अबरार अहमद खान, चित्रकूट/भोपाल (मप्र), NIT:
महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के कला संकाय में शोध कार्य हेतु पंजीकृत रामराज पांडेय पुत्र श्री दादू राम पांडेय को पीएचडी उपाधि के लिए आयोजित शोध प्रबंध की तथ्यात्मक व मौखिक परीक्षा के बाद परीक्षक द्वारा पात्र घोषित करने के पश्चात शोध उपाधि प्रदान की गई है। प्रस्तुति और मौखिकी के दौरान शोधकर्ता के शोध निर्देशक डॉ विवेक फड़नीस तथा प्रो इभा सिरोठिया मौजूद रहे।
सुरेंद्र पाल ग्रामोदय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय चित्रकूट के संगीत शिक्षक एवं शोधार्थी श्री रामराज पांडेय ने अपना शोध ” बुंदेलखंड क्षेत्र की ध्रुपद गायन परंपरा का विश्लेषणात्मक अध्ययन ” विषय पर किया है। श्री पांडेय ने अपने शोध पर प्रकाश डालते हुए बताया कि , बुंदेलखंड का प्रसिद्ध ध्रुपद गायन शैली समय एवं परिस्थिति कालखंड में बुंदेलखंड क्षेत्र के उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश संयुक्त भूभाग में विभिन्न नामों से जाना जाता रहा है। यहां अनेक शासकों ने राज किया किंतु अन्य शासकों की तुलना में बुंदेलों ने अपने शासनकाल में ध्रुपद गायन शैली को कहीं अधिक स्वामित्व एंव गरिमा प्रदान की। भारतीय संगीतय परंपरा में ध्रुपद गायन परंपरा शताब्दियों पूर्व की है। ध्रुवा एवं प्रबंध गायन इस गायन शैली के प्राचीन रूप हैं। जिस की भाषा संस्कृत थी। यह संस्कृत भाषा में होने के कारण सर्वसामान्य की समझ में कठिन थी। इसलिए 15वीं शताब्दी में मानसिंह तोमर ने जन भावनाओं को ध्यान में रखते हुए मध्य देशीय भाषा में ध्रुपद गायन शैली का आविष्कार किया। जिसे लोकप्रियता प्राप्त हुई है।इस शैली को वर्तमान में जीवंत बनाए रखने में क्षेत्रीय ध्रुपद गायको का विशेष योगदान है। यह शास्त्रीय संगीत की प्राचीन गायन शैली है, जो कि आज भी बुंदेलखंड में देखने और सुनने को मिलती है।
कुलपति प्रोफेसर नरेश चंद्र गौतम, अधिष्ठाता कला संकाय प्रो वाई के सिंह, कुलसचिव डॉ अजय कुमार , सुरेंद्र पाल ग्रामोदय विद्यालय के प्राचार्य मदन तिवारी, संतोष मिश्रा, प्रो जयशंकर मिश्रा, प्रो रघुवंश बाजपेई, प्रो ललित सिंह, डॉ प्रमोद त्रिवेदी , डॉ यमुना प्रसाद झा, डॉ दादूराम श्रीवास, डॉ आर के पांडेय की सफलता पर उन्हें बधाई दी है।
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