राकेश यादव, देवरी/सागर (मप्र), NIT:
लॉकडाउन के बाद से सरकारी रेत खदाने बंद हैं और रेत की किल्लत से आम नागरिक एवं ठेकेदार परेशान हैं। निर्माण कार्य ठप्प पड़े गये हैं। मानसून से पूर्व निर्माण पूरे न होने से आवास योजना के हितग्राहियों सहित निजी एवं सरकारी निर्मार्णो को भारी नुकसान होने की संभावना है। ऐसे मौके का फायदा उठाकर सक्रिय रेत चोर एक ओर सरकारी रायल्टी चोरी कर लाखों रूपये राजस्च की हानि पहुँचा रहे हैं वहीं दूसरी और चौगुने दामों पर रेत आपूर्ति कर सरकार द्वारा प्रदत्त अनुदान पर डाका डाल रहे है। दिन और रात में धड़ल्ले से परिवहन हो रही सैकड़ों डंफर अवैध रेत की आवाजाही पर न तो प्रशासन का नियंत्रण है और न ही खनिज विभाग इस पर अंकुश डालने को लेकर
गंभीर है।
वैश्विक कोरोना संक्रमण की रोकथाम एवं नियंत्रण को लेकर जूझ रहे शासन प्रशासन एवं आम आदमी के लिए स्थितियां भले ही मुश्किलों भरी हो लेकिन प्रदेश भर में सक्रिय रेत चोरों, खनन माफियाओं एवं भ्रष्ट अधिकारियों के लिए यह समय वरदान साबित हो रहा है। मौके का फायदा उठाकर धड़ल्ले से हो रहे अवैध रेत उत्खनन, परिवहन और विक्रय को मिल रहे राजनैतिक और
प्रशासनिक संरक्षण में यह व्यापार खरपतवार की तरह फल फूल रहा है। नजदीकी नरसिंहपुर जिले से चोरी कर डंफरों में भरकर लाई जा रही अवैध रेत चार गुने
दामों से विक्रय की जा रही है। राष्ट्रीय राजमार्ग फोरलेन सड़क सहित, तेंदुखेड़ा सहजपुर मार्ग एवं महाराजपुर तारादेही मार्ग से लाये जा रहे इन डंफरों की आवाजाही
को लेकर प्रशासन एवं पुलिस द्वारा कोई धरपकड़ नहीं की जा रही है। विगत वर्ष चले अभियानों में सक्रियता दिखाकर अवैध परिवहन एवं ओव्हर लोडिंग का प्रकरण
बनाने वाले प्रशासनिक अधिकारी एवं थाना पुलिस पूरे मामले में चुप्पी साधे हुए हैं। अकेले राष्ट्रीय राजमार्ग 44 फोरलेन सड़क से होकर प्रतिदिन रात्रि एवं दिन में
सैकड़ों डंफरों द्वारा अवैध परिवहन किया जा रहा है जिसकी पुष्टि टोल बैरियरों के सीसीटीव्ही फुटेज से की जा सकती है। परंतु इस मामले में मौन खनिज विभाग एवं प्रशासन के अधिकारी प्रतिदिन लाखों रूपये की रायल्टी चोरी करने के साथ साथ आम नागरिकों से लूट को
नजरअंदाज कर रहे हैं।
रेत चोरी से सरकार को करोड़ों का घाटा
जिलावार नई रेत नीति के अंतर्गत निर्धारित की गई रेत की रायल्टी के दामों पर नजर डालें तो नरसिंहपुर में नई स्वीकृत दरों के अनुसार ठेका कंपनी को प्रति घनमीटर रेत
के लिए देय राशि 333 रूपये थी। ट्रेक्टर ट्राली के लिए 3 घनमीटर रेत की रायल्टी के लिए लगभग 999 रूपये निर्धारित थे। वहीं 6 पहिया डंफर में उसी दर से 9 घनमीटर के लिए एवं 10 पहिया डंफर में 15 से 16 घनमीटर रेत की रायल्टी जारी की जानी थी जिससे सरकार को प्रतिदिवस लाखों रूपये राजस्व प्राप्त होना था।
नरसिंहपुर जिले की खदानों की बात करें तो सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार दुधी नदी में पनागर, ढिगासरा, अजंदा, संसार खेड़ा, महेश्वर, तूमड़ा, बैरागढ़, शक्कर नदी में खिरिया, बगदरा़, कुड़ारी, सीतारेवा नदी में घूरपुर, दिघोरी, गांगई, चीचली खदानों के साथ नर्मदा नदी की ग्राम पंचायतों द्वारा संचालित बोरास, भूमिया ढाना, झिकोली बरमान घाट, ककरा घाट एवं अन्य स्थानों से भी रेत का
वैध एवं चोरी छुपे अवैध परिचहन किया जाता रहा है। नरसिंहपुर जिले में हो रहे रेत के भारी उत्खनन के कारण जिले की सीता रेवा, दुधी शक्कर, ऊमर एवं जीवनदायनी नर्मदा नदी के अस्तित्व को भी खतरा उत्पन्न हो गया है। इस संबंध में राष्ट्रीय हरित अभिकरण द्वारा दिशा निर्देशों को दरकिनार कर माफिया चोरी छुपे मशीनों से रेत खनन कर सरकार को लाखों-करोड़ों रूपये राजस्व की हानि पहुँचा रहे हैं।
1400 करोड़ मिलना था राजस्व पर माफिया हुए हावी
प्रदेश की कमलनाथ सरकार द्वारा इस वर्ष के लिए नई रेत खनन नीति लागू की थी जिसके तहत प्रदेश के 43 जिलों के लिए 43 ठेकेदार समूहों को रेत खनन की मंजूरी का प्रावधान था। नई नीति से प्रदेश को 1400 करोड़ रूपये
सालाना राजस्व का अनुमान लगाया गया था। इसके पहले टेंडर में 39 जिलों में ठेकेदार कंपनियों का चयन किया गया था। ठेका कंपनियों से 614 करोड़ रूपये सुरक्षा
निधि भी जमा कराई गई थी लेकिन बाद में सरकार बदलने एवं कोरोना लॉकडाउन के कारण खदानें बंद होने के कारण ठेका कंपनियों ने खनन आरंभ नहीं किया जिसके चलते रेत के दाम आसमान को छूने लगे और सरकार की महत्वकांक्षी प्रधानमंत्री आवास योजना ही बुरी तरह प्रभावित हो रही है। प्रदेश की वर्तमान सरकार द्वारा 27 मई को जारी आदेश में सरकार द्वारा ठेका कंपनियों से
31 अक्टूबर 2020 तक वास्तविक उत्खनित मात्रा पर अनुबंधित दर पर ठेके की राशि लिये जाने संबंधी आदेश जारी किया था परंतु एनजीटी के नये निर्देशों के कारण उक्त आदेश पर कार्य आरंभ नहीं हो सका है। सरकार द्वारा लोकहित में शासकीय निर्माण कार्यो में रेत की आपूर्ति के लिए उत्खनन अनुज्ञा जारी करने के अधिकार जिला कलेक्टरों को जारी करने का निर्णय लिया गया है। जो स्वीकृत चनिविदा दर पर जिले की स्वीकृत निविदा दर पर अग्रिम राशि जमा करने पर अस्थाई अनुज्ञा जारी कर सकेंगे।
जिम्मेदारों की चुप्पी, ताक पर नियम कानून
रेत के गोरख धंधे से हो रही राजस्व हानि को लेकर जब स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों से बात की गई तो उन्होंने इस मामले को खनिज विभाग का विषय बताकर किसी भी प्रकार का बयान देने से इंकार कर दिया। विगत वर्षों में
डंफरों की धरपकड़ कर चर्चाओं में रहे पुलिस एवं प्रशासन के अधिकारी पूरे मामले में कन्नी काट रहे हैं। इस संबंध में जिला खनिज अधिकारी सागर से लगातार संपर्क के प्रयास के बाद भी रिस्पांस प्राप्त नहीं हो सका है।
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