व्यापारी के गोदाम से सरकारी खरीद केन्द्र पर विक्रय के लिए लाया गया 60 क्विंटल चना 2 घंटे के प्रशानिक ड्रामे के बाद बताया गया किसान का | New India Times

त्रिवेंद्र जाट, देवरी/सागर (मप्र), NIT:

व्यापारी के गोदाम से सरकारी खरीद केन्द्र पर विक्रय के लिए लाया गया 60 क्विंटल चना 2 घंटे के प्रशानिक ड्रामे के बाद बताया गया किसान का | New India Times

सागर जिले की देवरी तहसील के महाराजपुर के व्यापारी की गोदाम से सरकारी खरीद केन्द्र पर विक्रय के लिए लाया गया 60 क्विंटल चना 2 घंटे के प्रशानिक ड्रामे के बाद किसान का बताया गया। मामले की जांच के दौरान अधिकारी पंचनामा कार्रवाई के बाद लगातार फोन पर व्यस्त रहे और बाद में मामले की नया पटकथा मीडिया के सामने पेश कर दी। सरकारी चना खरीदी में तेवड़ा संबंधी शर्त को लेकर मायूस किसान प्रदेश सरकार के आदेश से
सरकारी प्रोत्साहन मिलने आशान्वित हैं परंतु खरीद केन्द्र संचालकों एवं व्यापारियों की जुगलबंदी को मिल रहे प्रशासनिक समर्थन के बाद अब किसानों के हित की बात
बेमानी साबित हो रही है।

कोरोना संक्रमण एवं लाॅकडाउन में आर्थिक गतिविधियां बंद होने से आर्थिक आभाव का सामना कर रहे कृषकों को उनकी श्रम अर्जित उपज का सही मूल्य दिलाने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा आरंभ की गई समर्थन मूल्य खरीदी योजना भारी भ्रष्टाचार का शिकार हो रही है। खरीद केन्द्र संचालकों एवं व्यपारियों की सांठगांठ के चलते खरीद केन्द्रों पर किसान के खेत की जगह व्यापारियों की गोदामों से आये चने की तौल की जा रही है। ताजा तरीन मामला देवरी मंडी परिसर में संचालित मढ़पिपरिया खरीद केन्द्र का है, जिस पर गुरूवार दोपहर ट्रेक्टर ट्राली में भरकर लगभग 60 क्विंटल चना लाया गया था। इस संबंध में पत्रकारों की सूचना के बाद पहुंचे नायब तहसीलदार
एवं खाद्य निरीक्षक द्वारा ट्रैक्टर ड्राइवर से पूछताछ की गई तो उसने पहले उक्त चना स्वयं का बताया बाद में अपने रिश्तेदारों का बता दिया। अधिकारियों द्वारा उसके द्वारा प्रस्तुत रिकार्ड चेक करने के बाद मामला फर्जी पाकर पंचनामा कार्रवाई आरंभ की गई जिसके बाद अधिकारियों को फोन आने शुरू हो गये और लगातार 2 घंटों तक मामले की जांच एवं कार्रवाई का हाई वोल्टेज ड्रामा जारी रहा। बाद में अधिकारियों द्वारा उक्त 60 क्विंटल चने को एक कृषक का बताकर उसे उसके सुर्पद कर दिया गया।
व्यवस्था पर भरोसे और विश्वास पर ऐप्रोच भारी साबित हुई और मामले का पटाक्षेप हो गया। इस संबंध में पत्रकार अनुविभागीय अधिकारी महोदय के आवास पर पहुंचे तो उन्होने बीसी एवं कोरोना संबंधी बैठक का हवाला देकर मिलने से परहेज कर लिया।

व्यापारी की गोदाम से लाया गया था चना

व्यापारी के गोदाम से सरकारी खरीद केन्द्र पर विक्रय के लिए लाया गया 60 क्विंटल चना 2 घंटे के प्रशानिक ड्रामे के बाद बताया गया किसान का | New India Times

उक्त चना देवरी तहसील के महाराजपुर कस्बे के मुख्य मार्ग पर खकरिया जाने वाली सड़क पर स्थित एक गोदाम से लाया गया था जिसकी पूरी वीडियोग्राफी पत्रकारों
द्वारा की गई थी। उक्त गोदाम एक गल्ला व्यापारी की है जिसे सूत्रों द्वारा मंडी का पंजीकृत गल्ला व्यापारी बताया गया है और उक्त ट्रैक्टर भी उसी का बताया जा रहा है। गुरूवार दोपहर 2 बजे उक्त नीले रंग का ट्रैक्टर ट्राली में चना भरकर व्यापारी की गोदाम से देवरी रवाना हुआ था एवं 4 बजे लगभग मण्डी पहुंचा था। पत्रकारों द्वारा पूर्व में सूचना दिये जाने के बाद भी न तो अधिकारीयों द्वारा इस गोरखधंधे का पर्दाफाश करने में कोई रूचि दिखाई गई और न ही अपने कर्तव्यों का पालन किया गया। वरिष्ठ अधिकारियों को भी इससे से लगातार अवगत कराये जाने के बाद सायं 5 बजे पहुंचे अधिकारी 2 घंटे तक सिर्फ कार्रवाई का दिखावा करते रहे। पूरे मामले में राजनैतिक संरक्षण में चल रहे संगठित गिरोह की खुली लूट उजागर
होने के बाद भी जिम्मेदार अधिकारियों की कर्तव्यविमूढ़ता पूरे सिस्टम पर सवालिया निशान लगा रही है।

किसानों को मिली छूट बनी दलालों के लिए वरदान

इस वर्ष प्रदेश सरकार द्वारा रबि सीजन में समर्थन मूल्य चना खरीदी नियम में शून्य प्रतिशत तेवड़ा की मात्रा निर्धारित किये जाने के बाद से खरीद केन्द्रों पर चने की खरीदी पूरी तरह ठप्प थी। तेवड़े में हानिकारक रसायन ओपेम से गाठिया एवं लकवा संबंधी शिकायतों के बाद प्रदेश सरकार द्वारा उक्त शर्तें लागू की गई थीं जिससे प्रदेश भर के किसानों के चने की खरीदी बुरी तरह प्रभावित हुई थी। किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा नियम में संशोधन कर चने में तेवड़े की मात्रा 2 प्रतिशत तक तय कर किसानों को राहत दी गई थी। जिसके बाद से सरकारी केन्द्रों पर किसानों के
चने की जमकर खरीदी की जा रही है परंतु किसानों को मिल रही इस छूट का फायदा उठाकर खरीद केन्द्रों पर कतिपय व्यापारियों द्वारा केन्द्र संचालकों एवं विभागीय अधिकारियों से मिलीभगत कर जमकर फर्जीवाड़ा किया जा रहा है। चना खरीदी हेतु पोर्टल पर हुए कृषकों के पंजीयन से लेकर खातों में राशि जमा होने तक सरकारी धन की जमकर लूट खसोट की जा रही है। राजनेताओं एवं
अधिकारियों के वरदहस्त प्राप्त मध्यस्थों द्वारा छोटे खातेदार कृषकों के नाम सम्मिलित कर बड़े रकबे के फर्जी पंजीयन कराये गये हैं जिन्हें रिकार्डो में सिग्मी दर्शाकर स्वयं कृषक बनकर व्यापारियों के सैकड़ों क्विंटल गेहूं एवं चना का सरकारी समर्थन मूल्य केन्द्रों पर विक्रय कर राशि अपने खातों में जमा कराई जा रही है। ऐसे कई मामले
सामने आने के बाद भी विभाग के निगरानीकर्ता अधिकारी चुप्पी साधकर प्रक्रिया पूर्ण होने का इंतजार कर रहे हैं।

क्या कहते हैं अधिकारी

इस संबंध में मामले की जांच कर्ता नायब तहसीदार रघुनंदन चतुर्वेदी का कहना है कि व्यापारी के चने के खरीद केन्द्र पर लाये जाने की सूचना प्राप्त हुई थी जिसकी
जांच की गई थी। उक्त चना 3 किसानों का बताया गया है जिसके पंजीयन एवं मैसेज देखे हैं इसलिए चना उन्हें सुर्पद कर दिया गया है। व्यापारी की गोदाम से लाये जाने के संबंध में नायब तहसीलदार का कहना था कि किसान अपना चना कहीं भी रख सकता है।

इस संबंध में खाद्य निरीक्षक चारू जैन द्वारा मीडिया को किसी भी प्रकार के बयान या जानकारी देने से इंकार किया गया।


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By nit

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