बरबर जहानीखेड़ा मार्ग पर सैय्यद बाड़े में रपटा पुल के पास रोड के पूरब खड़े शीशम के दो पेड़ चोरी | New India Times

वी.के.त्रिवेदी, ब्यूरो चीफ, लखीमपुर खीरी (यूपी), NIT:

बरबर जहानीखेड़ा मार्ग पर सैय्यद बाड़े में रपटा पुल के पास रोड के पूरब खड़े शीशम के दो पेड़ चोरी | New India Times

मोहम्मदी क्षेत्र के बरबर जहानीखेड़ा मार्ग पर सैय्यदबाड़े में रपटा पुल के पास रोड के पूरब खड़े शीशम के दो पेड़ चोरी से लकड़कट्टे काट ले गये। जिसकी भनक न पुलिस को लगी और न वन विभाग को। सोमवार को हमारे संवाददाता जानकारी मिलने पर मौके पर जाकर काटे गये पेड़ों के फोटो लेना चाहे तो मौके पर पहले से मौजूद वन विभाग के एक वाचर ने फोटो लेने का विरोध किया। जब उससे इन पेड़ों के सम्बनध में जानकारी की तो वो झगड़े पर आमादा हो गया। कुछ देर बाद उक्त वन कर्मी क्षेत्र के दो लकड़कट्टो के साथ बरबर कस्बे के एक तथाकथित नेता के यहां बैठे देखे गये जो ये साबित करता है कि इसी वन कर्मी के द्वारा इन्हीं लकड़कट्टों से रात के अंधेरे में चोरी से पचासों हजार रूपये मूल्य के पेड़ कटवाये गये हैं। इससे पहले भी इस रोड पर खड़े शीशम के पेड़ चोरी से कट चुके हैं। मोहम्मदी के वन रक्षक से लेकर बड़े अधिकारियों तक ने चोरी से पेड़ काटे जाने की जानकारी से अनभिज्ञता व्यक्त की है।
हाइवे हो या स्टेट हाइवे इन मार्गों के दोनों ओर हर वर्ष हरियाली के लिये वृक्षारोपण किया जाता है, जिस पर सरकार लाखों करोड़ों रूपये वन विभाग के माध्यम से खर्च करती है। रोड साइड के इन पेड़ों की रखवाली एवं रख-रखाव एवं सुरक्षा की जिम्मेदारी वन विभाग की होती है। पेड़ों को चोरी से काटने से रोकने का उत्तरदायित्व क्षेत्रीय पुलिस का भी होता है। जब रक्षक ही भक्षक बनकर इस सरकारी सम्पत्ति की चोरी करवाने लगे तो न तो समाज सुधरेगा न ही जानता। बरबर से जहानीखेड़ा मार्ग पर सैय्यदबाड़े में रपटा पुल के पास रोड के पूरब तमाम शीशम के पेड़ खड़े हैं जो लगातार कम होते जा रहे हैं, इसका वन विभाग कोई संज्ञान नहीं ले रहा है और हरियाली पर बेखौफ आरा चलता रहता है। गत दिवस रात में लकड़कट्टे चोर दो शीशम के पेड़ चोरी से काट ले गये। सोमवार प्रातः जब इसकी जानकारी लोगों व प्रेस वालों को हुई तो मोहम्मदी के एक पत्रकार ने वन रक्षक व महेशपुर रेंज के ‘‘साहब’’ लोगों से जानकारी की तो उन्होंने मेरे संज्ञान में नहीं है कहकर अपना दामन बचाने का प्रयास किया। आज प्रातः एक पत्रकार ने मौके पर जाकर चोरी से पचासों हजार रूपये मूल्य के शीशम के पेड़ों की जड़ों का फोटो ले रहा था तो वहां पहले से मौजूद एक वाचर ने विरोध किया। जब उसने उससे ये पूछा कि ये पेड़ कैसे कट गए तो वो झगड़े पर अमादा हो गया था। मौके से इस पत्रकार के बरबर वापस आते ही कुछ देर के बाद उक्त वन वाचर व दो लकड़कट्टों के साथ बरबर के एक तथाकथित नेता कम दलाल अधिक के आवास पर देखे गए। वन कर्मी और कुख्यात लकड़कट्टों के एक साथ कटे पेड़ों के फोटो लेने के तुरन्त बाद एक साथ दिखाई देना ये साबित करता है कि पेड़ कटवाने वाला यही वन वाचर है और पेड़ काटने वाले ये लकड़कट्टे हैं। यही दो पेड़ नहीं इस रोड के पहले भी कट चुके पेड़ भी इसी वन कर्मी ने इन्हीं लकड़कट्टों से चोरी कर कटवाये होंगे।
रपटा पुल के पास चोरी से शीशम के पेड़ कैसे कट गए। यहां पर लूट आदि घटनाओं के कारण पुलिस पिकेट रहती है तथा रोड गश्त भी होता है तो क्या उस समय पुलिस मौके पर नहीं थी अगर नहीं थी तो क्यों नहीं थी।बरवर से जहानीखेड़ा तक रोड गश्त करने वाली पुलिस उस समय कहाँ थी। रपटा पुल बरबर पुलिस चौकी क्षेत्र में आता है। यहीं से पिकेट ड्यूटी जाती है तो क्या शनिवार-रविवार की रात में पुलिस पिकेट नहीं गयी थी और अगर गयी तो पेड़ चोरी के समय कहाँ थी, इन प्रश्नों के कोई भी जिम्मेदार उत्तर देने को तैयार नहीं हैं।

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