फराज़ अंसारी, ब्यूरो चीफ, बहराइच (यूपी), NIT:
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार जहां लगातार प्रदेश में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने का दावा कर रही है वहीं जनपद बहराइच में एक के बाद एक सरकारी व निजी अस्पतालों में लापरवाही पूर्ण तरीके से उपचार करने व गलत उपचार के कारण इंसानी जिंदगियों के दांव पर लगने के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। शहर स्थित एक निजी अस्पताल पर शनिवार को ही एक परिवार ने पैसे न जमा करने को लेकर मासूम को अस्पताल से बाहर निकालने का आरोप लगाया था जिसमें मासूम की दर्दनाक मौत हो गई थी। वहीं दूसरी ओर सालारगंज निवासी पीड़ित ने ग्रामीणों के साथ जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचकर शहर स्थित एक निजी अस्पताल पर नवजात का गलत इलाज करने व गलत इलाज के कारण नवजात की मौत के मामले में आरोपी निजी अस्पताल के चिकित्सक पर कार्यवाही किए जाने की मांग की है। वहीं सलारगंज वार्ड सभासद प्रतिनिधि ने भी चिकित्सक पर गंभीर आरोप लगाते हुए निजी नर्सिंगहोम पर कड़ी कार्यवाही किए जाने की मांग की है।
इस संदर्भ में एक शिकायती पत्र जिलाधिकारी को संबोधित कलेक्ट्रेट पहुंचे पीड़ित व ग्रामीणों ने सौंपा है।
कलेक्ट्रेट पहुंचे सलार गंज निवासी पीड़ित बा सभासद प्रतिनिधि के साथ-साथ ग्रामीणों ने जिलाधिकारी को संबोधित एक शिकायती पत्र देते हुए निजी अस्पताल पर कड़ी कार्रवाई किए जाने की मांग की है। कहते हैं कि डॉक्टर धरती का भगवान होता है जो ईश्वर के बाद इंसानों को विपदा के समय दूसरा जीवन दान देता है। लेकिन लगातार धरती के भगवान कहे जाने वाले चिकित्सकों पर ही कई बार कई गंभीर आरोप लगते रहे हैं। ताजा मामला हॉस्पिटल रोड स्थित हिंदुस्तान चाइल्डलाइन अस्पताल का है। सलारगंज निवासी सोनू पुत्र अब्दुल मजीद का है। जिन्होंने आरोप लगाया है कि उन्होंने 13 दिसंबर 2020 को अपने नवजात बच्चे को रुटीन चेकअप के लिए हिंदुस्तान चाइल्ड लाइन हॉस्पिटल के चिकित्सक डॉ डॉक्टर गयास अहमद को दिखाया जिस पर चिकित्सक द्वारा उनके पुत्र को अस्पताल में ही भर्ती कर लिया गया और दूसरे दिन नवजात की हालत सीरियस पता कर उसे वेंटिलेटर पर डाल दिया गया। पीड़ित का आरोप है कि वेंटीलेटर पर नवजात को डालने के बाद अस्पताल ने उनसे प्रतिदिन के हिसाब से मोटी रकम वसूल की गयी और 17 दिसंबर 2020 को अचानक रात्रि के समय लगभग 12 बजे नवजात को लखनऊ के लिए रेफर कर दिया गया। पीड़ित का आरोप है कि जिस समय चिकित्सक द्वारा नवजात को रेफर किया गया था उस समय नवजात के मुंह से ब्लड निकल रहा था। पीड़ित कहते हैं कि नवजात के मुंह से निकल रहे ब्लड का उन्होंने विरोध किया जिसके बाद चिकित्सकों ने हालत सीरियस बताइए और आनन-फानन में परिजन उसे एंबुलेंस के माध्यम से लखनऊ लेकर पहुंचे। कलेक्ट्रेट पहुंचे पीड़ित ने आरोप लगाया है कि लखनऊ के चिकित्सक ने उनके पुत्र को देखते ही कहा कि उसके जीवित रहने की संभावना 85% ही है और गलत इलाज के कारण उसके नवजात पुत्र का फेफड़ा डैमेज हो चुका है। पीड़ित का आरोप है कि भर्ती होने के 1 घंटे के उपरांत ही उसके पुत्र की मौत हो गई। पीड़ित ने बताया कि इस संबंध में उसने 21 दिसंबर 2020 को जिलाधिकारी को एक शिकायती पत्र सौंपकर आरोपी चिकित्सक व निजी अस्पताल पर कार्रवाई किए जाने की मांग की थी जिस पर कोई कार्यवाही ना होने पर सोमवार सुबह पीड़ित क्षेत्रीय ग्रामीणों के साथ जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचा और इस संबंध में एक शिकायती पत्र दिया है।
पीड़ित के साथ कलेक्ट्रेट पहुंचे सलारगंज वार्ड के सभासद प्रतिनिधि ने आरोप लगाया कि पीड़ित के पुत्र को प्रोटीन चेकअप के लिए हिंदुस्तान चाइल्डलाइन अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वह तीन-चार दिन एडमिट रखने के बाद रात्रि 12:00 बजे के समय पीड़ित के पुत्र को लखनऊ के लिए रेफर किया गया था उस समय नवजात के मुंह से खून निकल रहा था इस दौरान सभासद प्रतिनिधि ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि जिस दिन रात्रि के समय नवजात को लखनऊ के लिए रेफर किया गया था उस समय पीड़ित ने उन्हें फोन किया और रात्रि में वह भी वहां पहुंच गये। उन्होंने आरोप लगाया कि चिकित्सक डॉक्टर गयास अहमद द्वारा स्टाफ को दो थप्पड़ भी लगाए गये थे। जो उनके सीसीटीवी फुटेज में मौजूद होगा जिसके बाद चिकित्सक द्वारा ही एंबुलेंस बुलाई गई थी और मासूम को लखनऊ के लिए भेजा गया था। उन्होंने बताया कि पीड़ित के साथ अपनी कार से वह भी लखनऊ के लिए रवाना हुए और नवजात को मेडिकल कॉलेज लेकर पहुंचे जहां बताया गया कि कोरोना डेथ के उपरांत नवजात का उपचार शुभा प्रारंभ हो सकेगा जिस के बाद रात्रि में ही नवजात की हालत गंभीर देखते हुए उसे लखनऊ के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां चिकित्सक ने कहा कि नवजात का फेफड़ा डैमेज हो चुका है और उसके बचने की उम्मीद बहुत कम है। उन्होंने बताया कि उपचार शुरू होने के महज़ एक घण्टे में ही नवजात ने दम तोड़ दिया। उनका आरोप है कि पूर्व में उन्होंने सभासद पत्नी के पेट पर आरोपी चिकित्सक के विरुद्ध कार्रवाई किए जाने के संदर्भ में एक शिकायती पत्र जिला अधिकारी को प्रेषित किया था जिसके बाद से उन्हें लगातार धमकियां दी जा रही हैं और मामले में सुलह करने का दबाव बनाया जा रहा है। पीड़ित के साथ पहुंचे सभासद प्रतिनिधि व ग्रामीणों ने जिलाधिकारी को संबोधित एक शिकायती पत्र प्रेषित कर आरोपी चिकित्सक पर कर्यवाही की मांग की है।
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