त्रिवेंद्र जाट, देवरी/सागर (मप्र), NIT:
शासन द्वारा कुपोषित बच्चों को पोषित करने के लिये शासन द्वारा करोड़ों रुपये की राशि से सरकारी अस्पतालों में पोषण पुर्नवास केन्द्र खोले गये हैं जिसमें कुपोषित बच्चों को पोषण की पर्याप्त मात्रा देकर करीब 14 दिन भर्ती रखा जाता है जिसमे कई प्रकार के शासन की योजना अनुसार पोषण मात्रा को बढाने के लिये दूध प्रो ट्रीन पाउडर खिचडी दलिया आदि सामग्री बच्चो को दी जाती है व बच्चो की माॅ को पर्याप्त मात्रा मै भोजन केन्टीन से दिया जाता है व एनआरसी से सुबह नास्ता चाय दी जाती है मगर देवरी अस्पताल के एनआरसी मै शासन के नियम बिरुद्ध ही कार्य किया जा रहा है वहां बच्चो को न पर्याप्त मात्रा मै पोषण आहार दिया जा रहा है न ही बच्चों की मां को पर्याप्त मात्रा में खाना दिया जा रहा है। बच्चों की मां वहां भूखे ही रह रही है और 20 किलोमीटर दूर घर से ही दोनों टाइम खाना मंगवा रही है। ये कैसा हाल है यदि माँ ही भूखी रहेगी तो बच्चों को कैसे पोषण प्राप्त होगा क्योकि कुपोषित बच्चे के लिये भी सबसे पहले माता को भी पोषण मिलना जरूरी है तब ही बच्चा स्वस्थ रहेगा।
शुक्रवार को अंजली ठाकुर जो सिमरिया हर्राखेडा ग्राम की है वो अपनी बच्ची आराधना उम्र करीब एक वर्ष को भर्ती की है जिनको दो दिन से मात्र दो या तीन मात्र पतली रोटी व पानी जैसी सब्जी दी गई है, नाश्ता चाय नहीं दिया गया वो अपने घर से करीब 20 किलोमीटर दूरी से खाना रोज मंगवा रही है। देवरी अस्पताल के कैन्टीन की कई बार शिकायतें हो चुकी हैं कि वहां से मरीजों को तक खाना नहीं मिलता है और कभी कभी साथ ही अस्पताल में तो रात में डॉक्टर गायब रहते हैं, पर्ची बनवाने वाले काउंटर में तो रात्रि में कुछ कर्मचारी शराब के नशे में ड्यूटी करते पाये जाते हैं, यदि मरीज पर्ची बनवाता है तो वहां बैठे ड्टूटी करने वाले नशे में गाली ग्लोच करते हैं साथ ही मरीजों के परिजनों से बदसलूकी व अभद्रता करते हैं। कभी कभी तो पर्ची बनवाने के नाम पर बीस रुपये से पचास रुपया तक वसूलते हैं जबकि शासन के अनुसार दस रुपये लेने की नियत राशि है फिर भी इन सब लापरवाही होने के बाद भी न बीएमओ कार्यवाही करते है न ही सीएमएचओ कार्यवाही करते हैं। देवरी अस्पताल भगवान भरोसे ही चल रहा है और यहाँ मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।
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