राकेश यादव, देवरी/सागर (मप्र), NIT:
मध्य प्रदेश के सागर जिले की देवरी विधानसभा क्षेत्र के गौरझामर खामखेड़ा का रहने वाले एक युवक की करीब 20 सालों बाद वतन वापसी होने जा रही है. 23 साल पहले घर से लापता हुए गौरझामर का युवक पाकिस्तान की जेल से सोमवार को रिहा होकर वतन वापस लौटेंगे. युवक के घर लौटने पर परिवार के लोगों में खुशी है. युवक को लेने के लिए परिवार और पुलिस के लोग अमृतसर की अटारी बॉर्डर पहुंचेंगे.
देवरी विधानसभा क्षेत्र के गौरझामर थाना क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम घोसी पट्टी गाँव से करीब 23 साल पहले प्रहलाद घर से लापता हो गया था जो कि मानसिक रूप से कमजोर था. प्रहलाद सिंह की पाकिस्तान की जेल से सोमवार को रिहा होकर वतन वापस लौट रहे हैं. प्रहलाद सोमवार को अमृतसर पहुंचेंगे. प्रह्लाद के लिए पुलिस और परिवार के लोग लेने के लिए अमृतसर जाएंगे. 1998 में घर से लापता हुए प्रहलाद की परिवार वालों ने तलाश की लेकिन नहीं मिले. इस बीच वह पाकिस्तान पहुंच गए और पाकिस्तान ने पकड़ कर जेल में बंद कर दिया. तभी से वह पाकिस्तान की जेल में कैद हैं. सागर पुलिस और सरकार के प्रयासों से अब 56 साल की उम्र में अपने वतन और घर वापस लौट रहे हैं. भाई के घर वापस लौटने पर प्रहलाद के भाई वीर सिंह भावुक हो गए.
प्रहलाद 9 भाई बहनों में चौथे नंबर के थे जो कि 1998 में बगैर बताए घर से चले गए थे. मानसिक रूप से प्रह्लाद कमजोर थे. उनका इलाज भी परिवार के लोगों ने कराया. उसके बाद वह लापता हो गए और कुछ पता नहीं चला. जिसकी शिकायत उन्होंने थाने में कराई थी. 2014 में पुलिस घर आई और पहलाद के संबंध में जानकारी ली. प्रहलाद के छोटे भाई वीर सिंह राजपूत ने बताया कि करीब 1998 में बड़े भाई प्रहलाद सिंह घर से बगैर बताए कहीं चले गए थे. प्रहलाद मानसिक रूप से कमजोर थे. उनका इलाज भी चला. लापता होने के बाद तलाश की लेकिन कुछ पता नहीं चला. थाने में शिकायत दर्ज कराई. 2014 में जानकारी मिली कि वह पाकिस्तान की जेल में बंद है. आवेदन दिए उसके बाद उनके घर वापसी के प्रयास किए. अधिकारियों से मुलाकात की पत्र लिखे जिसके बाद कल जानकारी मिली कि प्रहलाद की पाकिस्तान की जेल से रिहाई हो रही है. प्रहलाद के घर आने पर खुशी का माहौल है. प्रहलाद के छोटे भाई वीर सिंह राजपूत निवासी घोषीपट्टी ने बताया कि प्रहलाद के पाकिस्तान की जेल में बंद होने की खबर सुनने के बाद प्रहलाद की माँ उनके घर लौटने का इंतजार करती रही थी। बेटे का चेहरा देखना चाहती थी। साल 2016 में उनकी तबीयत बिगड़ी और निधन हो गया। ग्राम घोसीपट्टी के निवासी का कहना प्रहलाद के घर लौट रहे जो प्रहलाद के बचपन के दोस्त ने भी बताया कि हम साथ खेलते थे. प्रहलाद के घर लौटने पर हम सभी लोगों को खुशी महसूस हो रही है, अब ऐसा लग रहा है कि प्रहलाद कब घर आ जाए।