गूंगी सड़कों को दिया जा रहा आवाज: क्या जामनेर में कोरेंटाइन 16 हैं? | New India Times

नरेंद्र इंगले, ब्यूरो चीफ, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

गूंगी सड़कों को दिया जा रहा आवाज: क्या जामनेर में कोरेंटाइन 16 हैं? | New India Times

Covid 19 से दुनिया भर में 10 लाख लोग संक्रमित हो चुके हैं। भारत में संक्रमितो की संख्या समाचार लिखे जाने तक 2301 और मरने वालों की 56 बतायी गई है। भारत में कोरोना के कुल 182 टेस्ट सेंटर हैं जिनमें 130 सरकारी हैं। भारत टेस्ट की क्षमता बढ़ाने की बात कर रहा है जो फिल्हाल आंकड़ों तक सीमित है। कोरोना के सबसे अधिक केसेस महाराष्ट्र में सामने आए हैं। 30 जनवरी को कोरोना का पहला मरीज भारत आता है, कांग्रेस नेता राहुल गांधी सरकार को आगाह करते है लेकिन कोरोना के खिलाफ जंग की तैयारिया जोर पकड़ने के बजाय प्रधानमंत्री 22 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा करते हैं। पुरे 50 दिन तक केंद्र सरकार साइलेंट मोड़ में रहती है। दिल्ली विधानसभा के चुनाव, अमरीकी राष्ट्रपति ट्रम्प की भारत यात्रा और दिल्ली के दंगे इन सब में काफी समय गुजर जाता है। निजामुद्दीन के मरकज में संपन्न तबलीगी जमात के धार्मिक समरोह को सरकार की विफलता को छिपाने के लिए हथियार के रूप मे इस्तेमाल किया जा रहा है। इस धार्मिक संमेलन का आयोजन महाराष्ट्र के वसई में होना था जिसे राज्य सरकार के गृह मंत्रालय ने covid 19 के कारण मना कर दिया। इसी संमेलन की दिल्ली मे अनुमती दी गई जो 15 से 17 मार्च के दौरान संपन्न हुआ। दिल्ली पुलिस किसके अधिकार क्षेत्र में है इस पर सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुना चुकी है। तबलीगी जमात को लेकर जो खबरें सोशल मीडिया और मीडिया में चलायी जा रही हैं उनमें covid 19 के संदिग्ध और अस्पतालों मे कोरेंटाइन किए गए तब्लीगियों की प्रशासन से की गई बदसलुकी वाली हरकतों का समर्थन कतई नहीं किया जाना चाहिए। समाज के हित में ऐसे तत्वों से सख्ती से निपटना चाहिए लेकिन जिस तरह से उन्नीस बीस मीडिया इस पुरे मामले को सांप्रदायिक रंग देने काम कर रहा है उसका संक्रमण कोरोना से कही अधिक खतरनाक है। फेक न्यूज को लेकर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया शरद बोबडे कह चुके हैं कि कोरोना को लेकर जनता में पनप रहा भय का माहौल काफी डरावना है। इन सब के बीच शहरी और ग्रामीण भारत में कोरोना से मुकाबले को लेकर जो स्थानीय उपाय अमल में लाए जा रहे हैं वह काफी मजेदार किस्म के हैं। जामनेर नगर परिषद ने सड़कों पर जनजागृति वाली लाइनें लिखकर रंगना पोतना आरंभ कर दिया है। कर्फ्यू के दौरान कुल 4 घंटों की ढील में दूध सब्जी, मेडिकल, किराना वगैरा खरीदने बाजार आने वाले लोगों को इन बेजान गूंगी सड़कों पर पोती लाइनों को पढ़कर उनमें जान डालनी होगी यानी खुद बात करनी होगी। प्रशासन का भोपू इन्हीं कुछ घंटों के बीच भीड़ की रोकथाम को लेकर बजाया जा रहा है। वित्तीय साल का समय है। ऑडीट के आंकडों का मामला सेट करना होता है, फिर गूंगी सड़कें बोलेंगी, किटनाशक यंत्र से सफाई होगी या फिर कुछ और भी हो सकता है और जो कुछ होगा वह मुख्य सड़क पर ही हमेशा की तरह इवेंट जैसा डेकोरेट किया जा रहा है। आम नागरिक यह उम्मीद कर सकते हैं की इसी बीच इवेंट के तौर पर ही सही नेताजी का अस्पताल भी शुरू हो जाना चाहिए। कोई ठोस उपाय नहीं उपायों के नाम पर आंकडों की बाजीगरी है जो पूरे देश में चलाई जा रही हैं। जलगांव शहर में कोरोना के कारण एक मौत की पुष्टि हुई है इस संबंध मे जामनेर मे कुल 16 लोगो को कोरेंटाइन मे रखे जाने की बात सूत्रो के हवाले से मिली है ! पुलिस प्रशासन कानून व्यवस्था को लेकर सचेत है वही राजस्व की ओर से जमाखोरी और नफाखोरो पर कार्रवाई की अनुकंपा को लेकर सवाल उठ रहे है ! लॉकडाउन के कारण कोरोना के संक्रमण को रोकने मे काफी मदद मिली है। यह बात अलग है कि सरकार काफी देर के बाद जागी। प्रधानमंत्री की अपील के बाद लोग अपने अपने घरों में बैठकर कोरोना से जंग में योगदान दे रहे हैं। 22 मार्च को लोगों ने तालियां-थालियां बजाई और अब 5 अप्रैल को दिवाली जैसा माहौल बनेगा, घर घर के सामने दीपक जलेंगे। लॉकडाउन खुलेगा तब भारत का विकास दर शायद 3 फीसदी तक आकर रुकेगा।


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