अबरार अहमद खान, स्टेट ब्यूरो चीफ, भोपाल (मप्र), NIT:
मदरसों को आतंकवाद का अड्डा कहने वाले मदरसों को जाकर देखें।उन्हें पता चल जाएगा कि मदरसा दहशतगर्दी का अड्डा नहीं है, बल्कि शिक्षा का मंदिर है। चुनाव के समय ही फ़िरक़ा परस्ती फैलाने वाले मुद्दे इन्हें याद आते हैं।
जमीअत उलमा मध्यप्रदेश के अध्यक्ष हाजी मोहम्मद हारून ने अपने जारी बयान में कहा है कि मदरसों के बारे में जो गलत बयानबाज़ी की गई है उसकी जितनी भी निंदा की जाए वह कम है। मदरसा दहशतगर्दी का अड्डा नहीं है बल्कि शिक्षा का मंदिर है उसे ‘आतंकवाद का अड्डा’ कहना एकदम गलत है। उन्होंने कहा कि भारत का नाम रोशन करने में मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों का अहम किरदार रहा है। भारत की आज़दी से लेकर आज तक हमारे मुल्क़ के लिए दी जाने वाली कुर्बानी में सर्व प्रथम मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों का नाम रहता है। हाजी हारून ने कहा कि जो लोग मदरसों को बदनाम करने पर जुटे हैं उन्हें मदरसों के बारे में पहले जानकारी होना चाहिए उनको ज़रूरत है कि वह मदरसों का भर्मण करें और वहाँ दी जाने वाली शिक्षा और आदर्शों के बारे में जानें। हाजी हारून ने कहा कि ऐसे फ़िरक़ा परस्ती फैलाने वाले बयानों पर लगाम लगनी चाहिये। आसाम में उन मदरसों पर रोक लगाने की बात की जा रही है जो सरकारी ग्रांड से चलते हैं पूरे देश मे मदरसों का संचालन 99.9 प्रतिशत आत्म निर्भर हैं जो मुसलमानों के अपने खर्चों से चलते है भारत सरकार को ऐसे फ़िरक़ा परस्त लोगों पर लगाम लगानी चाहिए जो देश के अमन व भाई चारे और सेकुलरिज्म के लिए ख़तरा हैं पूरी दुनिया मे किसी वजह से अगर भारत का नाम रोशन है तो कहीं न कहीं इसमें भारत में संचालित मदरसों का और उसमें पढने वाले छात्रों का भी अहम किरदार है।
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