अशफाक कायमखानी, जयपुर (राजस्थान), NIT:
राजस्थान के राजसमन्द, सहाड़ा व सुजानगढ़ विधानसभा के निर्वाचित विधायकों के देहांत के बाद खाली हुई उक्त तीनों सीटों पर उपचुनाव होने की सुगबुगाहट के साथ ही कांग्रेस व भाजपा ने चुनाव प्रभारी व चुनाव प्रबंधकों की नियुक्तियां करने के बाद अब क्षेत्र में धीरे-धीरे चुनाव की हलचल शुरु होने के अलावा उम्मीदवारों के सम्भावित नामों को लेकर गुणा भाग होने लगा है।
राजसमन्द पर भाजपा व सहाडा एवं सुजानगढ़ पर कांग्रेस का कब्जा था लेकिन गहलोत सरकार से नाराज चल रहे गुज्जर, जाट, आदिवासी व मुस्लिम मतदाताओं की मतदान के प्रति जरासी भी उदासीनता कांग्रेस का जनाजा निकालने के लिये काफी हो सकती है। उपचुनाव में राजसमन्द व सहाङा से बीटीपी व सुजानगढ़ से एआईएमआईएम दलित उम्मीदवार को मैदान में उतार सकती है। कल गुजरात में एआईएमआईएम के इम्तियाज जमील व बीटीपी के छोटू भाई बसावा की गुजरात में एकठ्ठा होकर चुनाव लड़ने की मीट्टिंग हुई है पर आगे चलकर राजस्थान उपचुनाव पर भी कुछ तय होने की सम्भावना बता रहे हैं।
भाजपा तो मुस्लिम मतों के खिलाफ माहौल बना कर चुनावी व्यू रचना रचती है लेकिन कांग्रेस तो मुस्लिम मतों को अपनी गठरी का धन मानकर चलने के बावजूद किसी भी मुस्लिम नेता को उपचुनाव होने वाली सीट पर प्रभारी बनाया तक नहीं है। राजसमंद से भाजपा की किरण महेश्वरी एवं सहाड़ा व सुजानगढ से काग्रेस के कैलाश त्रिवेदी व भंवरलाल मेघवाल विधायक थे। मौजूदा समय में सुजानगढ़ के मुस्लिम समुदाय में अपने मसाइलों को लेकर सरकार से सख्त नाराजगी पनप चुकी है, नाराजगी अगर उदासीनता में परिवर्तित होती है तो काग्रेस उम्मीदवार को हार का मुहं देखना पड़ सकता है। अशोक गहलोत की सरकार आने के बाद नरेन्द खीचङ व हनुमान बेनीवाल के सांसद बनने से झूंझुनू जिले की मंडवा व नागौर जिले की खींवसर विधानसभा में उपचुनाव हुये जिनमें से मंडावा में कांग्रेस व खींवसर में बेनीवाल की रालोपा ने जीत दर्ज की थी।
कुल मिलाकर यह है कि गहलोत सरकार द्वारा उर्दू सहित मदरसा पैराटीचर्स के मसलों को बिना वजह उलझा कर रखने के अलावा मुस्लिम अधिकारियों को उचित जगह पदास्थापित नहीं करने के अतिरिक्त गठित राजस्थान लोकसेवा आयोग, सुचना आयोग सहित अन्य बोर्ड निगमों में समिति का प्रधान भाजपा व सहाड़ा की दो पंचायत समितियों में एक पर भाजपा व एक पर कांग्रेस का बना है। राजसमंद को भाजपा का गढ कहा जाता है।
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