रहीम शेरानी, अलीराजपुर (मप्र), NIT:
आदिवासी समाज के पहले आईएएस एवं हॉकी के विश्व प्रसिद्ध खिलाड़ी डॉ0 जयपालसिंह मुंडा की 118 वीं जयंती एवं भारत की प्रथम महिला शिक्षिका एवं समाजसेविका सावित्री बाई फुले की जयंती मनाकर उनके द्वारा बताये गये मार्ग पर चलने का संकल्प लिया ।कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए जैलसिंह चौहान ने कहा कि अफसोस की बात यह है कि हम में सें अधिकतर लोग आदिवासियों के आन-बान-शान डॉ0जयपालसिंह मुंडा को जानते ही नहीं है, जिन्होंने बाबा साहब के साथ मिलकर संविधान बनाया, आदिवासी एवं पिछडों को अधिकार दिलाये।इन्होंने अल्प आयु में ही कई क्षेत्रों में आदिवासी नेतृत्व का लोहा मनवाया जैसे खेल,राजनीति, शिक्षा में विशेष योगदान दिया है।भारतीय आदिवासियों ओर झारखंड आंदोलन के एक सर्वोच्च नेता थे, एक जाने-माने राजनीतिज्ञ, पत्रकार, लेखक,संपादक,शिक्षाविद, संविधान सभा के सदस्य ओर 1925 में “ऑक्सफोर्ड ब्लू”का खिताब पाने वाले हॉकी के एक मात्र अंतराष्ट्रीय खिलाड़ी थे। वर्तमान में मुंडा जी के जीवन को जानना जरूरी हो गया हैं।वे बहुमुखी प्रतिभाशाली आदिवासी नेता थे।भंगुसिंह तोमर ने कहा कि वे सिविल सर्विस (आईएएस) की परीक्षा उर्तीण करने वाले पहले आदिवासी थे,बाद में उन्होंने सिविल सेवा की नोकरी त्याग कर ताउम्र आदिवासियों के हक अधिकार के लिए लडते रहे।हॉकी के विश्वप्रशिद्ध खिलाड़ी थे,1928 की ओलंपिक गेम में भारतीय हॉकी टीम के कप्तान रहते हुये उन्होंने भारत को गोल्ड मेडल दिलाने वाले प्रथम कप्तान रहे हैं,परन्तु अफसोस इस बात का है कि खेल दिवस उनके स्थान पर उनके जिनियर खिलाड़ी ध्यानचंद के नाम से मनाया जाता है।उनकी कुशाग्र बुद्धि एवं विलक्षण प्रतिभा से अंग्रेज भी चकित थे।उन्होंने पीएचडी की पढ़ाई विश्व की सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी इंग्लैंड से की थी।मूल संविधान से आदिवासियों को जो मजबूती मिली है जो कि उन्ही की देन है।
नारी शक्ति अन्नु चौहान ने सावित्रीबाई फुले से परिचय कराते हुये कहा कि भारत की प्रथम महिला शिक्षिका एवं समाजसेविका सावित्री बाई फुले जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन महिलाओं की शिक्षा हेतु लड़ाई लड़ी ओर लड़ते-लड़ते अपना जीवन त्याग दिया, ऐसी महान शिक्षिका से नारीशक्ति को प्रेरणा लेना चाहिए।
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