पीयूष मिश्रा, ब्यूरो चीफ, सिवनी (मप्र), NIT:
जनप्रतिनिधियों की ताबड़तोड़ कोशिश ने पेंच व्यापवर्तन परियोजना का श्रेय लेने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। इनकी वोट बैंक की राजनीति एवं जल्द बाजी का दंश झेलते झेलते किसान परेशान होकर अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे हैं और देखने सुनने वाला कोई नहीं है। अखबारों की सुर्खियों में हमेशा ही पेंच नहर के भ्रष्ट कारनामों को लेकर अनेक दासताँ जनहित में लिखी परंतु सम्बंधित विभाग प्रशासन कौन से युग के कुंभकरण की निंद्रा में लीन है जो 6माह की तो छोड़ो 6वर्ष हो चले शिकवा शिकायत के उपरांत भी नही जाग पाया। इस पेंच नहर निर्माण में एक विसंगति हो तो बात बंद कर सकते हैं इसमें अनेक विसंगतियां हैं। जैसे भूमी अधिग्रहण के बाद किसानों को भूमि का सही मूल्य समय पर ना मिलना, निर्माण कार्य के दौरान किसानों के खेतों में मलबा बोल्डर पत्थर फेंक कर छोड़ जाना। अनेक किसानों ने अपने स्वयं की राशी से मटेरियल साफ करवाये जिसके कारण आर्थिक तंगी से परेशान होना पड़ा तो कुछ किसान पहाड़ नुमा मलवा का सामना ना कर सके और थक हार कर बैठ गए और अपनी बर्बादी अपने ही सामने देख रहे हैं ।प्रति वर्ष मुख्य नहरों का फूट जाना। बीते वर्ष भंडारपुर में मुख्य नहर फूटने के कारण दर्जनों किसानो की मक्का फसल प्रभावित हुई पर क्षतिपूर्ति राशी नही दी गई ।बीते वर्ष हेमराज सनोड़िया की फसल गेहूं आग से जल गई मक्का जल भराव से सड़ गया, 2020 में गेहूं ओलावृष्टि से नष्ट हो गई मकान की दीवाल ढह गयी परंतु देखने वाला कोई नहीं।
यही आलम सापापार, पिपरिया, कमकासुर, चारगाँव, फुलारा, करहैया, कारीरात सहित अनेक ग्रामों का है। जो नहर निर्माण के भृष्ट कार्य से प्रभावित हैं। कांक्रीट का कोट ना होना, एक्वाडक सही ना होना, माईनर एवं पुल निर्माण ना होना, पानी निकासी नहीं दिया जाना, नहर निर्माण हेतु मुख्य मार्गों को खोदना परंतु मार्ग का सुधार नहीं किया जाना, बिजली के खंबों को विभाग की बगेर अनुमति के उखाड़कर बगेर कंक्रीट के अनयंत्र जगह में गाड़ देना जिसके कारण तारोंं का आपस में टकरना और आगजनी घटना से किसानों की फसल जलकर खाक होना जैसी और भी कहानी देखने को मिलेंगी ।सिर्फ देखने सुनने एवं कार्यवाही करने का होसला होना चाहिये ।है कोई महामानव जो किसानों का उद्धार कर सके विकास की गंगा के साथ या फिर मूक दर्शक बने रहेंगे?
किसान संघर्ष समिति प्रदेशप्रतिनिधि, डॉ राजकुमार सनोड़िया
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