अरशद आब्दी, ब्यूरो चीफ, झांसी (यूपी), NIT:
ज़िला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान, जो पहले राजकीय दीक्षा विद्यालय के नाम से जाने जाते थे। 1986 में तत्कालीन प्रधानमन्त्री राजीव गांधी नें नवीन शिक्षा नीति से इसे अस्तित्व प्रदान किया। मगर 1992 में तत्कालीन प्रधानमन्त्री पी०वी० नरसिम्हा राव के समय इसपर व्यापक कार्य हुए। झांसी के ज़िला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान बरुआसागर के अस्तित्व में आने से पूर्व यह सूरज प्रसाद जी०जी०आई०सी० से सञ्चालित होता था। इसमें एक मॉडल स्कूल सम्बद्ध होते थे। उस समय यह जे०बी०टी०सी० पाठ्यक्रम के नाम से जी०जी०आई०सी० में संचालित होता था।
डी०आई०इ०ट० बरुआसागर के प्रथम प्रभारी प्राचार्य बनने का गौरव 22 मई 1990 को राम लोटन वर्मा को मिला। इसके बाद प्राचार्य की लम्बी फेहरिस्त रही। इन प्राचार्यों में कई विभिन्न प्रकार की शैली से डी०आई०इ०ट० की तरक्की में अपना योगदान देते रहे। वर्तमान में यहां मुकेश कुमार रायज़ादा प्राचार्य के रूप में अपनी सेवा दे रहे हैं। पी०ई०एस० होने के कारण शिक्षा विभाग की विभिन्न ज़िम्मेदारियों को निभाने का मौका मुकेश कुमार रायज़ादा को मिला। 6 जून 2018 को सतना (म०प्र०) के रहने वाले रायज़ादा नें यहां प्राचार्य का दायित्व सम्भालते हुए इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधारात्मक बदलाव के लिए अपने प्रयास प्रारम्भ कर दिए। बिल्डिंग स्ट्रक्चर में मूल-भूत आवश्यकताओं की पूर्ति के उद्देश्य से पानी के रिसाव से बचने के लिए छत मरम्मत के कार्य को प्राथमिकता में कराया, जिससे छात्र-छात्रा कक्षा में असुविधा का सामना न करें। पेयजल हेतु आर०ओ० और चिल्ड मशीन का बन्दोबस्त करनें के साथ बैठने के लिए फर्श के स्थान पर फर्नीचर की व्यवस्था की गई। विज्ञान प्रयोगशाला और कम्प्यूटर हॉल से विद्यार्थियों को अत्यधिक सुविधा मिलने लगी। पुस्तकालय के कायाकल्प से भी शिक्षा में बदलाव लाना सम्भव हुआ। यहां का एकेडमिक रिज़ल्ट्स शत-प्रतिशत रहता है। जो निजी डी०एल०एड० कॉलेज के एकेडमिक रिज़ल्ट्स से काफी बेहतर है। लेकिन एक समय ऐसा था, जब दो-तीन वर्ष पूर्व यहां स्टाफ की कमी थी। एक प्रवक्ता और एक सहायक अध्यापक और पांच लिपिक छात्रों के अनुपात में नगण्य थे। इससे नियमित कक्षा एवं कार्यालय कार्य प्रभावित रहता था। मगर प्राचार्य द्वारा निरन्तर डिमाण्ड कर स्टाफ की व्यवस्था कराई गई। अब यहां 18 शिक्षकों के द्वारा शिक्षण कार्य करने से समय पूर्व ही डी०एल०एड० विद्यार्थियों का सिलेबस पूरा हो जाता है, जिससे एक्सट्रा करिकुलम का मौका मिल जाता है। ह्यूमाना इण्डिया एन०जी०ओ० भी यहां अपनी सेवाएं दे रहा है। 2012 में यहां बी०टी०सी० (डी०एल०एड०) के प्राइवेट कॉलेज अस्तित्व में आने लगे। अब कई प्राइवेट कॉलेज इस कोर्स को करा रहे हैं। मगर एकेडमिक के साथ ही टी०ई०टी० और सी०टी०ई०टी० जैसी प्रतियोगी परीक्षा में ज़िला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान बरुआसागर के छात्र बाज़ी मार रहे हैं। इसके लिए यहां निःशुल्क तैयारी की व्यवस्था भी की गई है, जिसके सफल परिणाम प्राप्त हो रहे हैं। कोविड-19 के कारण रेगुलर क्लास न हो सकने से शिक्षण को प्रभावित होने से रोकने के लिए ऑनलाइन शिक्षण अप्रैल से ही शुरू कर दिया गया था। इससे 380 छात्रों को समय पूर्व पाठ्यक्रम पूरा करने में आसानी हुई। यहां पाठ्यक्रम के साथ ही कुछ ऐसी विधियों को प्रयोग में लाने का प्रयास होता है, जिससे भविष्य के लिए तैयार हो रहे अध्यापकों को अपने विद्यालय में उन्हें प्रयोग करने का अवसर मिल सके। क्योंकि प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्तर पर रुचिकर शिक्षण की महती आवश्यकता होती है। यहां की बढ़ती विश्वसनीयता के चलते कॉपी मूल्यांकन का दायित्व भी निभाने का अवसर डी०आई०इ०ट० बरुआसागर को मिलने लगा है। शीघ्र ही यहां से अंकतालिका बनने का कार्य भी शुरू होने वाला है, जो एक बड़ी उपलब्धि होगी। सुरक्षा के दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए यहां सम्पूर्ण परिसर को सी०सी०टी०वी० से आच्छादित कर दिया गया है। इससे विशेषकर छात्राओं और महिला कर्मियों में सुरक्षित भावना का माहौल बना है। लेडीज़ टॉयलेट को अत्याधुनिक स्तर पर निर्मित किया जा रहा है। 1 करोड़ 12 लाख रुपए के ऑडिटोरियम के प्रोजेक्ट पर 2014-15 में ग्रहण लग गया था। अथक प्रयास से यह ड्रीम प्रोजेक्ट को लेकर टास्क फोर्स का गठन हुआ और वर्ष के अन्त तक इसके निर्माण हो जाने की सम्भावना है। यहां छात्र-छात्रा न केवल पठन-पाठन बल्कि स्पोर्ट्स में भी जनपद का नाम प्रदेश स्तर पर रौशन कर रहे है। क्रिकेट, खो-खो, कबड्डी, एथलीट, बैडमिन्टन, वॉलीबॉल, रंगोली आदि में डी०आई०इ०ट० की टीम प्रतिवर्ष आयोजित होने वाली प्रतियोगिता में जीत हासिल कर रही है। सोशल, इमोशनल एण्ड एथिकल एजुकेशन के प्रशिक्षण में ज़िला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान बरुआसागर नें अन्तर्राष्ट्रीय पटल पर ख्याति प्राप्त की। समय-समय पर योग और स्वास्थ्य सम्बन्धी शिविर से भी छात्रों को लाभ प्राप्त हो रहा है। प्रशिक्षणार्थियों को वार्षिक शैक्षिक भ्रमण जयपुर, उदयपुर जैसी जगहों पर ले जाकर कराया जा रहा है। साथ ही झांसी और आस-पास के इतिहास की धरातलीय जानकारी के लिए ओरछा, देवगढ़, गढ़कुंडा आदि स्थानों का भ्रमण भी कराया जा रहा है। झांसी के ऐतिहासिक महत्त्व को समझने के लिए छात्रों को यहां के दुर्ग, तालाब और अन्य ऐतिहासिक प्रोजेक्ट भी दिए जाते हैं। वहीं सेवारत प्रशिक्षण में गणित, विज्ञान, अंग्रेज़ी, संस्कृत और उर्दू के प्रशिक्षण से कई अध्यापक भी लगातार कुछ नया सीख रहे हैं। विशेषकर मदरसा शिक्षा में धार्मिक के साथ सरकार की मंशानुरूप आधुनिक शिक्षा के तौर-तरीकों को उन बच्चों तक पहुंचाने में भी यहां आयोजित प्रशिक्षण विशेष लाभकारी साबित हो रहे हैं। मिशन प्रेरणा से सम्बन्धित निष्ठा प्रशिक्षण भी लगभग 80 प्रतिशत पूर्ण किया जा चुका है और शेष कोविड-19 के कारण रोकना पड़ा, जिसे शासन के निर्देशानुसार निर्धारित होते ही शत-प्रतिशत करा दिया जाएगा। कोविड से बचाव के लिए भी पृथक-पृथक रूप से शारीरिक दूरी के साथ विद्यार्थियों के बैठने का प्लान भी तैयार किया जा चुका है। साथ ही सेनेटाइज़िंग मशीन भी लगा दी गई है। पर्यावरण मित्र के रूप में छात्रों को तैयार किया जा रहा है, जिसमें उन्हें क्यारियां आवण्टित कर उनकी मंशानुरूप बागवानी का अवसर भी उन्हें मुहैया कराया जा रहा है। संस्थान में पुनः विद्यार्थियों का आवागमन शुरू होने पर उद्गम वाटिका को तैयार कर उसमें विभिन्न प्रकार की सब्जियां उगाने का प्रस्ताव है। प्राचार्य द्वारा बताया गया कि परिसर में ही बड़ागांव बी०आर०सी० और कस्तूरबा आवसीय बालिका विद्यालय भी सञ्चालित है। समय-समय पर इसका भी निरीक्षण और संरक्षण का प्रयास होता है। मगर टीचर क्वार्टर न होने से हो रही असुविधा पर भी प्राचार्य नें प्रकाश डाला और इसका निर्माण अपनी महत्वाकांक्षी योजना का हिस्सा बताया। साथ ही मुख्य द्वार पर रिसेप्शन कक्ष बनाकर आने-जाने वालों का ब्यौरा दर्ज कर कार्य मे सुविधा प्रदान करना भी उनका लक्ष्य है। बीते दिनों अपर निदेशक, राज्य शैक्षिक प्रबन्धन एवं प्रशिक्षण संस्थान इलाहाबाद द्वारा भी डी०आई०इ०ट० बरुआसागर को निरीक्षण में प्रत्येक क्षेत्र में उत्कृष्ट घोषित किया गया। लेकिन परिसर को अतिक्रमण से बचाना भी एक चुनौती है। यहां निर्माणाधीन ऑडिटोरियम के पीछे बाउण्ड्री न होने से धीरे-धीरे अतिक्रमण का खतरा बढ़ता जा रहा है। इसके लिए बाउण्ड्री का निर्माण ज़रूरी है। शिक्षक संघ के प्रवक्ता नोमान नें डी०आई०इ०ट० की कई सारी उपलब्धियों की जानकारी देने के साथ ही बताया कि कुछ आवश्यकताओं की पूर्ति अभी बाकी है जिसे प्राचार्य पूरा करना चाहते हैं।