मुस्लिम परिवार में 40 वर्षों तक रही 90 वर्षीय पंचु बाई को सोशल मीडिया ने मिलाया बिछड़े हुए परिवार से, विदाई के समय छलक पड़ीं सभी की आंखें | New India Times

इम्तियाज़ चिश्ती, ब्यूरो चीफ, दमोह (मप्र), NIT:

मुस्लिम परिवार में 40 वर्षों तक रही 90 वर्षीय पंचु बाई को सोशल मीडिया ने मिलाया बिछड़े हुए परिवार से, विदाई के समय छलक पड़ीं सभी की आंखें | New India Times

आज हम आपको ऐसी हक़ीक़त से रूबरू करायेंगे जो आपने सिर्फ कहानियों में या अक्सर फिल्मों में देखा सुना  होगा कि कोई परिवार का सदस्य 40  सालों से गुमशुदा हुआ हो घर के लोगों ने भी जिन्दा रहने की उमीद भी खो दी हो फिर अचानक ख़बर लगे कि एक हिन्दू परिवार की बुजुर्ग महिला किसी मुस्लिम परिवार में पूरे चालीस सालों से एक परिवार की सदस्य बनकर रह रही है जो अब पूरे गाँव की मौसी कहलाती है। लेकिन जब उस बुजुर्ग महिला का परिवार लेने आता है तो एक मुस्लिम परिवार ही नहीं बल्कि पूरी मुस्लिम आबादी वाला गाँव फूट फूट कर रोने लगता है। ये मामला है मध्यप्रदेश के दमोह जिले के कोटा तला गाँव का जहाँ के एक एक बच्चा, महिला, बुजुर्ग सभी की उस वक़्त आँखे नम हो गईं जब उनके गाँव से उनकी मौसी हमेशा के लिए विदा हो रही थी। यहां का बच्चा बच्चा 90 वर्षीय महिला पंचु बाई को प्यार से मौसी कहकर पुकारता है।

मुस्लिम परिवार में 40 वर्षों तक रही 90 वर्षीय पंचु बाई को सोशल मीडिया ने मिलाया बिछड़े हुए परिवार से, विदाई के समय छलक पड़ीं सभी की आंखें | New India Times

43 साल पहले महाराष्ट्र के नागपुर के एक गाँव से लापता हुई महाराष्ट्रीयन परिवार की बुजुर्ग महिला पंचु बाई किसी तरह दमोह के कोटा तला गाँव पहुँची थी जहां मधु  मख्खियों ने उन पर हमला कर दिया था उस वक़्त दमोह जिले के कोटा तला निवासी नूर खान ने अपने घर में शरण दी थी तब से यहीं रहीं। नूर खान के पुत्र इसरार खान ने काफी समय तक उनके परिजनों को ढूंढ़ने की कोशिश की लेकिन कामयाबी नहीं मिली, अब जब एक बार फिर कोशिश की गई, सोशल मीडिया पर बुजुर्ग पंचु बाई का एक वीडियो वायरल किया तब परिजनों ने पहचान लिया और आज 43 साल बाद अब उसका पोता पृथ्वी कुमार शिन्दे अपनी पत्नी और उनके मित्र एक कार से महाराष्ट्र के नागपुर से मध्यप्रदेश के दमोह कोटा तला गाँव दादी को लेने पहुँच गये लेकिन जब अपनी दादी को गाँव कोटा तला से विदा करके ले जाने लगा तो गाँव की पूरी मुस्लिम आबादी का एक एक बच्चा फूट फूट कर रोने लगा। ये दृश्य देखकर खुद पृथ्वी कुमार शिन्दे को कहना पड़ा कि आप लोगों के प्यार को सलाम।नागपुर से आये पृथ्वी कुमार शिन्दे ने जब अपनी दादी की विदाई गाँव कोटा तला में देखी तो हर शख्स की आँखे नम थीं, आखिर उन्हें गाँव वालों से कहना पड़ा आप लोगों ने मेरी दादी की चालीस साल से ज्यादा वक्त तक सेवा की है अब उनकी जिन्दगी के आखरी वक़्त में हम लोगों को भी सेवा का मौका चाहिये। इसरार खान जो खुद भी कहते हैं कि हम तो पैदा भी नहीं हुए थे तब से मौसी को मैंने अपने घर में ही देखा हमने अपनी माँ और मौसी में कभी कोई फर्क नहीं समझा लेकिन आज मौसी हमसे अगर विदा हो रहीं है तो ख़ुशी इस बात की है कि उनको उनका खोया परिवार मिल रहा है। ये मंज़र देखकर महिलाएं अपने आपको रोक नहीं पाईं, जब उनकी मौसी नई साड़ी में तैयार, लाल कलर की कार में सवार होकर उनसे हमेशा के लिये विदा हो रही थी तब किसी ने उन्हें गले लगाया तो किसी ने अपनी संस्कृति के अनुसार बुजुर्ग मौसी के हाथ चूमे, फूल मालाएं पहनाई और दुआएँ ली। इस दृश्य को देखकर वरिष्ठ समाज सेवी आधारशिला संस्थान के डायरेक्टर डॉ अजय लाल कहते हैं कि नूर खान का पूरा परिवार अपने आप में एक मिशाल है समीर और इसरार भी आधारशिला संस्थान में वर्षों से कार्यरत हैं जैसा उन्हें अपने घर परिवार और कार्यरत संस्थान में जो समाज सेवा का अनुभव होता है वो अपनी असल जिंदगी में उसे अपनाये हुए हैं जो काबिले तारीफ है, यही सच्ची मानव सेवा है। वहीँ  मुस्लिम समाज के वरिष्ठ समाज सेवी उस्ताद अनवारुलहक़ का भी कहना है की ये हमारी संस्कृति है और यही हमारा असली हिन्दुस्तान जो हमारे शहर की गंगा जमुनी तहजीब संस्कृति को बरकरार रखे हुए है।

मुस्लिम परिवार में 40 वर्षों तक रही 90 वर्षीय पंचु बाई को सोशल मीडिया ने मिलाया बिछड़े हुए परिवार से, विदाई के समय छलक पड़ीं सभी की आंखें | New India Times

आज इसरार खान और उनके भाइयों ने बता दिया की इंसानियत से बढ़कर कोई और काम नहीं हो सकता। मुस्लिम आबादी वाला सारा गाँव अपने भारी गले और नम आँखों से अपनी मौसी को विदाई दे रहा था। उस वक़्त सारा गाँव मैदान में इखट्ठा हो गया बीच में मौसी सभी के सवालों का अपनी ही भाषा में जबाब देतीं तो वहीं गाँव के लोगों की आखों से भी आँसू छलक पड़े लेकिन सबको ख़ुशी इस बात की है कि मौसी 43 साल बाद वापस अपने शहर अपने गाँव जा रही हैं तो इस मुस्लिम परिवार ने भी मानवता की एक बेहतरीन मिशाल कायम की जो दूसरों के लिए नज़ीर बन गया। इससे सबक लेना होगा उन चंद लोगों को जो अपने स्वार्थ और राजनीति के लिए सारे  देश में धर्म के नाम पर जहर घोलने का काम करते हैं।


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