गैस पीड़ितों के बीच काम करने वाले संगठनों ने लगाया गंभीर आरोप, BMHRC अस्पताल रोज़ अपनी इमरजेंसी वार्ड से गैस पीड़ितों को भर्ती करने से मना करते हुए पहुंचा देते हैं हमीदिया हॉस्पिटल | New India Times

अबरार अहमद खान, स्टेट ब्यूरो चीफ, भोपाल (मप्र), NIT:

गैस पीड़ितों के बीच काम करने वाले संगठनों ने लगाया गंभीर आरोप, BMHRC अस्पताल रोज़ अपनी इमरजेंसी वार्ड से गैस पीड़ितों को भर्ती करने से मना करते हुए पहुंचा देते हैं हमीदिया हॉस्पिटल | New India Times

गैस पीड़ितों के बीच काम कर रहे चार संगठनों ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर यह बताया है की भोपाल शहर में COVID-19 से मरने वालो में से 75% गैस पीड़ित हैं और इस बीमारी का कहर गैस पीड़ितों पर सबसे ज्यादा बरपा है। नॉवेल कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से हुई बहुसंख्यक गैस पीड़ितों की मौतों से यह स्थापित होता है की 35 साल बाद गैस पीड़ितों का स्वास्थ्य इसलिए नाजुक है क्योंकि उनके स्वास्थ्य को यूनियन कार्बाइड की जहरीली गैस के वजह से स्थाई क्षति पहुँची है। “इसलिए हम मुख्यमंत्री से यह गुहार करते है की सर्वोच्च न्यायालय में लंबित सुधार याचिका में गैस काण्ड की वजह से सभी 5,21,322 गैस पीड़ितों स्थाई तौर पर क्षतिग्रस्त होने के सही आंकड़े रखे ताकि यूनियन कार्बाइड और डाव केमिकल से सभी गैस पीड़ितों के लिए सम्मानजनक मुआवजा लिया जा सके।
गौरतलब है की गैस पीड़ित संगठन 21 मार्च और 23 अप्रैल को केंद्र एवं राज्य सरकार को चिट्ठी लिख कर बता चुके है की इस संक्रमण के चलते अगर गैस पीड़ितों पर विशेष ध्यान नहीं दिया गया तो बहुत गैस पीड़ित अपनी जान गाएंगे। “शहर में हुई 60 मौतों पर आधारित यह विस्तृत रिपोर्ट स्पष्ट रूप से बताती है की सिर्फ 60 साल से ऊपर के गैस पीड़ित ही इसके चपेट में नहीं आए ह।38-59 वर्ष की आयु में काल कवलित होने वाले व्यक्तियों में 85% भोपाल के यूनियन कार्बाइड गैस काण्ड के पीड़ित है।

गैस पीड़ितों के बीच काम करने वाले संगठनों ने लगाया गंभीर आरोप, BMHRC अस्पताल रोज़ अपनी इमरजेंसी वार्ड से गैस पीड़ितों को भर्ती करने से मना करते हुए पहुंचा देते हैं हमीदिया हॉस्पिटल | New India Times

कोविड-19 की वजह से मरनेवाले गैस पीड़ितों में से 81% गैस पीड़ित पुरानी बीमारी (गैस जनित) बीमारी से ग्रस्त थे। इसके अलावा 75% गैस पीड़ित अस्पताल में भर्ती होने के 5 दिन के अंदर ही खत्म हुए और भर्ती होने के 24 घंटे के अंदर 84% गैस पीड़ित ख़त्म हुए हैं। “इसलिए हम सरकार से बार बार कह रहे है की गैस पीड़ितों की पुरानी बीमारियों के मद्देनजर सभी हाई रिस्क गैस पीड़ितों की टेस्टिंग एवं मॉनिटरिंग बहुत जरूरी है। 21 अप्रैल के मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार BMHRC को अस्पताल आने वाले गैस पीड़ितों की कोरोना जांच करनी है। आदेश के बावजूद भी ICMR द्वारा संचालित BMHRC अस्पताल रोज अपनी इमरजेंसी वार्ड से गैस पीड़ितों को भर्ती करने से मना करते हुए हमीदिया पहुंचा देता है जिसकी वजह से कम से कम 5 गैस पीड़ित COVID-19 की वजह से अपनी जान गवा चुके है। ऐसी आपराधिक लापरवाही का खामियाजा गैस पीड़ितों को भुगतना पड़ रहा है और ICMR को इसकी सुध भी नहीं है।

“मुख्यमंत्री से आशा है की वह जैसे सभी प्रदेश वासियो को COVID-19 से लड़ने के लिए प्रोत्साहित कर रहे है, वह उसी उत्साह से यूनियन कार्बाइड के जहरों से पीड़ितों का साथ खड़े होकर पूरे विश्व को बताएंगे की भोपाल शहर में COVID-19 की वजह से मरनेवाले जब 75% गैस पीड़ित है तो उन्हें गैस रिसाव से पहुँची क्षति अस्थाई नहीं हो सकती और गैस पीड़ितों के स्वास्थ्य के पहुंची स्थाई क्षति के सही आंकड़े सर्वोच्च न्यायालय में रखेंगे”।


Discover more from New India Times

Subscribe to get the latest posts to your email.

By nit

This website uses cookies. By continuing to use this site, you accept our use of cookies. 

Discover more from New India Times

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading