विश्वरंग, विश्वसंग: ब्रिटेन में अंतर्राष्ट्रीय साहित्य एवं कला महोत्सव | New India Times

साबिर खान/शुभम राय त्रिपाठी, चित्रकूट (मप्र), NIT:

विश्वरंग, विश्वसंग: ब्रिटेन में अंतर्राष्ट्रीय साहित्य एवं कला महोत्सव | New India Times

टैगोर विश्वविद्यालय भोपाल द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय साहित्य एवं कला महोत्सव ‘विश्वरंग-2020’ विश्व के 16 देशों में असीम गरिमा के साथ संपन्न हुआ। ब्रिटेन में वातायन यूके संस्था ने वैश्विक हिंदी परिवार और यूके हिंदी समिति के सहयोग से विश्व रंग का भव्य तीन दिवसीय आयोजन किया। ‘वातायन’ की संस्थापिका प्रतिष्टित लेखिका दिव्या माथुर और वातायन की अध्यक्ष मीरा मिश्रा-कौशिक, ओ.बी.ई. के नेतृत्व में तथा डॉ पद्मेश गुप्त के निर्देशन व संचालन में यह भव्य कार्यक्रम 6-8 नबम्बर तक यूके में चला जिसमें कला और संस्कृति, नृत्य प्रदर्शन, कविता पाठ, कहानी पाठ, विचार-विमर्श और चलचित्र की प्रस्तुति हुई। इस कार्यक्रम में विश्व भर के दर्शक शामिल हुए।
ब्रिटेन कि प्रतिष्ठित लेखिका व वातायन यू.के संस्था के प्रबंध मंडल कि सदस्य शन्नो अग्रवाल ने जानकारी वातायन के सदस्य शुभम राय त्रिपाठी चित्रकूट को दूरभाष पर देते हुए बताया कि 6 नवंबर की सुबह इस कार्यक्रम का शुभारंभ स्ट्रैटफ़ोर्ड-अपाॅन-एवन में स्थित शेक्स्पियर-निवास में स्थापित रविंद्रनाथ टैगोर की मूर्ति पर पद्मेश द्वारा पुष्पांजलि/श्रद्धांजलि अर्पण से हुआ। तत्पश्चात, ‘विश्वरंग’ के प्रेरणा स्रोत, संतोष चौबे ने दीप प्रज्जवलित कर विश्वरंग-यूके का विधिवत उद्घाटन करते हुए विश्वरंग की पृष्ठभूमि के विषय में विस्तार से बताया और वातायन के आयोजकों और सदस्यों को शुभकामना संदेश दिया। उद्घाटन सत्र में यू के में भारतीय मूल के संसद श्री वीरेंद्र शर्मा एवं भारतीय विद्या भवन के निर्देशक डॉ नंदा कुमार ने अपने संदेश में आयोजकों का मनोबल बढ़ाया।

उद्घाटन सत्र में डॉ गुप्त ने बताया कि जहां एक ओर दर्शक विश्वरंग-यूके द्वारा आयोजित कला और संस्कृति के अकादमिक सत्रों के माध्यम से भारतीय संस्कृति के परिदृश्य से परिचित होंगे, यहाँ के हिंदी साहित्यकारों के कृतित्व पर प्रकाश डाला जायेगा, कुछ प्रतिष्ठित और नवोदित कलाकारों की प्रतिभाओं का अवलोकन किया जायेगा; इस देश के विख्यात रेडियो, टेलीविज़न, नाट्य मंच और सिनेमा के कलाकारों द्वारा प्रवासी कहानियों के पाठ होंगे, कुछ वृत्त चित्रों के निर्माताओं के साथ चलचित्रों का प्रदर्शन किया जायेगा तो साथ ही देश की कुछ सम्मानित विभूतियों का सानिध्य प्राप्त होगा।

मीरा मिश्रा-कौशिक ने प्रवासी हिंदी साहित्य पर अपने विचार प्रकट करते हुये अपना स्वागत वक्तव्य प्रस्तुत किया। रंगारंग कार्यक्रम में शामिल रहे यह कार्यक्रम पुलकित और शिवानी शर्मा द्वारा तबला-वादन और कत्थक नृत्य, सोहन राही की लिखी एक ग़ज़ल पर राधिका चोपड़ा द्वारा निर्मित धुन पर शिवानी सेठिया की अद्भुत प्रस्तुति और आशीष मिश्रा द्वारा संचालित कवि गोष्ठी, जिसमें तिथि दानी, डॉ अजय त्रिपाठी, डॉ निखिल कौशिक, ज़किया ज़ुबैरी, डॉ वंदना मुकेश और डॉ पद्मेश गुप्त ने कविता-पाठ किया। कवि गोष्ठी के उपरांत, पिछले तीन दशकों से ब्रिटेन में कला और संस्कृति को विश्व-स्तर पर प्रतिष्ठित करने वाली प्याली रे, ओ.बी.ई. और मीरा मिश्रा-कौशिक, ओ.बी.ई. से तितीक्षा दंड-शाह ने संवाद किया। समापन वक्तव्य के माध्यम से कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्राध्यापक, प्रो ऐश्वरज कुमार ने सभी वक्ताओं के प्रति अपना आभार व्यक्त किया।

दूसरे दिवस के कार्यक्रम में सम्मिलित थे इंदु बारौठ द्वारा संचालित सत्र में यूके की कुछ प्रतिष्ठित लेखिकाओं की चयनित कहानियों की समीक्षा व पाठन, जिसमें ऋचा जैन की कविताओं की समीक्षा डॉ अरुणा अजितसरिया, एम.बी.ई. द्वारा, कादम्बरी मेहरा के उपन्यास ‘निष्प्राण गवाह’ की समीक्षा शन्नो अग्रवाल द्वारा, शिखा वाष्णेय के ‘देसी चश्मे से लंदन की डायरी’ पर मनीषा कुलश्रेष्ठ और मधु चौरसिया द्वारा। नाट्य प्रस्तितियों में शामिल रहीं: पूनम देव द्वारा शैल अग्रवाल की कहानी ‘जिज्जी’, प्रतिष्ठित अदाकारा हिना बख़्शी द्वारा उषा वर्मा की कहानी ‘कॉस्ट इफेक्टिव’, सिनेमा के चर्चित कलाकार कृष्ण कांत टंडन द्वारा महेश दवेसर की कहानी ‘ईवू’, प्रसिद्ध टी वी प्रेजेन्टर सरिता सब्बरवाल द्वारा जय वर्मा की ‘सात कदम’ और रेडिओ की प्रतिष्ठित प्रस्तुति कर्ता रश्मि खुराना द्वारा अरुणा सब्बरवाल की कहानी ‘वे चार परांठे’। जीवन के तमाम पहलुओं पर लिखी इन कहानियों ने श्रोताओं को बहुत प्रभावित किया। भारतीय उच्चायोग लंदन के पूर्व हिंदी अधिकारी श्री तरुण कुमार ने अपने समापन वक्तव्य में सभी वक्ताओं और उनके कृतित्व की भूरि-भूरि प्रशंसा की। इस अवसर पर डॉ पद्मेश गुप्त ने तरुण कुमार द्वारा संपादित ब्रिटेन के प्रवासी रचाकारों के नव प्रकाशित संग्रह ‘प्रवासी मन’ का दर्शकों से परिचय कराया।

विश्व रंग महोत्सव के तीसरे व अंतिम दिन के कार्यक्रम का कुशल और मनमोहक संचालन अंतरीपा ठाकुर-मुखर्जी, एफ़.आर.एस.ए. और अकादमी-यूके प्रवर्धन प्रमुख, ने किया। अर्चना पैन्यूली ने उषा राजे सक्सेना के कहानी-संकलन ‘वह रात’ पर, तेजेन्द्र शर्मा के साहित्य पर पियूष द्विवेदी, दिव्या माथुर के साहित्य पर अनिल शर्मा जोशी व तितीक्षा शाह ने, अनिल शर्मा जोशी ने मोहन राणा की कविताओं पर, ममता गुप्ता ने डॉ अचला शर्मा के रेडिओ-नाटकों पर, सोआस-लंदन यूनिवर्सिटी सेवा फ्रांसेस्का ओरसिनी ने प्रो श्याम मनोहर पांडे के कृतित्व और शेफाली फ्रॉस्ट की कविताओं पर अपने व्याख्यान दिए।

ललित मोहन जोशी के वृत्तचित्र ‘ईस्ट मीट्स वेस्ट: इंडो-ब्रिटिश सिनेमेटिक एनकाउंटर’ 1930 से लेकर 1951 तक भारत और ब्रिटैन के बीच सिनेमाई सहयोग की परतें खोलीं। विजय राणा के के वृत्तचित्र ‘काशी की अमर कहानी’ दर्शकों को काशी विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह में ले जाती है। डॉ विजय राणा वह पहले फ़िल्मकार है जिन्हें काशी विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह के भीतर फिल्मांकन की इजाज़त दी गयी।

समापन समारोह में विश्व प्रसिद्ध गायिका स्वाति नाटेकर के निदा फ़ाज़ली साहब के गीत की सुन्दर प्रस्तुति के बाद वातायन की संस्थापिका दिव्या माथुर ने आयोजकों को बधाई देते हुए विश्वरंग-भोपाल के पूर्व-आयोजन की स्मृतियाँ साझा कीं। अध्यक्ष मीरा मिश्रा-कौशिक ने संक्षेप में सभी कार्यक्रमों की चर्चा करते हुए कहा कि आयोजकों ने कैसे इस समारोह में नवोदित और प्रतिष्ठित रचनाकारों और कलाकारों का अनुपात बनाए रखा बनाए रखा। कैसे विश्वरंग समारोह में अपनी और 15 अध्यक्ष देशों की प्रस्तुति से बहुत कुछ सीखा समझा, जो हमें विश्वास है कि भविष्य में हमारा पथप्रदर्शन करेगा। अंत में, पद्मेश गुप्त ने विश्वरंग के अंतर्राष्ट्रीय संयोजक डॉ संतोष चौबे के प्रति आभार व्यक्त करते हुये कहा कि श्री चौबे ने एक स्वप्न देखा, उसे उद्देश्य बनाया और फिर लक्ष्य तक पहुँचाया, हमें उनके अद्भुत व्यक्तित्व से बहुत कुछ सीखने को मिला। ‘कहीं रहें हम भारतवासी, हिंदी है आँखों का तारा, प्राण बसे भारत के इसमें, हिंदी ही है हृदय हमारा।


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