मुस्लिम समुदाय के पिछड़ने के कारणों को स्वयं मुसलमान को ही तलाशने होंगे | New India Times

अशफाक कायमखानी, जयपुर (राजस्थान), NIT:

मुस्लिम समुदाय के पिछड़ने के कारणों को स्वयं मुसलमान को ही तलाशने होंगे | New India Times

हालांकि प्रिंटिंग प्रेस से लेकर आंखों की रोशनी बढाने के लिये आंखों पर चश्मा लगाने के अलावा लाऊडस्पीकर पर अजान देने की शुरुआत होते समय मुस्लिम समुदाय का एक तबका इनके उपयोग के सख्त विरोध में आ खड़ा हो कर आरपार की लड़ाई लड़ने को तैयार था लेकिन धीरे धीरे इस तहर की वैज्ञानिक तरक्की की उपयोगिता के बढते कदमों की जद में वो तबका भी आकर फायदा उठाने लगा जो कभी इसका सख्त विरोधी हुवा करता था।
कुरान ए पाक की हिदायतों व शिक्षा को जो शख्स अच्छे से समझकर पढ लेता है तो उसके जेहन के बल्ब्स जगमगाते लगाते है। पता चलेगा कि आज की विज्ञान व वैज्ञानिकों द्वारा किये जा रही खोज के बारे में कुरान ए पाक ने जो बहुत पहले बताया था वो सबकुछ आज साफ साफ नजर आ रहा है। इतना सब कुछ होने के बावजूद हमरा एक तबक आज भी विज्ञान की तरक्की का सदुपयोग करने की मुखालफत करने से नासमझी के कारण बाज नहीं आ रहा है।
विश्व भर में कोविड-19 के रुप में आई वबा के कारण आज हर इंसान पेशोपेश मे नजर आ रहा है। भारत मे 24 मार्च से जारी लगातार लाॅकडाउन ने जीवन के हर पहलू को पूरी तरह बललकर रख दिया है। आज जदीद तालीम की अधीकांश शेक्षणिक संस्थानो ने अपने स्टुडेंट्स की शिक्षा को जारी रखने के लिये आनलाइन पद्वति का सदुपयोग किया व कर रहे है। जबकि बडी तादाद मे जकात-खेरात व अन्य इमदाद जमा करके चलने वाले मुस्लिम समुदाय के मदरसे समय की रफ्तार के साथ नही चल पाने के कारण आज सभी मदरसे अपने स्टुडेंट्स को आनलाइन पढा पाने मे सक्षम नही पा रहे है। जिसका कारण साफ है कि हमारे मदरसे व उनके संचालक वक्त की जरूरत को पहचानने व अपने आपमे एव मदरसों मे आवश्यकता अनुसार बदलाव लाने मे कमजोर साबित हुये है। अगर समय समय पर अपने अड़यल रुख को त्याग कर रोज बदलती तकनीक का ठीक से उपयोग करने का जेहन बनाकर उसके मुताबिक़ मदरसों मे बदलाव की बयार बहाई जाती तो आज अन्य जदीद तालीम पाने वाले स्टुडेंट्स की तरह मदरसों के स्टुडेंट्स भी आनलाइन अपनी तालीम को जारी रख पाने मे सफल होते।
कुल मिलाकर यह है कि कोविड-19 के प्रकोप के चलते बचाव की खातिर जारी लोकडाऊन मे रोज आये बदलाव व मुश्किलों से मुस्लिम समुदाय व उनके कुछ कथित लीडरान को सबक लेकर अपने आप मे बदलाव लाना होना। अगर बदलाव लाकर वक्त की रफ्तार को ठीक से पहचान करके कुरान ऐ पाक के हर लफ्ज़ को ठीक ठीक समझकर वैज्ञानिक क्रांति को अपने पर विचार करना होगा।


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