रहीम शेरानी, ब्यूरो चीफ, झाबुआ (मप्र), NIT:
झाबुआ जिले के मेघनगर दाऊदी बोहरा समाज के मोहर्रम पर इन दिनों मे हमारे लब पर सुबह हो तो हुसैन, दोपहर हो तो हुसैन, रात हो तो हुसैन सिर्फ हुसैन का नाम हों। हुसैन की मुसीबत और तीन दिन की भूख और प्यास को याद कर आंसु निकल ही जाते है।दुनिया मे हुसैन का गम ऐसा गम है जो बुलंदियों पर ले जाता है। तुम हुसैन पर खूब रोना और मातम कर लेना हुसैन की मुसीबत और प्यास को याद कर मातम करना। मोहर्रम की दूसरी तारीख को इमाम हुसैन मदीना के मुसाफिर बनकर कर्बला पहुंचे थे। हुसैन ने मदीना से कर्बला का आखिरी सफर पूरा किया। उक्त उदगार मोहर्रम की वाअज मे मुल्ला ताहैर भाई शेख इलियास भाई हामीद ने व्यक्त किए। उन्होंने कहां कि दाई का शाब्दिक अर्थ दुआ करनार होता है।
52 वे धर्मगुरु बुरहानुद्दीन मौला हर जगह और हर घडी हमारे लिए दुआ करते थे। और आपकी यह दुआ तो आज भी हम सबको याद है कि खुदा तुम सबको आबाद और शाद रखे ,तुम्हारे व्यापार और रोजगार मे बरकत अता करे और एक मौला हुसैन के सिवा कोई गम ना दिखाए।
आज तुम सब बुरहानुद्दीन मौला की दुआ से आबाद शाद हो । खुदा तुम्हारे व्यापार और रोजगार मे बरकत अता करें तुम्हारी हर उम्मीद पुरी करे मौला हुसैन के सिवाय कोई गम ना दिखाए।
उन्होने कहां कि बुरहानुद्दीन मौला ने पचास साल तक मोमीनीन को हुसैन के गम मे आंसू बहाना और मातम करना सिखाया और आज 53 वे दाई सैय्यदना आलीकदर मुफद्दल सैफुद्दीन साहब (तउस) मौला हुसैन का मातम करा रहे है और हमारे हक़ मे दुआ कर रहे है।सैय्यदना हातिम फरमाते थे की अमीरुल मोमीनीन से रिवायत है की जामे मस्जिद मे आना जाना करें। उससें आठ फायदे है। जैसे ऐसे भाई मिले की अलग अलग फायदा मिले इंसान को जहां ज्यादा फायदा मिलता है वहा इनवेस्टमेंट करता है। वहां वो अपना शोक ज्यादा करता है। व्यापार, स्टडीज, आईटी जो केरियर को आगे बढ़ाने में मदद करता है।
इंसान अपनी अक्ल से अंदाजा करता है और रिस्क लेता है कभी फायदा मिले और कभी ना भी मिले। इंसान उतना ही देख पाता है लेकिन नूरानी नज़र कई सालों तक का भी देख सकती है। आलीकदर मौला फरमाते है की इमाम हुसैन नी जिक्र नी ताजगी हमेशा बाकी रहे और हुसैन का गम हमारी सत्तर पीढ़ी तक बाकी रहे। ज्ञात रहे की इस वर्ष मोहरम 1444 मेघनगर में वाअज मुबारक के लिए सैयदना साहब की रजा से मुल्ला ताहैर भाई शेख इलियास भाई हामीद आए हुए हैं जो की दाऊदी बौहरा समाज की जेनी मस्जिद मैं वाआज फरमा रहे हैं। जिसमें खासकर रिजक व सबर पर मोमिनो को हिदायत दे रहे है। और इमाम हुसैन का गम व मातम करवा रहे हैं। साथ ही नियाज ए हुसैन 10 दिन भोजन भी दोनों टाइम सामूहिक रूप से जमात खाने में हो रहा है। इस वर्ष नियाज ए हुसैन की खिदमत इस वर्ष शेख सफदर भाई आदमअली कल्याणपुरा वाला (थांदला) को नसीब हुई है । वाअज मुबारक व रात की मजलिस ए हुसैन में जाकेरिन की खिदमत मोहम्मद भाई लिमखेड़ा, अब्दुलतय्यब भाई कर रहे हैं साथ ही युसूफ भाई, फखरी भाई, अली अकबर भाई, मोहम्मद भाई , ताहा भाई झुजर भाई सहीत सभी समाज जन व्यवस्था को सुचारू रूप से अंजाम दे रहे हैं।
उक्त जानकारी दाऊदी बोहरा समाज के वालीमुल्ला (अध्यक्ष) अली असगर बोहरा द्वारा दी गई है.