वी.के. त्रिवेदी, ब्यूरो चीफ, लखीमपुर खीरी (यूपी), NIT:
कस्बा मैलानी के पलिया बाईपास रोड स्थित आरा मशीन पर बीती 14 अगस्त को खुटार रेंज के वन दरोगा एवं रेंजर द्वारा साजिशन लकड़ी भिजवा कर छापा डलवाने के मामले में जहां वन दरोगा को उच्च अधिकारियों द्वारा सस्पेंड कर दिया गया वहीं उक्त घटना में रेंजर डीएस यादव का नाम आने पर उसके द्वारा आनन फानन चार्ज देने के 9 दिनों बाद भी रेंजर डीएस यादव खुटार रेंजर में कुंडली मारकर बैठे हैं। तत्कालीन रेंजर को बचाने के लिए वन विभाग का पूरा अमला लगा हुआ है। सबूतों को समाप्त करने के उद्देश्य से रेंज में लगे सीसी कैमरों को रेंजर डीएस यादव द्वारा गुपचुप तरीके से उतरवा लिया गया है जो की जाँच में मुख्य भूमिका निभा सकते हैं। जानकारी होने के पश्चात भी वन विभाग के उच्च अधिकारी मौन धारण किए हुए व उच्च अधिकारियों द्वारा रेंजर को साक्ष्य मिटाने के लिए भरपूर समय दिया जा रहा है एवं मिल रहे सबूतों को निरंतर अनदेखा किया जा रहा है। मैलानी के पलिया बाईपास रोड स्थित गोयल टिंबर के यहां शाहजहांपुर वन विभाग की सचल दल की टीम ने मुखबिर की सूचना पर 14 अगस्त को छापा मारकर 94 बरगा हाथ से चिरी हुई लकड़ी बरामद की थी। व्यापारी द्वारका प्रसाद गोयल द्वारा बताया गया था कि उक्त लकड़ी खुटार रेंज के वन दरोगा अशोक चतुर्वेदी द्वारा उनको फंसाने के उद्देश से खुटार रेंज कार्यालय से भेजी गई थी जिसमें रेंजर सहित कई और लोगों के शामिल होने की पूरी संभावना है।व्यापारी की दी हुई दलील से संतुष्ट ना होने के कारण वन विभाग के अधिकारियों द्वारा आरा मशीन को सील कर दिया गया था. मौके पर पहुंचे व्यापार मंडल पदाधिकारियों द्वारा रेंजर डीएस यादव के आवास में अवैध लकड़ी होने की बात कही गई थी मगर सचल दल टीम द्वारा देर रात होने का हवाला देकर वहां पर छापा नहीं मारा गया जिस कारण मौका मिलते ही रेंजर डीएस यादव द्वारा रात में ही वहां से अवैध लकड़ी को हटा दिया गया। अगले दिन 15 अगस्त को जांच करने पहुंचे शाहजहांपुर वन विभाग के पुवायां एसडीओ दिलीप श्रीवास्तव को जांच के दौरान खुटार रेंज कार्यालय में अवैध लकड़ी तो नहीं मिली मगर रेंजर आवास परिसर में लाखों रुपए की कीमत का नया फर्नीचर मिला जिसके कागज मौके पर रेंजर नहीं दिखा पाए। रेंज के एक कर्मचारी ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि रेंजर डीएस यादव जब तक रेंज में मौजूद रहेंगे जांच निष्पक्ष रुप से नहीं हो पाएगी और उनके द्वारा जांच निरंतर प्रभावित की जा रही है। रेंजर डीएस यादव ने रेंज के एक कर्मचारी की मदद से आवास में रखे लाखों रुपए के फर्नीचर के फर्जी बिल भी बनवा कर जांच अधिकारी को दे दिए हैं जो कि पूर्णतयः फर्जी है.
आरा मशीन पर मिली लकड़ी की जांच कर रहे अधिकारियों ने अभी तक खुटार रेंज से आरा मशीन पर लकड़ी आने के सीसी कैमरे में कैद वीडियो में जो सबूत मिले हैं लगातार उनकी अनदेखी की जा रही है सारे सबूत तत्कालीन रेंजर डीएस यादव के द्वारा व्यापारी को फंसाने में संलिप्तता की ओर इशारा कर रहे हैं, 10 अगस्त को रेंजर डीएस यादव का तबादला गैर जनपद में होने के बाद भी चार्ज ना देना एवं 14 अगस्त को टिंबर व्यापारी को फंसाने के बाद तत्काल 15 अगस्त को चार्ज देना एवं चार्ज देने के 10 दिनों के बाद तक भी रेंज में डेरा जमाए रहना उसकी संलिप्तता को दर्शाता है। उक्त घटना के संबंध में वन मंत्री स्वतंत्र प्रभार अरुण सक्सेना, कंजरवेटर विजय सिंह सहित समस्त उच्च अधिकारियों के संज्ञान में होने के बाद भी अब तक मिले सबूतों में दोषी पाये जा रहे रेंजर डीएस यादव एवं उनके सहयोगी कर्मचारियों के विरुद्ध कोई कार्यवाही ना करना वन विभाग के विरुद्ध आमजन में रोष उत्पन्न कर रहा है।
ज्ञात रहे कि रेंजर डीएस यादव की तैनाती मैलानी एवं खुटार रेंज में रहने के दौरान हमेशा विवादित रही है। मैलानी रेंज में लगभग 5 वर्षों की तैनाती के दौरान 19 अक्टूबर 2018 को हुई एक कर्मचारी की हत्या की सूचना के बाद भी घटनास्थल पर देर से पहुंचना एवं लापरवाही सामने आने पर पीसीसीएफ एसके उपाध्याय ने रेंजर डीएस यादव को 30 अक्टूबर 2018 में निलंबित कर दिया था, लगभग 2 वर्षों तक निलंबित रहने के बाद डी एस यादव को पुनः खुटार रेंज में तैनाती मिल गई और जंगल कटवाने एवं लोगों को फंसाने का पुराना खेल एक बार फिर से चालू हो गया।
प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) ललित वर्मा ने बताया कि पूरा मामला उनके संज्ञान में है जांच की जा रही है, वन दारोगा अशोक चतुर्वेदी को सस्पेंड किया जा चुका है और जो भी दोषी कर्मचारी मिलेंगे उनके विरुद्ध भी कारवाई की जाएगी।
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