीब हालात देखने को मिलने के बाद लगा कि यही शिद्दत अगर ऐजुकेशन को लेकर होती तो हालात आज काफी बदले बदले नजर आते।
समुदाय में शादी में निकाह को छोड़कर बाकी अनेक सामाजिक रिवाजों पर फिजूल खर्ची जमकर की जा रही है। पिछले महिने देखने में आया कि एक गांव में अचानक बने एक सेठ ने अपनी लड़कियों की शादी आज के कथित चलन अनुसार बडे धूमधाम से की। शादी के लिये बनाये पंडाल (टेंट) का खर्चा नौ लाख से अधिक का बताते हैं। इसके अलावा विशाल सामूहिक भोज व अन्य खर्चे सुनकर हतप्रभ रह जायेंगे। इसी शादी में आये दुल्हे राजा ऐजुकेशन के नाम पर काफी कमजोर बताये गये हैं। यही पैसा उन बेटियों व होने वाले दामादों को आला तालीम दिलवाने में खर्च होता तो नस्लों तक बदलाव देखने को मिलता। शेखावाटी जनपद के ग्रामीण परिवेश में रहने वाले मुस्लिमों में शादी के पहले लड़की पक्ष की तरफ से लड़का पक्ष के यहां शादी की तारीख व समय की तफ्सील भेजने के लिये लगन (गांठ) की रस्म होती है। पहले लगन लेकर बिरादरी वाईज होने वाला नाई लेकर जाता था। इस अवसर पर लेनदेन बढा तो फिर जवाई-बहनोई लगन लेकर जाने लगे। अब तो महिलाओं को सम्मान भी इस अवसर पर मिलने लगा है। पिछले दिनों पुरषों के बिना केवल महिलाओं द्वारा लगन ले जाने को भी देखने को मिला।
सीकर शहर में कुछ मुस्लिम मोहल्ले में लोगों ने शादी में लड़की के घर बारात का खाना बंद किया, ताकि फिजुलखर्ची रुक पाये लेकिन शादी के पहली रात (रातीजगा) के दिन कंगना के नाम पर लड़की पक्ष बडा खाना करने लगे हैं। इसके अलावा इन दिनों एक नया रिवाज और चल पड़ा है जिसमें किसी के घर मौत होने पर तीन दिन का शोक रखते हैं। उस तीन दिन शौक में मृतक के घर खाना ना बनकर उनके घर के बेटों के ससूराल पक्ष द्वारा नम्बर वाईज खाना हर पहर का आने का चलन पड़ गया है। इसके साथ ही कुछ जगह तो कफन-दफन का खर्च भी मृतक के बेटे के ससूराल पक्ष द्वारा उठाने का रिवाज भी देखने को मिला है।
कुल मिलाकर यह है कि यह सच है कि लड़कों के मुकाबले शेखावाटी के मुस्लिम समुदाय में खासतौर पर गलर्स ऐजुकेशन तेजी से बढ रहा है। कुछ परिवार किसी तरह की फिजूलखर्ची से बचते हुये अपना धन बच्चों को आला तालीम दिलवाने में खर्च करके बदलाव लाने की कोशिश भी कर रहे हैं लेकिन बहुतायत में विभिन्न तरह के नये नये रिवाज बनाकर एवं शादी में हजारों लोगो का भोज का इंतजाम, आतिशबाजी, डीजे व विभिन्न तरह की फोटोग्राफी-वीडियो रिकार्डिंग-डायरेक्ट लाईव करने पर फिजूलखर्ची का रिकॉर्ड तोड़ रहे हैं। इस तरह की शादियों में तथाकथित धार्मिक विद्वानों की भी बडी तादाद शामिल होती है। शादियों में अनेक जगह लड़की पक्ष द्वारा पांच-दस हजार लोगों के लिये बेहतरीन पकवानों के खाने का इंतजाम व कभी कभी कुछ लोग अपनी बेटियों की विदाई हेलीकॉप्टर से भी करते नजर आये हैं।


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