विधानसभा उप निर्वाचन के दौरान जिले में केवल चैनलों एवं एफएम रेडियो से प्रसारित कार्यक्रमों पर 24 घण्टे रखी जा रही है निगरानी | New India Times

पवन परूथी/गुलशन परूथी, ग्वालियर (मप्र), NIT:

विधानसभा उप निर्वाचन के दौरान जिले में केवल चैनलों एवं एफएम रेडियो से प्रसारित कार्यक्रमों पर 24 घण्टे रखी जा रही है निगरानी | New India Times

विधानसभा उप निर्वाचन के दौरान जिले में केवल चैनलों एवं एफएम रेडियो से प्रसारित कार्यक्रमों पर 24 घण्टे नज़र रखी जा रही है। इसके लिये यहाँ मोतीमहल स्थित संभागीय जनसंपर्क कार्यालय परिसर में जिले के तीनों विधासभा निर्वाचन क्षेत्रों का इकजाई मीडिया अनुवीक्षण कक्ष स्थापित किया गया है। भारत निर्वाचन आयोग द्वारा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र 19-डबरा (अजा.) के लिए नियुक्त प्रेक्षक श्री अजयनाथ झा ने शनिवार को मोतीमहल पहुँचकर मीडिया अनुवीक्षण प्रकोष्ठ का औचक निरीक्षण किया। उन्होंने निरीक्षण के दौरान निर्देश दिए कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और एफएम चैनल पर प्रसारित होने वाली हर उस खबर को रिकॉर्ड करें, जो प्रथम दृष्टया पेड़ न्यूज नज़र आ रही हो। एमसीएमसी द्वारा खबर को पेड़ न्यूज घोषित किए जाने पर उसका खर्चा प्रत्याशी के खाते में जुड़वाएँ।
ज्ञात हो भारत निर्वाचन आयोग के दिशा निर्देशों के तहत पेड न्यूज पर नजर रखने के लिये जिला स्तर पर कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी की अध्यक्षता में मीडिया अनुवीक्षण एवं प्रमाणन समिति (एमसीएमसी) गठित की गई है। आयोग ने “पेड न्यूज” पर बारीकी से ध्यान देने के निर्देश दिए हैं। एमसीएमसी द्वारा मीडिया सैल (मीडिया अनुवीक्षण प्रकोष्ठ) के जरिए 24 घण्टे इलेक्ट्रोनिक मीडिया और प्रिंट मीडिया द्वारा प्रसारित होने वाली खबरों की गहन छानबीन की जा रही है। पेड न्यूज साबित होने पर संबंधित प्रत्याशी के निर्वाचन व्यय में पेड न्यूज प्रकाशन पर हुआ खर्च जोड़ा जायेगा।
इलेक्ट्रोनिक मीडिया पर चुनाव-प्रचार संबंधी कार्यक्रम व क्लिपिंग इत्यादि प्रसारित कराने के लिये प्रत्याशी को पूर्व अनुमति लेनी होगी। साथ ही मूल स्क्रिप्ट सहित सम्पूर्ण प्रचार सामग्री की कैसेट/सीडी इत्यादि डिवाइस एमसीएमसी को दिखानी होगी। मूल स्क्रिप्ट सहित सम्पूर्ण चुनाव प्रचार सामग्री की बारीकी से जाँच करने के बाद ही इलेक्ट्रोनिक मीडिया से चुनावी प्रचार संबंधी कार्यक्रम व विज्ञापन पट्टियाँ प्रसारित करने की अनुमति दी जायेगी। इस जाँच में खासतौर पर यह देखा जायेगा कि इस प्रचार-प्रसार में राजनैतिक दलों व प्रत्याशियों द्वारा चुनावी खर्चा तो नहीं छुपाया जा रहा।
दो भागों में संचालित है मीडिया अनुवीक्षण प्रकोष्ठ
मीडिया अनुवीक्षण प्रकोष्ठ दो भागों में संचालित हो रहा है। एक भाग में केवल चैनलो व एफएम रेडियो चैनल से प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों को रिकॉर्ड करने के लिये टीव्ही ट्यूनर युक्त कम्प्यूटर लगाए गए हैं। इन कम्प्यूटर पर तीन पालियों में पृथक-पृथक अधिकारी व कर्मचारी 24 घण्टे तैनात किए गए हैं। केबल चैनलों व एफएम रेडियो चैनल से प्रसारित हो रहे कार्यक्रम चुनावी प्रचार से संबंधित होने पर एक बटन दबाते ही रिकॉर्ड हो जाते हैं। इस प्रकार रिकॉर्ड किए गए कार्यक्रमों का एमसीएमसी कमेटी द्वारा परीक्षण किया जाता है। साथ ही इसकी जानकारी निर्धारित प्रपत्र में व्यय लेखा अधिकारी को भेजी जाती है।
मीडिया अनुवीक्षण प्रकोष्ठ के दूसरे भाग में प्रिंट मीडिया अर्थात अखबारों में प्रकाशित होने वाली चुनाव से संबंधित पेड न्यूज सहित अन्य चुनावी खबरों व विज्ञापनों पर नजर रखी जा रही है। इसके लिये दो पालियों में अधिकारियों व कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है। प्रात:कालीन पाली में दैनिक अखबारों एवं द्वितीय पाली में सांध्यकालीन अखबारों पर नजर रखकर चुनावी पेड न्यूज व विज्ञापनों की विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रवार कतरनें की जा रही हैं। एमसीएमसी कमेटी द्वारा खबरों की जाँच की जाती है और जो खबर पेड न्यूज साबित होगी उसका खर्चा संबंधित प्रत्याशी के चुनावी व्यय में जोड़ने के लिये व्यय अधिकारी को लिखा जायेगा।

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