अबरार अहमद खान/मुकीज़ खान, भोपाल (मप्र), NIT:
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के न्यू कबाड़ खाना स्थित जामा मस्जिद अहले हदीस में मौलाना मोहम्मद मुदस्सिर सल्फी ने 11बज कर 45 मिनट पर सूरज ग्रहण की नमाज़ अदा कराई।
इस मौके पर लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि
सूरज और चांद अल्लाह तआ़ला की निशानियों में से दो निशानियां हैं, अल्लाह तआ़ला इन दोनों के ज़रिए अपने बंदों को डराता है और यकीनी बात है कि यह दोनों किसी शख्स की मौत पर ग्रहण नहीं होते, जब भी तुम इनमें से किसी को ग्रहण लगता हुआ देखो तो लंबी नमाज़ पढ़ो और अल्लाह तआ़ला से दुआ़ करो यहां तक कि तुम अपनी बराबर हा़लत में आ जाओ। आगे उन्होने कहा कि एक बार नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की जिंदगी में सूरज ग्रहण हुआ तो नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम मस्जिद चले गए और लोगों ने आपके पीछे सफ बना ली, तो आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने तकबीर कही और फिर लंबी कि़रत फरमाई, फिर आप ने तकबीर कहकर लंबा रुकूअ़ किया, फिर आप ने “समिअ़ल्लाहु लिमन ह़मिदह, रब्बना वलकल ह़म्द” कहा और खड़े रहे सजदा नहीं किया, फिर आपने दोबारा लंबी कि़रत फरमाई लेकिन यह पहली क़िरत से क़दरे कम थी, फिर आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने दोबारा तकबीर कहते हुए लंबा रुकूअ़ किया और यह पहले रुकूअ़ से कम लंबा था। फिर आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने “समिअ़ल्लाहु लिमन ह़मिदह, रब्बना वलकल ह़म्द” कहा फिर आप सजदे में चले गए और फिर दूसरी रकअ़त भी इसी अंदाज से पढ़ाई।
इस तरह आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने दो रकअ़त नमाज़ में चार रुकूअ़ और चार सजदे फरमाए। उन्होंने ने अपने संबोधन में कहा कि
अल्लाह तआ़ला की तरफ से यह निशानियां किसी की मौत या जिंदगी की वजह से ज़ाहिर नहीं होतीं, अलबत्ता अल्लाह तआ़ला इन के जरिए अपने बंदों को डराता है, चुनांचे अगर तुम्हें इस कि़स्म की कोई निशानी नज़र आए तो फौरी तौर पर जि़क्रे इलाही, दुआ और इसतिग़फार में मग़न हो जाओ।
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