यूसुफ खान, ब्यूरो चीफ, धौलपुर (राजस्थान), NIT:
भाजपा पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं ने हल्ला बोल में सोशल डिस्टेसिंग के नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाई।
सारे नियम क्या आम लोगों के लिए ही होते हैं? चलो उनको तो जागरूक करने के साथ थोड़ा सा नियमों की पालना को कहने पर मान भी जाते हैं लेकिन विभिन्न पार्टियों के पदाधिकारी, कार्यकर्ता सरेआम नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए दिख जाएंगे। इनसे तो कोई कुछ नहीं कहता, क्या नियम इनके लिए नहीं है? 5 अक्टूबर को धौलपुर में भाजपा दल ने हल्ला बोल के तहत रैली निकाली, जिसमें कोरोना के सारे नियमों को दरकिनार करते हुए पदाधिकारी व कार्यकर्ता दिखे। चलो यदि मान भी लें कि प्रशासन से अनुमति ली हो लेकिन रैली में कई गुना ज्यादा लोग दिखे। यही नहीं धौलपुर के जिला कलेक्टर आरके जायसवाल कोरोना की हर परिस्थिति से निपटने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं और लोगों तक कोरोना जागरूकता का संदेश भी पहुंचा रहे हैं। सबसे बड़ी बात कोरोना काल में मास्क को उन्होंने सबसे ज्यादा महत्व देने की बात कही, जिससे कोरोना की चैन को तोड़ा जा सके। लेकिन रैली के दौरान भाजपा दल के पदाधिकारी सिर्फ नाम को मास्क लगाए हुए थे, जबकि मास्क को दिखावे के लिए नहीं बल्कि कोरोना से बचाव हो सके इसलिए लगाना जरूरी है।
बता दें कि प्रदेश में बढ़ रही दुष्कर्म और अन्य अपराधों की घटनाओं के विरोध में भाजपाइयों ने कांग्रेस सरकार के खिलाफ हल्ला बोला रैली निकाली लेकिन 5 अक्टूबर को भाजपा दल के पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं ने सरेआम धज्जियां उड़ाई। कार्यकर्ता बड़ी संख्या में रैली में चल रहे थे और शहर के हनुमान तिराहे पर एकत्रित होकर प्रदर्शन नारेबाजी कर रहे थे। हालांकि मौके पर पुलिस मौजूद रही, लेकिन किसी ने भी प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कार्यवाही करने की हिम्मत नहीं जुटाई। यह बात अलग है कि जब कभी आम जनता ऐसे प्रदर्शन करती है पुलिस प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार कर लेती है। लेकिन 5 अक्टूबर को प्रशासन और पुलिस तमाशबीन बने रहे। सवाल उठता है कि क्या कानून की धाराएं राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं पर लागू नहीं होती है?
रैली व प्रदर्शन के दौरान नहीं दिखी सोशल डिस्टेसिंग
भाजपा दल द्वारा निकाली गई रैली व प्रदर्शन में सोशल डिस्टेसिंग की भी पालना नहीं हुई। हल्ला बोल में कार्यकर्ता एक-दूसरे से सटकर उपस्थित रहे। कई कार्यकर्ताओं ने तो मुंह पर मास्क भी नहीं लगाया। यहां ये उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने दो अक्टूबर से नो मास्क नो एंट्री का अभियान भी चला रखा है। लेकिन सरकार के इस अभियान का असर भाजपा दल के पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं पर ही नहीं दिखाई दिया। पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं के मुंह पर मास्क लगा भी था तो सिर्फ नाममात्र के और कुछेक के मुंह पर नहीं लगा हुआ था। जबकि बार बार कहा जा रहा है कि कोरोना से बचना है तो मास्क लगाना जरूरी है। इससे तो प्रतीत होता है कि इनको कोरोना जैसे जानलेवा वायरस से भी डर नहीं है।
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