रहीम शेरानी, ब्यूरो चीफ, झाबुआ (मप्र), NIT:
आचार्य भगवंत श्री उमेशमुनिजी म.सा. की सुशिष्या एवं प्रवर्तक जिनेन्द्रमुनिजी की आज्ञानुवर्तिनी पूज्या पुण्यशिलाजी म.सा. के सानिध्य में धर्माराधना का दौर चल रहा है।
इसी क्रम में रविवार को अणु स्वाध्याय भवन पर दीर्घतपस्वी स्नेहलताबहन वागरेचा, लताबहन पोरवाल, कश्मीरा डोशी, सपना वागरेचा, तथा चांदमल चौरडिया की दीर्घ तपस्या के तपपूर्ति के अवसर पर श्रीसंघ द्वारा बहुमान किया गया। तप का बहुमान तप से बोली लगाकर किया गया। इसमें पंकज वागरेचा, विपुल धोका, सपना भंडारी, पूजा पोरवाल, रवि लोढा ने वर्षीतप आदि विभिन्न तप की बोली लेकर तपस्वियों का बहुमान किया।
वागरेचा परिवार के निवास से जयकार यात्रा नगर के प्रमुख मार्गों से होती हुई अणु स्वाध्याय भवन पहुंची जो यहां धर्मसभा में परिवर्तित हो गई।
धर्मसभा में पू. पुण्यशिलाजी म.सा ने कहा कि तप करने से तपस्वी का शरीर दुर्बल हो जाए लेकिन आत्मा शक्तिशाली और उज्जवल बन जाती है। खाना हमारी आदत है, स्वभाव नहीं है। आत्मा का स्वभाव अनाहारक दशा है। रात्रि भोजन त्याग से छ:मासिक तप का फल मिलता है। जिस प्रकार फुहारों से भी हरियाली हो सकती है उसी प्रकार छोटे-छोटे तप करने से भी आत्मा उज्जवल बन जाती है कर्म क्षय करने के लिए तप आराधना की जाती हैं।
नन्हीं बालिका दीक्षिता डोशी ने भावपूर्ण गीतिका के माध्यम से प्रस्तुति दी।
प्रभावना का लाभ हंसमुखलाल मिश्रीमल वागरेचा परिवार तथा सुरेशचंद्र रतनलाल धोका परिवार ने लिया।
सभी तपस्वियों का बहुमान पूज्या पुण्यशिलाजी म.सा.के सांसारिक गादिया परिवार एवं विनोद कुमार परिवार द्वारा किया गया।
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