अपनी हालत पर आंसू बहा रहा है प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र दानोकुईया, लगभग 23 वर्ष पहले बने इस स्वास्थ्य केंद्र की जर्जर हो चुकी हैं इमारतें, ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन पर लगाया लापरवाही बरतने का आरोप | New India Times

साबिर खान/शकील अहमद, संतकबीर नगर/लखनऊ (यूपी), NIT:

अपनी हालत पर आंसू बहा रहा है प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र दानोकुईया, लगभग 23 वर्ष पहले बने इस स्वास्थ्य केंद्र की जर्जर हो चुकी हैं इमारतें, ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन पर लगाया लापरवाही बरतने का आरोप | New India Times

उत्तर प्रदेश के जिला संतकबीर नगर के दानोकुईयां में बना प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र वर्षों से खुद बीमार दिख रहा है जिसके इलाज की किसी को कोई सुध नहीं है। लगभग 23 वर्ष पहले बने इस अस्पताल की इमारतें जर्जर हो चुकी हैं जिसके मरम्मत पर न तो जनप्रतिनिधि ध्यान दे रहे हैं और ही प्रशासन। ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है।

अपनी हालत पर आंसू बहा रहा है प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र दानोकुईया, लगभग 23 वर्ष पहले बने इस स्वास्थ्य केंद्र की जर्जर हो चुकी हैं इमारतें, ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन पर लगाया लापरवाही बरतने का आरोप | New India Times

ज्ञात हो कि इस अस्पताल कि नीव सन 1992 में पड़ी थी जो सन् 1996/97 के बीच में बनकर हैंडोअर भी हो गया थाह हैंडओवर होने के 6/7 साल बाद यहां डाॅक्टर आना शुरू हुए। ग्रामीणों ने बताया कि जबसे अस्पताल बना है तब से रंगाई- पुताई तक नहीं हुआ है। इसमें चार भवन हैं, चारों भवनों में एक ही भवन सही है लेकिन उसके भी दरवाजे और खिड़कियां सब टूटी फूटी हैं, बहुत कोशिश करने के बाद जनवरी 2020 के महीने में थोड़ा – मोड़ा मरम्मत सिर्फ नाम के लिए हुई है और रंगाई भी केवल दिखावे के लिए हुई है। तमाम शिकायत के बाद सवास्थ विभाग के कर्मचारियों/अधिकारियों की आंख नहीं खुल रही है। उन्होंने बताया कि सब को पता है कि इस अस्पताल का मरम्मत का सालाना आमदनी अधिकतम रूप से आता है लेकिन सेमेरियावा तक पहुंचता है यहां तक नहीं पहुंचपाता है और वहीं से रिपोर्ट लगा कर भेजते हैं कि इस अस्पताल में कोई कमी नहीं है। इस अस्पताल के जितने कर्मचारियों है सब अपने समय से तैनात रहते हैं और अस्पताल कि व्यस्था को देख कर उनको खुद रोना पड़ जाता है कि इस अस्पताल में कोई व्यस्था नहीं है हम लोग इलाज कैसे करें। अस्पताल का भवन खंडर पड़ा है अस्पताल लगभग 23 साल हो गया आज तक कोई बडा अधिकारी नहीं आया और अगर आते भी हैं तो सेमेरियवा से वापस लौट जाते हैं। शकील अहमद, चौधरी रिजवान अहमद, अताउर्रहमान, सिराज अहमद, किशोर, जिन्नान, अतीक अहमद, अब्दुल मतीन, जैनुल्लाह, मुनिलाल आदि ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है और शीघ्र अस्पताल की हालत सुधारने की मांग की है।


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