अखिल भारतीय भवभूति समारोह में डॉ हिमांशु द्विवेदी के निर्देशन में संस्कृत भाषा में महावीर चरित नाटक का हुआ मंचन | New India Times

संदीप शुक्ला, ब्यूरो चीफ, ग्वालियर (मप्र), NIT:

अखिल भारतीय भवभूति समारोह में डॉ हिमांशु द्विवेदी के निर्देशन में संस्कृत भाषा में महावीर चरित नाटक का हुआ मंचन | New India Times

बुंदेलखंड नाट्य कला केंद्र समिति के कलाकारों ने कालिदास संस्कृत अकादमी जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर एवं भवभूति शिक्षण एवं शोध समिति द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय भवभूति नाट्य समारोह में संस्कृत भाषा में नाटक की प्रस्तुति हुई।
यह नाटक संस्कृत के महान नाटककार महाकवि भवभूति द्वारा लिखित और डॉ हिमांशु द्विवेदी द्वारा निर्देशित है। इसका सह निर्देशन डॉ कृपाशु द्विवेदी ने किया है।

अखिल भारतीय भवभूति समारोह में डॉ हिमांशु द्विवेदी के निर्देशन में संस्कृत भाषा में महावीर चरित नाटक का हुआ मंचन | New India Times

महावीर चरित नाटक की कथा रामायण की प्रसिद्ध कथा पर आधारित है परंतु रामायण कथा सिर्फ आधार ग्रंथ है कहानी का घटनाक्रम और दृश्य संयोजना बहुत ही उत्कृष्ट और नवीन है जो भवभूति की रचनात्मक प्रतिभा का प्रदर्शन कराते हैं, जिसमें कुछ परिवर्तन किया गया है, यह नाटक बहुत ही कलात्मक और नवीन दृष्टि पैदा करता है इसमें राम वन गमन का प्रसंग मिथिला में ही उठा दिया गया है, रामायण में कुछ काल के बाद अयोध्या फिर रावण ने बाली को राम के मारने के लिए भेजा था यह भी बातें इस नाटक में रामायण कथा से भिन्न और नई है इस नाटक में संपूर्ण कथा मैं रावण राम के प्रति षड्यंत्र करता है जिसमें पूरी भूमिका माल्यवान की रहती है , मालियावन की पूरी मंत्रणा और षड्यंत्र भवभूति की सृष्टि है , जो नाटक की जान कहीं जा सकती है , नाटक का प्रारंभ विश्वामित्र के यज्ञ महोत्सव से होता है जिसमें जनक के छोटे भाई कुशध्वज उर्मिला और सीता के साथ यज्ञ महोत्सव में आते हैं, तभी राम लक्ष्मण और विश्वामित्र से उनकी भेंट होती है जहां पर राम और सीता के प्रति आकर्षण और प्रेम का भाव पैदा होता है तदुपरांत सर्व माय नाम का राक्षस उस महोत्सव में आता है जिसे मल्लवान ने भेजा है और वह रावण का पत्र राजा और विश्वामित्र को पढ़कर सुनाता है जिसमें रावण सीता से विवाह संबंधी प्रस्ताव रखता है इन्हीं प्रसंगों के बीच राम के द्वारा अहिल्या का तारण करना , मारीच, ताड़का और सुबाहु का वध करना वृतांत भी होते हैं , यह सब देख कर विश्वामित्र दिव्यास्त्र राम को प्रदान करते हैं ,उसके बाद विश्वामित्र की आज्ञा से शिव का धनुष मंगवाया जाता है और राम उसको तोड़ते हैं वास्तविक रूप में रामायण कथा में यह प्रचलित है की सीता के विवाह के लिए धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाने की शर्त जनक ने रखी थी लेकिन यहां पर ऐसा कोई भी दृश्य में नहीं है यहां विश्वामित्र द्वारा धनुष मंगवाया जाता है और राम उसे तोड़ते हैं इसके बाद राम का सीता से , उर्मिला का लक्ष्मण से विवाह होता है , तभी विश्वामित्र भी यह प्रस्ताव रखते हैं की श्रुतकीर्ति और मांडवी का विवाह भी भरत और शत्रुघ्न से कराया जाना चाहिए और सभी का विवाह संपन्न होता है परंतु नाटक में सिर्फ सीता और उर्मिला का विवाह ही प्रदर्शित किया गया है, यह सब देख कर सर्वमाय नाम का राक्षस क्रोधित होता है और कहता है यह सब गलत हो रहा है… अन्याय हो रहा है और मैं इसकी सूचना माल्यवान को देता हूं और वह महोत्सव से चला जाता है .. उसके बाद माल्यवान और सुपनखा षड्यंत्र करते हैं और परशुराम को भड़काने का निश्चय करते हैं जिससे परशुराम राम को भस्म कर दे मार दे परंतु नाटकीय घटनाक्रम में राम अपनी सरलता सौमिता मधुरता से परशुराम का दिल जीत लेते हैं और परशुराम प्रसन्न होकर अपना धनुष और दिव्यास्त्र राम को प्रदान करते हैं …यह देखकर मल्लवान और क्रोधित होता है और वह सुपनखा को आदेश देता है कि वह मंथरा के शरीर में प्रवेश कर केकई को 2 वर मांगने के लिए कहे जिसमें राम का 14 वर्ष का वनवास और भरत को राज्य अभिषेक मिले।
राम यह आदेश प्रसन्नता से स्वीकार करते हैं और लक्ष्मण सीता के साथ वन को चले जाते हैं इस बीच फ्लैशबैक की तरह रामायण से संबंधित अन्य घटनाएं भी होती हैं सीता हरण ,जटायु वध शबरी मिलन आदि जंगल में रावण बाली को राम को मारने के लिए भेजता है परंतु बाली राम का भक्त हो जाता है और राम के हाथों उसकी मृत्यु हो जाती है उसके बाद मल्लवान को चिंता होती है।समस्त घटनाक्रमों में मंदोदरी भी रावण को समझाने का बहुत प्रयास करती है लेकिन रावण नहीं मानता युद्ध होता है और राम विजय प्राप्त कर विभीषण को लंका सौंपकर अयोध्या की तरफ प्रस्थान कर जाते हैं …इस नाटक में निर्देशक ने नाटकीय बिंब और दृश्यों को कलात्मक ढंग से प्रस्तुत करने की कोशिश की है पूर्वरंग विधान, राम स्तुति से नाटक का प्रारंभ करते हैं।

अखिल भारतीय भवभूति समारोह में डॉ हिमांशु द्विवेदी के निर्देशन में संस्कृत भाषा में महावीर चरित नाटक का हुआ मंचन | New India Times

नाटक में दो राम, दो सीता, दो लक्ष्मण और दो रावण को दर्शाया गया है जिसका उद्देश्य राम का राजकुमार वाला पक्ष और दंडक वन में वनवासी का पक्ष प्रदर्शित करना है रावण भी दो अभिनेताओं द्वारा प्रदर्शित करता है एक रावण पंडित, वेदों का ज्ञाता ,संगीत मर्मज्ञ और विद्वान है तो दूसरा रावण राक्षस प्रवृत्ति का है जो युद्ध करता है इसी के साथ युद्ध के दृश्य में लाइट या अन्य संसाधनों का सहारा ना लेकर बाण और अस्त्रों के युद्ध भी अभिनेताओं द्वारा ही प्रदर्शित करने का प्रयास किया गया है जिसमें राम की इनर पावर भी बॉडी मूवमेंट के माध्यम से दिखाने की निर्देशक ने कोशिश की है अगर यह चीजें दर्शकों के बीच पहुंचने में सफल होती हैं तो निर्देशक का उद्देश्य सफल होगा नाटक संस्कृत भाषा में है, जिसे सभी युवा और नए रंग कर्मियों ने तैयार किया है जो पहली बार संस्कृत भाषा में नाटक कर रहे हैं इसका उद्देश्य नाटक में संस्कृत भाषा का प्रचार प्रसार भी करना है नाटक नाट्यशास्त्रीय लोक धर्मी एवं नाट्य धर्मी परंपरा पर इस नाटक को तैयार किया है परंतु कुछ नवीन एक्सपेरिमेंट भी किए हैं जो संगीत मैं जैसे बाल्टी कढ़ाई बोतल मटका आदि बजाना, बॉडी मूवमेंट से युद्ध दिखाना स्क्रिप्ट आदि को ध्यान में रखकर किए हैं इनका उद्देश्य संस्कृत रंगमंच में भी प्रयोग धर्मिता और रंगमंच की वर्तमान प्रस्तुतियों के अनुसार नाटक के स्वरूप को प्रदर्शित करने की कोशिश की गई है ……

नाटक – महावीर चरितम

लेखक – महाकवि भवभूति

संगीत परिकल्पना एवं निर्देशन – डॉ हिमांशु द्विवेदी

सह निर्देशन -डॉ. कृपांशु द्विवेदी

संगीत निर्देशन – स्वराज रावत, प्रसून भार्गव , विजय रावत

प्रस्तुति – बुंदेल खंड नाट्य कला समिति एवं श्रीनाथ शिक्षा एवं समाज कल्याण समिति

स्क्रिप्ट एडिटिंग – डॉ विष्णु नारायण तिवारी एवं डॉ हिमांशु द्विवेदी

गीत संस्कृत अनुवाद – डॉ विष्णु नारायण तिवारी

मंच पर
सूत्रधार – जितेंद्र शर्मा / वेद प्रकाश शर्मा

राम – मयंक पाराशर / तरुण कुमार

लक्ष्मण -सौरभ आजाद /नवल यादव
सीता – रजनी दुबे/ दीक्षा
उर्मिला – श्रेया / निकिता
मंदोदरी – रजनी /निकिता
विश्वामित्र – कृपांशु द्विवेदी
राजा कुशध्वज – गौरव शर्मा/ नवल
रावण – लक्ष्य अरोड़ा / राघवेंद्र
परशुराम – हिमांशु दुबे
माल्यवान – नरेंद्र सिंह
टाटका,त्रिजटा, सुपरणखा- आदित्य श्रीवास्तव
मंथरा, मारीच- चैतन्य
सुबाहू – कार्तिक
अहिल्या – निकिता
राम की शक्ति (पावर)- कार्तिक
अस्त्र एक – कार्तिक
अस्त्र दो – चैतन्य
रंग पट्टी वाहक 1 – धीरज सेन
रंग पट्टी वाहक दो – हर्ष गुप्ता राक्षस (सर्वमाय)- अंशुल शर्मा सूत,तापस,सूचना वाहक-
हर्ष गुप्ता

जटायु – धीरज सेन

मंच परे
ढोलक, तबला, पखावज,मृदंग- प्रसून भार्गव
वायलिन – राहुल शाक्य हारमोनियम – विजय रावत
हवाइन गिटार – सनोद भारद्वाज एवं सौरव
ड्रम,घाटम,जयंबे,बोतल, मटका, बाल्टी, कढ़ाई आदि नाटकीय वाद्य यंत्र – स्वराज रावत, हिमांशु द्विवेदी

गायन – हिमांशु द्विवेदी, स्वराज रावत, विजय, तरुण, कुशल श्रीवास्तव ,तेजस, प्रसून, हिमांशु दुबे , राघवेंद्र आकाश वं अन्य साथी

रिकॉर्डिंग म्यूजिक – गौरव शर्मा

सेट एवं प्रॉपर्टी – गौरव, लक्ष , राघवेंद्र, अंशुल ,आदित्य आदि

मेकअप – लक्ष्य ,संजय, रजनी, दीक्षा ,श्रेया ,निकिता

कॉस्टयूम – निकिता ,श्रेया ,नरेंद्र तरुण, दीक्षा

कोरियोग्राफी संचिता ठाकुर एवं रजनी दुबे

प्रकाश परिकल्पना संजय सिंह जादौन।


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