एनएसयूआई ने एम्स भोपाल की अनियमितताओं को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को लिखा पत्र | New India Times

अबरार अहमद खान/मुकीज़ खान, भोपाल (मप्र), NIT:

एनएसयूआई ने एम्स भोपाल की अनियमितताओं को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को लिखा पत्र | New India Times

भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन के मेडिकल विंग प्रदेश समन्वयक रवि परमार ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स भोपाल में बी ग्रुप नानफैकल्टी के संकाय पद (टेक्नीशियन एवं अन्य पदों) पर की गई नियुक्ति में एम्स भोपाल की भर्ती नियम का पालन नहीं करने की शिकायत एवं अनियमितता की जांच और नियम विरुद्ध की गई नियुक्तियों को निरस्त कर दोषियों के खिलाफ अपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध करने और हॉस्टल की मैस का टेंडर रद्द करने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखा है।

एनएसयूआई मेडिकल विंग समन्वयक रवि परमार ने बताया कि मैं भोपाल में निवास करता हूं, मैं अपने कार्य क्षेत्र के साथ-साथ भोपाल में सामाजिक तथा करीब पीड़ित, सर्वहारा वर्ग के प्रति सदैव संघर्षरत रहता हूं।

रवि परमार ने बताया कि भारत सरकार द्वारा सर्वहारा एवं गरीब वर्ग के लिए प्रदेश की राजधानी भोपाल में एक नेशनल इंस्टिट्यूट की वर्ष 2012 में स्थापना की है। अखिल भारती आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) भोपाल से प्रदेश के प्रत्येक नागरिक को बहुत ही आशा है एवं हर व्यक्ति का उपचार सुलभ एवं सस्ते दर पर हो ऐसी हमारी आशा है।

एनएसयूआई ने एम्स भोपाल की अनियमितताओं को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को लिखा पत्र | New India Times

परमार ने बताया कि मैं शिक्षित एवं जागरूक नागरिक होने के साथ-साथ राजनीतिक पदाधिकारी होने के कारण लोग समस्या लेकर मेरे पास आते हैं ऐसे में एम्स भोपाल के प्रशासन के साथ मिलकर उनकी हर संभव मदद करता हूं। पिछले कुछ वर्षों में नागरिकों के हित के संरक्षण हेतु एम्स भोपाल में हुई प्रशासनिक अनियमितताओं और नियुक्तियों में गड़बड़ी एवं वित्तीय अनियमितताओं में माननीय उच्च न्यायालय में याचिका दायर हुई है जैसे डब्ल्यू. पी.- 1952/2016, और 11469/2015, और 15856/2015 .

परमार ने बताया कि एम्स भोपाल में कर्मचारी की छटनी एवं नियुक्ति को लेकर हाल में यहां के कई समाचार पत्रों में खबर चलती रहती हैं। इसी समय अभी हाल ही में एम्स भोपाल में बी ग्रुप की नियुक्ति को लेकर कुछ आवेदकों ने मुझसे संपर्क कर दस्तावेजी तथा उसके साथ हुई गड़बड़ियों की जानकारी दी। भोपाल में ही ऐसे कई लोग परीक्षा की पात्रता रखते हुए नौकरी की आस में फॉर्म भरा था इनका प्रतिनिधि करते हुए मुझे एम्स भोपाल के विज्ञापन संख्या – एम्स/भोपाल/रिक्रूटमेंट सेल/बी ग्रुप/ नॉन फैकल्टी/2018/ 03 दिनांक 31-3-2018 में हुई भारी भ्रष्टाचार की शिकायत आपसे कह रहा हूं। आपसे आग्रह है कि इसकी जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी से कराएं, दोषियों को चिन्हित कर उनके विरुद्ध कठोर से कठोर कार्रवाई करें ताकि एम्स भोपाल की स्वास्थ्य सेवाओं से खिलवाड़ की फिर कभी कोशिश ना हो।

रवि परमार ने निम्न बिंदुओं के आधार पर केंद्रीय मंत्री से निष्पक्ष कार्रवाई हेतु अनुरोध किया है –

  1. आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन: परीक्षा की तिथि की नोटिफिकेशन एवं परीक्षा तथा परीक्षाफल लोकसभा चुनाव में लागू आदर्श आचार संहिता के दौरान लिया गया क्या इसकी पूर्व स्वीकृति चुनाव आयोग से ली गई है उसकी जांच होनी चाहिए।
  2. वित्तीय अनियमितताएं: ऑनलाइन परीक्षा देश के विभिन्न शहरों में कराने के लिए लाखों रुपए का टेंडर दिया गया परंतु परीक्षा ऑनलाइन नहीं ली गई यहां परीक्षा एक ही शहर भोपाल के एक ही सेंटर एम्स में की गई ऑनलाइन परीक्षा के टेंडर की जांच हो तथा पूरे देश के अभ्यार्थियों से ऑनलाइन परीक्षा के लिए ली गई थी जो अभ्यर्थी परीक्षा केंद्र एवं पैटर्न बदलने का कारण जो नुकसान हुआ है उसकी वसूली कर परीक्षार्थियों को दिलाई जाए।
  3. एम्स भोपाल में नियुक्ति में अनुभव एवं योग्यता की अनदेखी: एम्स एक राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान स्थापित करने के लिए अनुभव एवं योग्यता से परिपूर्ण कर्मचारियों की जरूरत है ऑनलाइन परीक्षा जो देश के अलग-अलग शहरों में होनी थी इस तरह के संस्थान में नियुक्ति हेतु बहुत अच्छी व्यवस्था थी ऐसा ना करते हैं उनसे अभ्यर्थियों के साथ धोखा किया गया और प्रदेश की जनता को स्वास्थ्य लाभ से वंचित किया गया।
  4. परीक्षा में की गई अनियमितताओं का संक्षिप्त विवरण: विज्ञापन के नियम का पालन नहीं कर ऑनलाइन रजिस्टर्ड अभ्यर्थियों को परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं देना तथा परीक्षा में योग्य अभ्यर्थियों की योग्य और अयोग्य अभ्यर्थियों की सूची एम्स की विज्ञप्ति नहीं करना एम्स के भर्ती नियम और विज्ञापन में पदों की योग्यता के मनमाने ढंग से बदलाव घोषित परीक्षा परिणाम में कहीं पर परसेंट और कहीं पर पर सेंटरलाइन का उपयोग हेतु विषमता एमसी के कुछ पसंदीदा अभ्यार्थियों को 100 परसेंटेज देना जो कि खुद में एक अनियमितता है एक ही अभ्यार्थी को सामान्य एवं आरक्षित वर्ग में रखना डेंटल टेक्नीशियन डेंटल हाइजीनिस्ट के पदों पर डेंटल काउंसलिंग ऑफ इंडिया के एक्ट के अनदेखी करना।
  5. विज्ञापन की शर्तों के अनुसार ऑनलाइन परीक्षा तथा स्किल टेस्ट नहीं होना: परीक्षा में हुई अनियमितता को देखते हुए ऐसा प्रतीत होता है कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार ने दिनांक 24 जुलाई 2019 से नियुक्तियों पर रोक लगाई है परंतु एम्स भोपाल में कार्यरत लोगों ने बताया कि चयनित अभ्यार्थियों को अभी भी नियुक्ति दी जा रही है।
    24 जुलाई 2019 तक रोक लगने से पहले जिन अभ्यर्थियों की नियुक्ति हुई है उनकी सूची सार्वजनिक की जाए जांच में विलंब ना किया जाए वरना इसका अनुचित फायदा इस तरह के हेरा फेरी में मददगार साबित होगा।
  6. हॉस्टल की मैस का भोजन गुणवत्तापूर्ण होना: एम्स भोपाल स्टाफ के स्वास्थ्य को लेकर भी सजग नहीं है हॉस्टल की मैच में जो खाना पकता है वह बिल्कुल भी गुणवत्तापूर्ण नहीं रहता इसको लेकर स्टाफ ने भी कई बार शिकायत की है स्टाफ के भोजन में इलिया निकलना और वेज थाली में नॉनवेज के कुछ अंश आना आम बात है शिकायत के बाद भी कोई सुधार नहीं किया गया स्टाफ और मरीजों के स्वास्थ्य और गुणवत्तापूर्ण भोजन के लिए जो एजेंसी का टेंडर है उसको तत्काल रद्द कर दूसरा टेंडर करें जिससे कि भोजन में सुधार हो।

रवि परमार ने पत्र के माध्यम से अनुरोध किया है कि एम्स भोपाल में बेरोजगार युवकों के साथ हो रहे अन्याय को देखते हुए निष्पक्ष पूर्वक जांच करने के आदेश जारी कर अनुग्रहित करने की कृपा करें साथ ही एम्स भोपाल के बी ग्रुप में नियुक्त कर्मचारियों की परिवीक्षा अवधि पूरी ना की जावे ऐसा सुनिश्चित कर दोषियों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई करें।


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