साफ-सफाई की उड़ रही हैं धज्जियां फिर भी कैसे रैकिंग पा रही है जामनेर नगरपरिषद??? | New India Times

नरेंद्र इंगले, जामनेर/जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

साफ-सफाई की उड़ रही हैं धज्जियां फिर भी कैसे रैकिंग पा रही है जामनेर नगरपरिषद??? | New India Times

सत्ता की चमक से सदन में 25/0 और जनता ज़ीरो यह आलम है जामनेर नगर परिषद का. स्वच्छ भारत अभियान समेत केंद्र सरकार की तमाम योजनाओं की नपाई तुलाई करने पधारी अफसरों की टीमों ने न जाने शहर में ऐसी कौन सी चमक देख ली की अगले कामकाज के लिए फंड बहाल कर दिया जाता रहा. ग्राउंड ज़ीरो पर साफ-सफाई को लेकर स्थानीय प्रशासन की उदासीनता के लिए कोई अवार्ड दिया जाना चाहिए. आज पूरे शहर में गंदगी के कारण संक्रामक बीमारियों ने लोगों को अस्पताल के चक्कर काटने पर मजबूर कर दिया है. कोरोना से अपनी जेब खाली कर चुका आम आदमी सरकारी अस्पताल से उम्मीद लगाए है कि जैसे तैसे ठीक हो जाऊं और परिवार के लिए दो वक्त की रोटी का जुगाड़ कर सकूं. डंपिंग ग्राउंड का मंजर यह है कि प्रोसेसिंग यूनिट बंद होने से कचरा हवा में जहर का काम कर रहा है. 50 हजार की आबादी वाले शहर से कचरा उठाने तक के लिए घंटा गाड़ियां पर्याप्त मात्रा में नहीं हैं. जिस पुणे की कंपनी को कचरा प्रबंधन का ठेका दिया गया है उनके सुपरवाइजर नाक से प्याज छीलते हैं. जिन स्थानीय युवकों को अस्थायी सफाई कर्मी के रूप में काम पर रखा गया है उनको मजदूरी ठीक से नहीं दी जा रही है. इधर ठेकेदार को तय तारीख पर सरकारी खजाने से नियमित रुपया अदा किया जा रहा है. आखिर लेनदेन का मामला है सबका साथ कुछ का विकास तो होना जरूरी है. चुनाव को डेढ़ साल शेष हैं इसलिए विपक्ष जनता के लिए अभी से हाथ में झाड़ू लेकर सड़क पर उतरेगा ऐसी आशा करना विपक्ष की गैरत के खिलाफ होगा. सूत्रों के हवाले से पता चल रहा है कि हाल ही में नगराध्यक्षा ने ठेकेदार को चेताया है कि शहर की स्वछता को लेकर कोई शिकायत बर्दाश्त नहीं की जाएगी. समस्याओं को लेकर दैनिक अखबारों में कुछ कॉलम अवश्य लिखे जा रहे हैं पर वो भी टेबल न्यूज की तरह. टाइटल चेंज कर पाठकों को एक ही खबर इस प्रकार से परोसी जा रही है कि मानो शोध पत्रकारिता का दौर वापिस लौट आया हो. निगम में प्रभारी राज है, समय कटवा मूड़ में अधिकारी के लिए यह भार कितना भारी होता है यह बताने की कोई जरूरत नहीं है. कुछ हिस्सों में तो वाटरमैन शाम को पीने का पानी छोड़ने के बाद दूसरे दिन सुबह चाबी बंद करने आता है इन 12 घंटों में हजारों लीटर पानी बर्बाद हो जाता है. आखिर प्रभारी राज जो चल रहा है. अंधेर नगरी चौपट राजा फंड के लिए गाजाबाजा और फंड के मिलने के बाद सत्ता पक्ष हीरो और विपक्ष नीरो. जामनेर नगर परिषद बने 19 साल हो चुके हैं इस बीच न तो कोई ठोस भौतिक विकास हुआ है और न ही नेताओं की राजनीती करने का तरीका बदला है. बस टैक्स में बढ़ोतरी हुई है जिससे विकास के नाम पर आम शहरी की जेब काटी जा रही है.


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