हम माननीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में भारत को ज्ञान आधारित महाशक्ति बनाने के लिए कृत संकल्पित हैं: डॉ अवनीश मिश्रा | New India Times

राकेश यादव, देवरी/सागर (मप्र), NIT:

हम माननीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में भारत को ज्ञान आधारित महाशक्ति बनाने के लिए कृत संकल्पित हैं: डॉ अवनीश मिश्रा | New India Times

दमोह लोकसभा सांसद प्रहलाद सिंह पटेल, केंद्रीय मंत्री प्रतिनिधि डॉ अवनीश मिश्रा ने बताया कि हम माननीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में भारत को ज्ञान आधारित महाशक्ति बनाने के लिए कृत संकल्पित हैं। मेरा मानना है कि नई शिक्षा नीति 2020 के माध्यम से हम भारत को गुणवत्ता परक, नवाचार युक्त, प्रौद्योगिकी युक्त और भारत केंद्रित शिक्षा दे पाने में सफल होंगे।को गुणवत्ता, पहुंच, जवाबदेही, सामर्थ्य और समानता के आधार पर एक समूह प्रक्रिया के अंतर्गत बनाया गया है। जहां विद्यार्थियों के कौशल विकास पर ध्यान दिया गया है वहीं पाठ्यक्रम को लचीला बनाया गया है ताकि वे अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा का सफलतापूर्वक मुकाबला कर सके। नई शिक्षा नीति दुनिया में इतने बड़े विचार-विमर्श के बाद यह पहली ऐसी शिक्षा नीति होगी। इसमें करोड़ों लोग शामिल हुए है। इस शिक्षा नीति में गांव पंचायत, शिक्षाविदों, राजनेताओं, वैज्ञानिकों, छात्र और अभिभावकों से भी राय ली गई है। देश एक तरफ कोरोना से  लड़ रहा था तो लॉकडाउन में शिक्षक ऑनलाइन छात्रों को पढ़ाने में व्यस्त थे। दूरदर्शन और रेडियों के माध्यम से शहरों के साथ ग्रामीण इलाकों के छात्रों तक ऑनलाइन शिक्षा पहुंचाई जाएगी।

1.विद्यार्थियों की आरंभिक शिक्षा को कला संस्कृति से जोड़ने का निर्णय नयी शिक्षा नीति के रचनात्मक पक्ष को बता रहा है, उन्हें हमारी श्रेष्ठ संस्कृति की समझ को बढ़ाएगा, वो बेहतर नागरिक बनेंगे।

2.नई शिक्षा नीति में कला संस्कृति भाषा तथा भारतीय पहचान से जोड़ने की नीति का मैं स्वागत करता हूँ, यह नीति हमारी सांस्कृतिक विरासत को सशक्त करने में समर्थ भूमिका निभाएगी ऐसी आशा करता हूँ।

3.शिक्षा के प्रत्येक स्तर पर भारतीय भाषाओं की प्राथमिकता हमारी मेधाक्षमता को सुयोग्य स्थान प्रदान करेगी।हमारे मेधावी छात्रों के लिये यह शिक्षा नीति वरदान सिद्ध होगी।

4.नई शिक्षा नीति मे भारतीय भाषाओं में तकनीकी शब्दावली पर आग्रह स्वागतयोग्य है,भारत के युवाओं को भारतीय भाषाओं में तकनीकीशिक्षा तेजी से आगे बढ़ते हुए भारत मे नए द्वार खोलेगी,गाँव देहात की मेधा को स्थान मिलेगा।

5.प्रत्येक विद्यालय में आर्टिस्ट-इन-रेसिडेंस की संकल्पना संस्कृति,संस्कार,कला,विद्यार्थियों के लिए युगांतकारी परिवर्तन लाएगी।यह कलाकारों के लिए संबल तथा विद्यार्थियों के लिए रचनात्मक प्रतिभा के विकास का मार्ग प्रशस्त करेगी।

6.स्थानीय स्तर के कलाकारों, शिल्पियों, लेखकों एवं विशेषज्ञों को विद्यालयों के साथ जोड़ने के सुखद परिणाम होंगे।यह कला संस्कृति के संदर्भ में विद्यालयीन शिक्षा में सराहनीय ढांचागत सुधार है।

7.संस्कृत विश्वविद्यालयों में अन्य विषयों को आरम्भ करने का निर्णय संस्कृत की उपयोगिता,उपादेयता को अन्य विषयों में भी स्थापित करेगा,संस्कृत की समृद्ध ज्ञान संपदा अन्य विषयों को निश्चित रूप से समृद्ध करेगी।

8.कला,प्रकृति विज्ञान,खेल में जनजातियों की सदियों से संचित ज्ञानसंपदा के उपयोग को मुख्यधारा में लेकर आएगा,यह हमारी शिक्षा,समाज राष्ट्र को सशक्त,समर्थ सक्षम भारत के निर्माण में सहयोग करेगा।

8.पाली,प्राकृत,फारसी जैसी प्राचीन भाषाओं की संस्थाओं को विश्वविद्यालयों के साथ जोड़ने और उनकी स्वायत्तता को अक्षुण्ण रखने का निर्णय प्राचीन भाषाओं के संरक्षण संवर्धन में मील का पत्थर सिद्ध होगा नईशिक्षानीति से इस पक्ष को बल मिलेगा।

9.राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भारतीय भाषाओं को महत्त्व दिया जाना निश्चित ही सराहनीय कदम  है। मैकाले शिक्षा पद्धति से छुटकारा दिलाने के लिए यह कदम वरदान सिद्ध होगा।आनंद दीक्षित मीडिया प्रभारी ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लागू करने के फैसले का दिल से स्वागत किया है। छात्र-छात्राओं,युवाओं की ओर से कहा गया है कि यह नीति आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। भारत के सम्मानित नागरिक शिक्षा के क्षेत्र में प्राथमिक से लेकर उच्च स्तर शिक्षा तक बदलाव का इंतजार कर रहे थे। राष्ट्र ने शिक्षा को ज्ञान आधारित, रोजगारोन्मुखी, प्रौद्योगिकी-उन्मुख बनाने के लिए सुधार किए हैं और लंबे समय तक सर्वांगीण विकास पर ध्यान केंद्रित किया है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति आम भारतीय की आकांक्षाओं के अनुरूप होगी।


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