मजदूर की मजबूरी का यह आलम रहा कि अपने मासूम बच्चों को तराजू में बिठा कर निकल पड़ा अपने घर की ओर | New India Times

रहीम शेरानी, बांसवाड़ा (राजस्थान), NIT:

मजदूर की मजबूरी का यह आलम रहा कि अपने मासूम बच्चों को तराजू में बिठा कर निकल पड़ा अपने घर की ओर | New India Times

राजस्थान बांसवाड़ा जिला के कुशलगढ़ में चल रहे कोरोना काल में एक मजदूर को तराजू के पलड़ों में अपनी मासूम बच्चियों को बिठा कर अपने घर की ओर निकल पड़ा। देश में कोवीड कोरोना वायरस संक्रमण का राक्षस क्या आया मानो गरीबों को ना जाने क्या क्या दिन देखने पड़ रहे हैं।
जी हां सोशल मीडीया पर हमारे पास एक ऐसी तस्वीर आई की हमारी कलम खुद ब खुद चलने पर मजबुर हो गई।

कोरोना के कहर के चलते लाॅक डाउन में हमारे देश के अनेकों गरीब जो अपना परिवार गांव छोड़ कर मजदुरी के लिए शहर गये थे लेकिन इस समय देश के मजदूर मजबूर होकर अपने घरों के लिए निकल पड़े। सरकारें गरीबों को लाने के लिए कटिबध्द हैं फीर भी कुछ लोग अपने-अपने हिसाब से अपने घरों की ओर रुख करने लगे। आज हमें यह तस्वीर सोशल मीडीया के माध्यम से मीली जिसमें एक गरीब मजदूर श्रवण कुमार की तरह तराजु के दो पलड़ों में दो छोटी-छोटी मासूम बालिकाओं को अपने कंधों पर अपने भाई के साथ पेदल चलकर अपने घर की ओर पग पग डगर मुश्कील में है सफर करने को विवश है। ऐसा क्यों, ये मजदूर की मजबूरी है क्योंकि अब इन्हें महानगरों में काम नहीं मिल रहा है और भूखे मरने तक की नौबत आ गई है इसलिए अपने घर की ओर रुख कर कठिन परिस्थितियों में भी दुखों का बोझ लिये अपने मासूम बच्चों को तराजू में रखकर चल पड़े।

By nit

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