हिमांशु सक्सेना, ग्वालियर (मप्र), NIT:
कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष को देवउठनी एकादशी सिद्धि योग और रवि योग में बुधवार को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान विष्णु चार माह की योग निद्रा से जागेंगे। इसके साथ ही विवाह और मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाएंगे। इस दिन लोग भगवान विष्णु जी का व्रत करेंगे और घर के आंगन में गन्नाें के साथ भगवान की पूजा कर उन्हें जगाएंगे। यह पूजा घर के सभी पुरूष मिलकर करते हैं। इससे मोक्ष की प्राप्ति होती है, इसको सबसे बड़ी एकादशी भी माना जाता है। इस पूजा में शीतकाल में आने वाली सब्जियों का भी उपयाेग किया जाता है। लोग पूजा कर भगवान का आह्वान करते हैं और उठाे देव, बैठाे देव, कुंवारों का विवाह कराओ.. गाते हुए कुंवारों के विवाह कराने की प्रार्थना करते हैं।
इन शुभ मूहुर्त में करें पूजा
अमृत काल- दोपहर 12:59 बजे से 2:46 बजे तक
विजय मुहूर्त -दोपहर 1:54 बजे से 2:36 बजे तक
गोधूलि बेला शाम 5:14 बजे से 6:45 बजे तक
इस सामग्री को पूजा में करें
शामिल- ज्योतिषाचार्य पं. बताया कि भगवान को पूजा से प्रसन्न् करने के लिए पूजन सामग्री में 5 बड़े गन्ने, गंगाजल, शुद्ध मिट्टी, रोली, हल्दी, मेहंदी, कुमकुम, कलावा, चावल, कपूर, सुपारी, दूध, दही, शहद, घी, शक्कर, मिठाई, फल-फूल सभी तरह की सब्जियां सिंघाड़े आैर बेर का उपयाेग करने के साथ ही रंगोली भी आंगन में बनाना चाहिए
ऐसे करें पूजन-
5 गन्नाें का मंडप बनाकर उसके नीचे चौक स्थापित करें। इसके बाद चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु के साथ शिव पंचायत रखकर पूजन करें। धूप दीप से आरती कर परिवार के पुरूषों द्वारा पांच बार देव उठाएं और बोलें उठो देव, बैठो देव, कुंवाराें के विवाह करो।
शादियों के लिए है सिर्फ 9 मूहूर्त-
मार्च माह से लंबे लॉकडाउन के बाद शादी समारोह की शुरूआत होने जा रही है। लॉकडाउन के चलते कई लोगों ने अपनी शादियां टाल दी थी। वह देवउठनी एकादशी का इंतजार कर रहे थे। देव ऊठनी एकादशी की पूजा के साथ ही विवाह आयाेजन शुरू हाे जाएंगे। नवंबर माह में 26 और 30 नवंबर और दिसंबर माह में 1,2 ,6 ,7 ,8, 9 और 11 तिथियों पर विवाह योग बन रहें हैं।
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