नाबालिग़ बालिका से दुष्कर्म करने वाले आरोपी को न्यायालय ने दिया मृत्युपर्यन्त कारावास एवं लगाया 12 हजार रूपये का अर्थदंड | New India Times

मेहलक़ा अंसारी, ब्यूरो चीफ, बुरहानपुर (मप्र), NIT:

नाबालिग़ बालिका से दुष्कर्म करने वाले आरोपी को न्यायालय ने दिया मृत्युपर्यन्त कारावास एवं लगाया 12 हजार रूपये का अर्थदंड | New India Times

विशेष सत्र न्यायालय के विशेष न्यायधीश श्री के. एस. बारिया (लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012) बुरहानपुर द्वारा आरोपी सचिन (30) पिता बलंवत, निवासी बुरहानपुर को मृत्युपर्यन्त कारावास से दंडित किया है।

प्रकरण की विस्तारपूर्वक जानकारी देते हुये जिला अतिरिक्त अभियोजन अधिकारी/ विशेष लोक अभियोजक श्री रामलाल रन्धावे द्वारा बताया कि घटना दिनांक 28-09-2018 को पीड़िता अपने मुंह बोले भाई एवं भाभी के साथ अपने गांव से गणपति देखने बुरहानपुर आई थी और अपने मुंह बोले भाई व भाभी के साथ उसके घर पर ही रह रही थी। पीड़िता रात को सोई हुई थी भाई व भाभी भी सोये हुये थे तो रात करीबन 02 -03 बजे के लगभग आरोपी सचिन जहां पीड़िता सोई हुई थी, वहां आया और पीड़िता का मुंह दबा दिया। पीड़िता की नींद खुली तो सचिन ने बोला की अगर तु चिल्लाई तो में तेरे को मार डालूंगा और पीड़िता को माचिस की तिली के चटके पीड़िता के बाएं हाथ पर लगाया तथा मारने की धमकी देकर पीड़िता के साथ आरोपी सचिन ने दुष्कर्म किया तथा थोड़ी देर बाद फिर पीड़िता के साथ गलत काम किया। पीड़िता आरोपी सचिन से काफी डर गई थी। आरोपी सचिन ने इसके पहले भी बरीबन 7-8 दिन पूर्व में भी पिडिता के साथ घर में गलत काम किया था। विवेचना पश्चात पुलिस विवेचक ने आरोपी के विरूद्ध 323, 506 376 (2)(एम)(एन) भा.द.वि., एवं धारा 3/4 लैंगिक अपराधों से बालक का संरक्षण अधिनियम 2012 के अंतर्गत चालान न्यायालय में पेश किया।
अतिरिक्त जिला अभियोजन अधिकारी श्री रामलाल रन्धानवे ने सफलतापूर्वक पैरवी करते हुए अपनी बहस में अपराध की गंभीरता पर न्यायालय का ध्यान आकर्षित करते हुये बताया की बलात्संग का अपराध न केवल इस अपराध से पीड़ित स्त्री के शरीर के प्रति है बल्कि यह तो संपूर्ण समाज के प्रति अपराध है। यह स्त्री की मानसीकता को ही नष्ट कर देता है और उसे एक भावनात्मक संकट में ढकेल देता है। बलात्संग एक सर्वाधिक घृणित अपराध है, जिस पर माननीय विशेष न्या‍याधीश द्वारा भी निर्णय में टिप्पणी करते हुये कहा की उक्त अपराध न केवल आधारभूत मानव केवल घृणित अपराध है और यह पीड़ित स्त्री के सर्वाधिक इच्छित व प्रिय मुलभूत अधिकारी को अति लंबित करने वाला अपराध है जबकी इस घटना में आरोपी अभियोक्ती का मुंह बोला भाई था और वह शादीशुदा होकर उसकी पत्नि होते हुये भी उसने नाबालिग़ अभियोकती के साथ बलात्कार किया। आरोपित अपराध समाज की माननीय प्रतिष्ठा के प्रति अनादर है अत: ऐसी स्थिति में आरोपी को कठोर दंड दिया जाना चाहिए।
न्यायालय ने वी.सी. के माध्यम से अंतिम तर्क सुने गये एवं निर्णय वी.सी. के माध्यम से न्यायालय द्वारा धारा लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012) की धारा 42 के प्रावधानों को दृष्टिगत रखते हुए एवं उक्त दोनों अपराध एक ही घटना क्रम के तारतम्य में कारित किये जाने एवं एक ही अपराध के स्वरूप के होने से आरोपी को लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 धारा 5 एल/, 6 के लघुत्तर अपराध में पृथक से दंडित किया जाना न्यायोचित एवं आवश्यक नहीं है, बल्कि धारा 376 (2)(एफ)(एम)(एन) भा.द.वि. के गुरूत्तर अपराध के लिये मृत्युपर्यन्त कारावास से और विभिन्न धाराओं में ₹12,000.00 रूपये के अर्थदंड से दंडित किया, और अर्थदंड में से 10,000/- रुपये प्रतिकर के रुप में पीड़िता को देने का आदेश दिया।


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