साबिर खान, मीरा-भाईंदर/मुंबई (महाराष्ट्र), NIT:
मीरा-भाईंदर महानगरपालिका के ठेकेदार द्वारा मजदूरों को मिनीमम वेजेस एक्ट के तहत न्युनतम वेतन नहीं दिये जाने व मजदूरों के प्रोवीडंट फंड, बीमा व ईएसआईसी नहीं भरने वाले ठेकेदार पर कानूनी कार्रवाई करने के आदेश महाराष्ट्र राज्य के कामगार मंत्री हसन मुश्रिफ ने कामगार आयुक्त को दिये हैं जिससे मीरा भाईंदर महानगरपालिका में कामगारों को नियमों के तहत वेतन व अन्य सुविधायें न देने वाले ठेकेदारों में घबराहट फैली हुई है। महाराष्ट्र राज्य के पूर्व राज्यमंत्री दर्जा प्राप्त मिनिमम वेजेस बोर्ड के चेयरमैन व मीरा-भाईंदर मनपा के पूर्व विरोधी पक्ष नेता डॉ आसिफ शेख ने कामगार मंत्री हसन मुश्रीफ से मुलाकत कर बताया कि मीरा भाईंदर मनपा ने शौचालय की प्रतिदिन साफसफाई व मरम्मत करने का 18 करोड़ रुपये का ठेका मे. शाईन मेटेनेन्स सर्विसेस नामक ठेकेदार को दिया है लेकिन यह ठेकेदार मजदूरों को मिनिमम वेजेस कानून के मुताबिक समय पर वेतन नहीं दे रहा है और ना ही मजदूरों के प्रोविडंट फंड, बीमा व ईएसआयसी के लाखों रूपये भी सरकारी खातों में जमा कर रहा है। जिससे गरीब मजदूरों को काफी परेशानी व मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है। मीरा-भाईंदर मनपा के पदाधिकारी व अधिकारीयों को ठेकेदार आर्थिक रूप से मॅनेज करते हुए हर महिने लाखो रूपयों का बिल अच्छी तरह से सफाई किये बिना ही ले रहा है। कामगार मंत्री को दिये लिखित शिकायत में डाॅ आसिफ शेख ने कहा है कि मिनिमम वेजेस ऐक्ट के हिसाब से मनपा ठेकेदार को एक मजदूर के लिए प्रतिदिन 1046/- रूपये दे रही है लेकिन ठेकेदार प्रतिदिन के बजाय महिने मे सिर्फ पांच हजार रूपये दे रहा है जबकि उसे मजदुरों को हर महिने पचीस से तीस हजार देने चाहिए। मजदुरों द्वारा इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने पर या शिकायतें करने पर ठेकेदार उनको तीन चार महिने पगार नहीं देता है और काम से निकाल देता है। ठेकेदार को मनपा अधिकारी व पदाधिकारियों का आशिर्वाद होने की वजह से मनपा में खुलेआम भ्रष्टाचार फैला हुआ है। गौरतलब है कि मीरा भाईंदर के सार्वजनिक शौचालय को ठेकेदार प्रतिदिन साफ नहीं करता है और ना ही शौचालय की मरम्मत ठीक तरह से कर रहा है। सप्ताह में सिर्फ एक दो बार ही बिल निकालने के वक्त अधिकारीयों को दिखाने के लिए साफ सफाई ठेकेदार करता है जबकि अधिकतर झुग्गी झोपडपट्टीयों के शौचालयों में बदबु और गंदगी फैली रहती है और शौचालय के लाईट पानी के कनेक्शन दरवाजे खिडकीयां टूटीफुटी हालत में हैं तो कहीं पर शौचालय में सिमेंट का उपरी स्लॅब भी गिरा रहा है। डॉ आसिफ शेख ने बताया कि सालाना 18 करोड़ का शौचालय सफाई का ठेका होने के बावजुद भी ना तो शौचालय की प्रतिदिन साफसफाई व मरम्मत ठीक से हो रही है और ना ही मजदूरों को मिनिमम वेजेस कानुन की मुताबिक प्रतिमाह 25 से 30 हजार व अन्य सुविधायें मिल रही हैं। ठेकेदार के खिलाफ कई लोगों व जनप्रतिनिधि, नगरसेवकों द्वारा मनपा आयुक्त से शिकायतें करने के बावजूद भी ठेकेदार पर कोई कारवाई नहीं हुई है और ना ही उसे ब्लॅक लिस्ट में डाला गया। अब सीधे कामगार मंत्री द्वारा कामगार आयुक्त को ठेकेदार पर कारवाई करने के आदेश दिये जाने से ठेकेदार पर गाज गिरने की संभावना जताई जा रही है जिससे कामगार व मजदूरों को न्याय मिलेगा और मनपा में चल रहे भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा।
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