मो. मुजम्मिल/मो. जलील, जुन्नारदेव/छिंदवाड़ा (मप्र), NIT:
इन दिनों शहर में रेत माफिया काफी सर्कीय हो गये हैं।बारिश थमने के बाद से अचानक रेत माफियाओं में इजाफा हो गया है। नदियों को खोखला करने का खेल धड़ल्ले से चल रहा है। अवैध उत्खनन कर दर्जनों ट्रैक्टर रेत का परिवहन कर रहे हैं। रेत माफियाओं द्वारा जाल बिछाया जाता है, वे जगह-जगह पर खड़े रहते हैं। मुखबिर फोन पर दी जाती है जानकारी। जुन्नारदेव के आसपास निर्माणाधीन साइट पर देर रात से अल सुबह तक की जाती है रेत सप्लाई। जिसमें नए-नए रेत माफिया नगर में घूमते फिरते हुए बड़े पैमाने पर रेत सप्लाई कर माल कमा रहे हैं जिसके चलते रेत के रेट आसमान छू रहे हैं। लोकल रेट 2500 से 3000 में निर्माण स्थल में डंपिंग कर रहे हैं। क्या होगा उनका जिनके प्रधानमंत्री आवास निर्माण का सपना अब आधर पर लटक गया है जो ऊंचे दामों पर नहीं खरीद पा रहे हैं रेत। शासन प्रशासन समय-समय पर कार्रवाई करता है लेकिन अवैध रेत माफियाओं पर रोक लगाने में नाकाम साबित हो रहा है जिससे उनकी कार्यशैली पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। रेत परिवहन धड़ल्ले से रात 12:00 से सुबह 6:00 बजे तक चालू है यह सोचनीय विषय है अब तो रेत माफियाओं द्वारा अधिकारियों के लोकेशन लेने देने पर हो रही है जासूसी जिसके लिए मिलती है मोटी तनख्वाह इस विकासखंड में रेत का अवैध कारोबार चरम पर है क्या वन विभाग क्या वन विकास निगम राजस्व खनिज हमले सहित शासन प्रशासन सफेदपोश नेता का खुला संरक्षण क्या शासन को क्षति नहीं पहुंचा रहा है निरंतर प्रकाशन समाचार पर भी जिला खनिज विभाग के अधिकारियों सहित स्थानीय प्रशासन इस ओर कोई ठोस पहल क्यों नहीं करता क्या कारण है कि इस अवैध व्यवसाय की कड़ी को तोड़ने में स्थानीय प्रशासन सहित जिला प्रशासन कार्रवाई न करने पर नाकामियों सिद्ध हो रहा है जिससे शासन को भारी क्षति के साथ ही साथ शासन द्वारा संचालित योजनाओं से लाभांवित हितग्राहियों को अत्याधिक परेशान नजर आ रहे हैं अब देखना यह है कि जो अवैध व्यवसाय प्राप्त संरक्षण के आधार पर यह व्यापार में लाखों की चांदी काट रहे हैं शासन को हो रही छती को प्रशासन रोकने में कहां तक कामयाबी हासिल करता है यह सब गग्र का विषय बना है।
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