अशफाक कायमखानी, जयपुर (राजस्थान), NIT:
कोविड-19 को लेकर बिना किसी होमवर्क किये मात्र चार घंटे पहले भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा देश भर में लॉकडाउन लागू करने की घोषणा के बाद देश के पूरी तरह ठहर जाने से सबसे अधिक कमजोर माने जाने वाले दिहाड़ी मजदूरों के सामने दिक्कतों का पहाड़ सा आ खड़ा होने से उनके सामने इधर कुआं तो उधर खाई वाली स्थिति पैदा हो गई थी।
अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रम्प के भारत भ्रमण पर 100 करोड़ रुपये खर्च करने वाली मोदी सरकार ने लाॅक डाउन की घोषणा करने से पहले प्रवासियों व मजदूरों को अपने अपने घर जाने का विकल्प नहीं देने के कारण उपजी विकट परिस्थितियों के चलते लाॅक डाउन के बावजूद दिल्ली-मुम्बई व सूरत सहित अनेक जगह उनकों घर जाने के लिये हजारों मजदूरों को सड़क पर आना पड़ा और लाखों मजदूर पैदल ही घर की तरफ देश के अलग अलग कोनों से रवाना होने को मजबूर हुए। मजदूरों के भूख से तड़पने व पैदल घर की तरफ जाते समय सड़क दुर्घटना में मारे जाने के समाचार भी सूर्खियां बनने लगे।
लाॅकडाउन-2 के आखिरी समय में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की केंद्र सरकार से अपील करने के बाद मजदूरों को रेल से उनके गांव भेजने की मंजूरी के बाद मजदूरों को उनके राज्यों में भेजना शूरु करने पर रेल विभाग ने जब उन मजदूरों से किराया वसूल करने के खिलाफ मजदूरों की आवाज गुंजने पर कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के हाथ का साथ मजदूरों को मिला। सोनिया गांधी ने कहां कि भारत भर मे लाॅक डाउन में मजदूरों के उनके घर जाने के लिये रेल किया कांग्रेस पार्टी वहन करेगी जबकि इससे पहले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बडी़ तादाद में मजदूरों को मुफ्त में अन्य राज्यों की सीमाओं तक पहुंचा चुके थे और अब रेल से मजदूरों को उनके राज्यों मे पहुंचाने में लगे हुये हैं।
हालांकि कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने मजदूरों को रेल द्वारा उनके राज्य पहुंचाने के लिये उनसे किराया वसूलने पर केन्द्र सरकार पर जोरदार हमला बोलते हुये कहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प की भारत यात्रा पर सौ करोड़ खर्च करने वाली सरकार को मजदूरों से किराया लेना ठीक नहीं है।
अपनी सास व पति को देश पर शहीद करने वाली सोनिया गांधी के दिल को जब मजदूरों के दर्द का अहसास हुआ तो वो खुलकर उनकी मदद करने को आगे आकर कहा कि उनका किराया कांग्रेस पार्टी वहन करेगी। दो दफा प्रधानमंत्री पद को अस्वीकार कर सत्ता सूख से किनारा करके जन नेता के तौर पर विख्यात सोनिया गांधी के मजदूरों के दर्द को समझकर उनकी मदद को आने से उनके प्रशंसकों की तादाद में भारी इजाफा हुआ है। वहीं उनको एक सच्चा जन नेता के तौर पर देखा जा रहा है।
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