उत्तरी भारत के दिग्गज राजनेता बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत के चेहरे से हटता नज़र आया नकाब | New India Times

अशफाक़ कायमखानी, जयपुर (राजस्थान), NIT:

उत्तरी भारत के दिग्गज राजनेता बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत के चेहरे से हटता नज़र आया नकाब | New India Times

हालांकि 2020 में भारत में अनेक तरह के बदलाव नजर आने के साथ साथ CAA व NRC के खिलाफ महिलाओं द्वारा देश भर में लोकतांत्रिक तरीक़े से ऐतिहासिक आंदोलन चलाने के अतिरिक्त उत्तरी भारत के बिहार के दिग्गज नेता माने जाने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत नामक दो नेताओं के चेहरों से सुशासन बाबू व गांधीवादी का नकाब उठता जाता नजर आया।
जिस बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सुशासन बाबू के नाम से पुकारे जाने के अलावा शालीनता के तौर पर देखा व प्रचारित किया जाता था उस नीतीश कुमार को लाॅकडाउन के समय बिहारी मजदूरों के प्रति सहानुभूति दिखाने के बजाये उनके बिहार नहीं आने की जिद करते देखे जाने के बाद अब बिहार विधानसभा चुनाव प्रचार में बिगड़े बोलों वाले नेता के तौर पर देखा जा रहा है। नीतीश के लालू यादव के लिये बोले बोल कि बेटे की चाहत में बेटियाँ ही बेटियाँ पैदा करते चले जाने के बोल से उनकी ऊपरी तौर पर बनाई गई शालीनता वाली छवि को पूरी तरह धो डाला है। बिहार चुनावों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा दिये जाने वाले भाषणों में उनके द्वारा उपयोग किये जाने वाले शब्दों ने उनकी ऊपरी तौर पर पहले बनाई गई सुशासन बाबू व शालीनता बरतने वाले नेता के चेहरे से नकाब पूरी तरह हटाकर रख दिया है।
नीतीश कुमार की तरह ही एक तबके द्वारा राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की भी एक अर्से से गांधीवादी छवि बनाने की भरपूर कोशिश की जा रही थी लेकिन कुछ महीनों पहले गहलोत द्वारा अपने ही तत्तकालीन उप मुख्यमंत्री व प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट के लिये निकमा व नकारा शब्द तक का उपयोग करने से उनके चेहरे से नकाब हटना माना जायेगा। इसके अतिरिक्त अपने ही कैबिनेट में उपमुख्यमंत्री व तत्तकालीन प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट व पायलट समर्थक मंत्री व विधायकों के खिलाफ एसीबी व एसओजी में दफा 124-A में फर्जी मुकदमा दर्ज करके उनकी छवि खराब करने की चेष्टा करने के बाद उन्हीं ऐजेन्सियों ने 124-A नहीं बनना मानने के बाद तो लगा कि गहलोत की गांधीवादी छवि से नकाब पूरी तरह उतर ही चुका है। गृह विभाग का प्रभार स्वयं मुख्यमंत्री गहलोत के पास होने से पुलिस पर उनका सीधा कंट्रोल होने के चलते उक्त कार्यवाही से पहले उक्त विभागों के मुखियाओं को बदला गया था। इसके अतिरिक्त पुलिस विभाग के मुखिया भूपेंद्र यादव को लोकसेवा आयोग का चीफ व एसीबी के मुखिया के सेवानिवृत्ती के दिन वाईस चांसलर बनाने से जनता में अनेक तरह के शक पैदा करते हैं।
कुल मिलाकर यह है कि 2020 जाते जाते बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के चेहरे से सुशासन बाबू व गांधीवादी का नकाब हटता साफ नजर आ रहा है। अब शायद नीतीश कुमार की सुशासन बाबू व अशोक गहलोत की गांधीवादी छवि को बनाने की कोशिश को झटका लगना माना जा रहा है।


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