नरेंद्र कुमार, जामनेर/जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:
आज जामनेर नगर परिषद की ओर से शहर का कच्चा अतिक्रमण तोड़ा और निकाला गया. नगर परिषद द्वारा की गई अपील पर मुख्य सड़क के किनारे रचेबसे ठेले गरीबों ने कार्रवाई के डर से एक दिन पहले ही हटा लिए थे. मानसून में इस प्रकार से अतिक्रमण निकालने वाली पहली संस्था के रूप में जामनेर नगर परिषद का गौरव किया जा सकता है जो होना भी चाहिए आखिर विकास के लिए कुछ भी करना जायज जो ठहराया जा चुका है. विदित हो कि कुछ दिन पहले गांधी चौक से जूना बोदवड सड़क के जकात नाके तक एक करोड़ रुपये की लागत से प्रस्तावित कांक्रीट सड़क का भूमिपूजन किया गया था. जानकारों की मानें तो इसी सड़क के काम को पूरा कराने के लिए अवरोध बने अतिक्रमण को हटाने हेतु बुलडोजर का सहारा लिया गया है. पूरे शहर का अतिक्रमण हटाकर प्रशासन ने सबका साथ सबको न्याय थीम पर सामाजिक संतुलन बनाने की कोशिश की. इस काम के ठेके की पर्ची किसी हार्दिक पटेल के नाम से काटी गई है लेकिन काम लोकल ठेकेदार करने वाला है. 2004 मे सीमेंट से बने इस सड़क को उखाड़कर डामर से बनाया गया उसके बाद अब फिर इसे उखाड़कर सीमेंट का बनाया जाना है यानी 18 साल में इस 500 मीटर लंबी सड़क पर तीन से पांच करोड़ रुपयो से अधिक का सरकारी फंड खर्च किया गया. यहाँ गुणी टैक्स पेयर्स जनता से अनुरोध है कि सड़क की गुणवत्ता के पैमाने को लेकर कोई भी वोटर अपने इलाके के नगरसेवकों से सवाल जवाब न करे. उक्त रूप से कच्चे अतिक्रमण को हटाने के बाद अब 400 परिवार फिर से बेरोजगारी की मार झेलने को मजबूर हैं.
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