पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से की मांग, किसानों सहित आमजन की समस्याओं से कराया अवगत | New India Times

आसिम खान, ब्यूरो चीफ, छिंदवाड़ा (मप्र), NIT:

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से की मांग, किसानों सहित आमजन की समस्याओं से कराया अवगत | New India Times
फाइल फोटो

प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष श्री कमलनाथ ने जिला सहित संपूर्ण प्रदेश में व्याप्त किसानों व आमजन की समस्याओं से देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी से पत्र विज्ञप्ति के माध्यम से विस्तृत चर्चा की। उन्होंने विविध विषयों पर स्पष्ट बयान देते हुये कहा कि सबसे पहले तो मोदी सरकार ने किसानों को तीन तोहफे दिए हैं जो कि नए तीन कृषि अध्यादेश के रूप में हैं और मैं खुद किसान होने के नाते और किसानों से सीधे जुड़ा होने के नाते मैं व्यक्तिगत रुप से समझ सकता हूं कि इन तीन अध्यादेशों का क्या प्रभाव पड़ेगा भले ही भाजपा के साथी यह बरगला रहे हों कि लोगों को इन कृषि अध्यादेशों का किसानों के ऊपर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है लेकिन मेरी देश के बड़े किसान संगठनों से मंडी के अधिकारियों से चर्चा हुई और उस चर्चा के यह नतीजे निकल कर आए कि मान लीजिए कोई बड़ा व्यापारी है जो एक बड़ी मात्रा में मक्के की खरीदी करना चाहता है आज के समय में उसको यह सुविधा थी कि वह छिंदवाड़ा की मंडी मैं जाता जहां किसान आते हैं वहां से खरीदी करता उसको पता होता कि वहां पर किसान आएंगे और उसको  एक बड़ी मात्रा में फसल खरीदने में कोई दिक्कत नहीं होती लेकिन अब सरकार ने यह व्यवस्था कर दी है कि किसान कहीं पर भी फसल बेच सकता है ऐसे में जो बड़े व्यापारी हैं जो बडी मात्रा में काम करना चाहते हैं उन्हें छोटे.छोटे दलालों पर निर्भर रहना होगा और जाहिर सी बात है कि यह दलाल अपना कमीशन लेकर काम करेंगे और किसान को जो कीमत मिलनी है उसका एक बड़ा हिस्सा इन दलालों की दलाली में चला जाएगा । अभी तक किसान भाई यह जानते हैं कि सरकारी खरीदी में बहुत सी फसल तो किसान स्वयं बेचते है लेकिन बहुत सी फसल दलाल खरीद लेते हैं और किसानों के नाम से सरकारी उपार्जन केंद्र में बेचते हैं। सरकार ने इन बिलों को लागू करके एक तरह से इन दलालों की खरीदी की प्रक्रिया को सही करार दिया है इस पर मुहर लगा दी है। जबकि इस व्यवस्था को रोका जाना था।
तीनों अध्यादेश में जो बड़े नुकसान हैं वो है किसानों को एमएसपी के दायरे में ना लाना उनको न्यायालय के न्याय से वंचित करना व्यापारियों की जमाखोरी और कालाबाजारी को बढ़ावा देना राज्य की मंडी व्यवस्था को ध्वस्त करना। कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग के द्वारा किसानों को खेती से अलग कर व्यापारियों को बढ़ावा देते हुए किसानों को उनके ही खेत का मजदूर बना देना। 
⭕ नहीं हो रहा मक्के व सोयाबीन का उपार्जन
आज मध्य प्रदेश में समर्थन मूल्य पर जो उपार्जन हो रहा है उसमें मक्के की फसल जो की बड़ी मात्रा में होती है। छिंदवाड़ा जिला तो जिसमें पूरे देश का सिरमौर है इसके अलावा सिवनी जबलपुर और आसपास के कई जिलों में मक्के का उत्पादन बहुत बड़ी मात्रा में हो रहा है। किसानों ने यह फसल इसीलिए की लगाई थी कि शासन इस फसल को या शासन हमारी उपज को समर्थन मूल्य पर खरीदेगा लेकिन इस शिवराज सरकार ने आके किसानों को झूठे वादे देना तो शिवराज सिंह जी ने शुरु कर दिया किंतु किसानों से उनकी फसल के उपार्जन के दौरान अपनी बातों से पलट गए किसानों को 4000 रूपये का लॉलीपॉप दे दिया और उनकी फसल खरीदने का जो मुख्य काम था उससे उन्होंने किनारा कर लिया। आज हजारों की संख्या में नहीं बल्की लाखों की संख्या में किसान अपनी फसल को बेचने के लिए परेशान है मक्के का समर्थन मूल्य जहां 1850 रूपये प्रति क्विंटल है आज किसान की वही फसल 800 और 900 रूपये क्विंटल में व्यापारी को बेंचने को मजबूर हैए ना तो सरकार ने कोई भावांतर योजना लागू की और ना ही सरकार ने घोषणा की वह किसानों की फसल खरीदेगी। हम मांग करते है कि सरकार तत्काल जिन जिलों में मक्के का उत्पादन बड़ी मात्रा में है वहां तत्काल किसानों के पंजीयन कराएं और आगामी समय में मक्के की फसल की खरीदी की व्यवस्था सुनिश्चित करें। 
⭕ फसल बीमा के नाम पर छलावा
किसानों को फसल बीमा की राशि देने की अगर हम बात करें तो छिंदवाड़ा जिले के किसानों की सूची मेरे पास है अगर उस सूची पर एक नजर डालें तो 0 से 10 रूपये तक की रकम फसल बीमा में प्राप्त करने वाले 141 किसान है 10 से 50 रुपये तक की रकम प्राप्त करने वाले 346 किसान हैए 50 से 100 रुपये तक की रकम प्राप्त करने वाले 449 किसान हैंए 100 से 500 रूपये तक की रकम प्राप्त करने वाले 2420 किसान और 500 से 1000 रूपये तक की रकम प्राप्त करने वाले 2856 किसान है 1000 से 5000 रूपये तक की रकम प्राप्त करने वाले 11613 किसान है 5000 से 10000 तक की रकम प्राप्त करने वाले 5376 किसान है छिंदवाड़ा जिले में कुल 27658 किसानों को फसल बीमा का लाभ प्राप्त हुआ। इन 27658 किसान में आठ हजार के लगभग ऐसे किसान हैं जिनको 1000 रूपये से कम की राशि मिली है याने 1 क्विंटल फसल की कीमत भी उस किसान को नहीं मिली है तो यह कैसा फसल बीमा है शिवराज जी आपका कि किसान एक क्विंटल की उपज का भी मुआवजा नहीं पा सक रहा है। 
वर्तमान में अत्यधिक वर्षा और ओले के कारण शिवराज सिंह जी ने हवाई दौरे तो खूब किए और किसानों को भरोसा भी दिलाया कि वे पर्याप्त मुआवजा देंगे लेकिन अभी तक सर्वे पूरा होने के बाद भी 1 रूपये का भी मुआवजा किसानों को नहीं मिला है मैं इस बात की भी मांग करता हूं कि किसानों को तत्काल मुआवजा दिया जाए। जो हवाई दौरे शिवराज जी ने किए हैं वह हवाई दौरों की तरह हवाई घोषणाएं भी ना करें उन घोषणाओं को अमल में भी लेकर आए।  केवल उपचुनाव तक या उपचुनावों के जिलों तक ही सीमित ना रहे आप पूरे प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं पूरे प्रदेश के किसानों को देखना और पूरे प्रदेश के किसानों को संरक्षण देना आपकी जिम्मेदारी है। 
⭕ 4000 का लॉलीपॉप
आप सभी ने देखा होगा कि शिवराज सिंह चौहान जी ने घोषणा की कि किसानों को 4000 रूपये प्रति किसान के हिसाब से सहायता राशि देंगे पहले से मोदी सरकार 6000 रूपये जो कि दो.दो हजार महीने की किस्त में दे रही थी शिवराज जी ने उसी में 4000 रूपये की बढ़ोतरी की है हम सभी जानते हैं। लेकिन शिवराज सिंह ने यहां पर भी एक चाल कर दी और किसानों के पंजीयन के लिए एक व्यवस्था शुरू कर दी कि जो किसान पंजीयन करायेगें उन किसानों को 4000 रूपये का लाभ मिलेगा,  मैं शिवराज सिंह चौहान से पूछना चाहता हूं कि जिन किसानों का पहले से पंजीयन है जो 6000 रूपये की राशि पहले से ही केंद्र सरकार से प्राप्त कर रहे हैं तो ये ढकोसला पंजीयन का क्यों कर रहे हैं आप उन्हीं किसानों को सीधे सीधे 4000 रूपये क्यों नहीं दे देते जबकि आपके पास पूरा रिकॉर्ड है आप केवल समय बिताना चाहते हैं कि किसी तरह से आचार संहिता लग जाए और यह जो 4000 रूपये आप किसानों के खातों में डालने वाले हैं वह आचार संहिता के कारण किसी तरह से खटाई में पड़ जाए।


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