भोपाल में ग़रीब तांगे वाले अब तक झेल रहे हैं लॉक डाउन की मार, जमीअत उलमा मध्यप्रदेश ने की तांगे वालों को सरकारी मदद देने की मांग | New India Times

अबरार अहमद खान/मुकीज़ खान, भोपाल (मप्र), NIT:

भोपाल में ग़रीब तांगे वाले अब तक झेल रहे हैं लॉक डाउन की मार, जमीअत उलमा मध्यप्रदेश ने की तांगे वालों को सरकारी मदद देने की मांग | New India Times

जमीअत उलमा मध्यप्रदेश ने सरकार से ग़रीब तांगे वालों को राहत राशि दिए जाने की मांग की है ताकि यह अपने परिवार एवं जानवरों का पालन पोषण कर सकें। हाजी मोहम्मद इमरान ने मध्यप्रदेश सरकार से मांग करते हुए कहा कि यह पूरा वर्ष आपाद स्थिति में गुज़रा है और शहर में महीनों तक लॉक डाउन रहा और अभी भी शहर में ज़िला प्रशासन मध्यप्रदेश सरकार की ओर से पाबंदियां हैं। लॉक डाउन के प्रथम दिवस से ग़रीब तांगे वालों के हालात ख़राब है जिनके रोज़गार पूरी तरह ठप हैं तांगे वालो का रोज़गार घोड़े किराये पर देने से ही चलता है जो शादियों में जुलुस और कई धर्मिक पर्वों पर किराये पर चलते हैं पर इस वर्ष सभी कुछ पूरी तरहां प्रतिबंध है सब सादगी से शादियां हो रही हैं त्योवहारो पर घोड़े तांगे बग्गी किराये पर नही चले॥ ऐसे में इन ग़रीब तांगे वालो के हालात कमज़ोर है और रोज़गार पूरी तरह ठप है एक तरफ उनके परिवार भी बदहाली का शिकार है ऐसे में उनके पास पालतू घोड़ों के चारे के भी इंतेज़ाम नही है। हाजी इमरान ने जमीअत उलमा मध्यप्रदेश की ओर से इनकी चिंता करते हुए मध्यप्रदेश सरकार और ज़िला प्रशासन से मांग की है कि शहर के तांगे वालो और घोड़े वालों को सरकार की ओर से राहत राशि दी जाए ताकि ये अपने परिवार एवं उनके जानवरों का पालन पोषण कर सकें। सब के रोज़गार खुल चुके हैं पर ये परिवार अभी तक लॉक डाउन की मार झेल रहें हैं जिनको सरकार की ओर से पचास हज़ार रुपये राहत राशि प्रदान की जानी चाहिए हाजी इमरान ने कहा कि राजनीतिक कार्यक्रम में भी इन घोड़ों और तांगे वालों का अहम किरदार रहता है पर किसी को इनकी चिंता नही ये बड़े अफ़सोस की बात है जमीअत उलमा मध्यप्रदेश हाजी मोहम्मद इमरान, मुजाहिद मोहम्मद खान, मोहम्मद कलीम एडवोकेट आदि ने मध्यप्रदेश सरकार से मांग की है।


Discover more from New India Times

Subscribe to get the latest posts to your email.

By nit

This website uses cookies. By continuing to use this site, you accept our use of cookies. 

Discover more from New India Times

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading