धर्म व वर्ग के आधार पर विभाजनकारी क़ानून नहीं मानेंगे, एनआरसी,एनपीआर और सीएए के विरुद्ध मंसूर अली पार्क में 36 वें दिन भी विरोध प्रदर्शन रहा जारी | New India Times

अंकित तिवारी, ब्यूरो चीफ, प्रयागराज (यूपी), NIT:

धर्म व वर्ग के आधार पर विभाजनकारी क़ानून नहीं मानेंगे, एनआरसी,एनपीआर और सीएए के विरुद्ध मंसूर अली पार्क में 36 वें दिन भी विरोध प्रदर्शन रहा जारी | New India Times

एनआरसी, एनपीआर और सीएए के काले क़ानून के विरुद्ध मंसूर अली पार्क में चल रहे धरने के 36 वें दिन भी गीत, नाटक और भाषड़ चलता रहा। सायरा अहमद, सबीहा मोहानी, अब्दुल्ला तेहामी, ज़ीशान रहमानी, फराज़ उसमानी द्वारा बारी बारी से देश भक्ति और इन्कलाबी नारों से लोगों में जोश पैदा किया जाता रहा। वहीं कई मोहल्लों से जुलूस लेकर मंसूर अली पार्क पहुंचीं महिलाओं व युवाओं ने काले क़ानून के खिलाफ जम कर हल्ला बोला।जमात ए इस्लामी हिन्द उत्तर प्रदेश पूर्वी ज़ोन के सचिव मौलाना मो०ज़हीर आलम फलाही ने धरने में शामिल महिलाओं की हौसला अफज़ाई करते हुए कहा की आज आप लोगों की वजह से लोग बेदार हुए हैं इससे मिल्लते इस्लामिया को नया अज़्म और हौसला मिला है जिस वजह से आज भाजपा का असली चेहरा देश व दुनिया के सामने नुमायां हो गया है। मशहूर शायर मुनव्वर राना की बेटी सुमय्या राना ने कहा कि एनपीआर, एनआरसी और सीएए द्वारा हम पर दमनकारी क़ानून थोपा जा रहा है जिसे हम क़त्तई बरदाश्त नहीं करेंगे। कहा देश को डूबोने वाले से हम सावधान रहकर किसी भी क़ीमत पर देश के संविधान की रक्षा करेंगे। हम काले क़ानून को लागू नहीं होने देंगे चाहे हमें जितनी बड़ी क़ुरबानी देनी पड़े हम अपने हक़ और बाबा साहब के बनाए संविधान को मिटने नहीं देंगे। बहुजन क्रान्ति मोर्चा कौशाम्बी के ज़िला प्रभारी प्रमोद कुमार सरोज ने भी काले क़ानून पर प्रहार किया, कहा यह क़ानून दलित, शोषित, कमज़ोर और भूमिहीन लोगों के लिए अभिषाप है।

धर्म व वर्ग के आधार पर विभाजनकारी क़ानून नहीं मानेंगे, एनआरसी,एनपीआर और सीएए के विरुद्ध मंसूर अली पार्क में 36 वें दिन भी विरोध प्रदर्शन रहा जारी | New India Times

अन्य वक्ताओं में प्रसिद्ध सामाजिक, सांस्कृतिक कर्मी महेन्द्र,मोदीनामा पुस्तक लिख कर चर्चा में आए लेखक सुभाष गताढ़े ने भी अपने विचार रखने के साथ फैज़ अहमद फैज़ की नज़्म पढ़ कर महिलाओं में जोश भरा।समाजवादी पार्टी के ज़िला प्रवक्ता दान बहादुर सिंह मधुर ने धरने मे शामिल होकर काले क़ानून को वापिस लेने तक धरने को शान्तिपूर्वक जारी रखने के लिए महिलाओं को प्रेरित किया। कहा धर्म जाति, दल, पंथ से हट कर हमें देश के संविधान की रक्षा के लिए जो भी क़ुरबानी देनी पड़ेगी हम देंगे। हम इस देश की हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई की एकता की वर्षों पुरानी संस्कृति को गोडसे के वंषजों के हाथों गिरवीं नहीं होने देंगे। कानपुर की सहीफा खान और ज़ैनबुल ग़ज़ाली ने भी एनआरसी, एनपीआर और सीएए पर जोशीले अन्दाज़ में हमला बोला। राजवेन्द्र सिंह, सोनी गर्ग, प्रीति विश्वकर्मा, एकता सरन, सुनील गुप्ता, विवेक पासवान, सुचि सिंह, विरेन्द्र पाण्डेय, राबिया, चाँदनी, शीबा खातून, तरन्नुम नूर, इफ्तेखार हुसैन, सै०मो०अस्करी, इरशाद उल्ला, रमीज़ अहसन, अफसर महमूद, शोएब अन्सारी, तारिक़ खान, सै०मो०शहाब, मो०ज़ाहिद, शाहिद अली राजू आदि ने भी विचार रखे।

विदेशी पत्रकार भी पहुँचे मंसूर अली पार्क

मंसूर अली पार्क में लगातार 36 दिनों से एनआरसी, एनपीआर और सीएए को लेकर महिलाओं का धरना चल रहा है। दिल्ली के शाहीन बाग़ और लखनऊ के घन्टाघर के साथ प्रयागराज के मंसूर अली पार्क का प्रोटेस्ट जहाँ स्थानीय स्तर पर सुर्खियों में बना हुआ है वहीं प्रिन्ट मीडिया, इलेक्ट्रानिक मीडिया, सोशल साईट, ट्यूटर, वाट्सऐप, फेसबुक आदि संचार माध्यम से देश दुनिया में लोग देख रहे हैं। इसी से प्रभावित होकर दो अन्जान अंग्रेज़ भी मंसूर पार्क पहुँचे। एक द्विभाषीय के सहारे उन्होंने प्रोटेस्ट के बारे में जानकारी इक्ठ्ठा करने के साथ धरने के विभिन्न ऐन्गल से तसवीरें भी खिंची और लोगों से एनआरसी, एनपीआर और सीएए से देश के लोगों को होने वाले नुक़सान पर भी बात की।

रविवार को कई मोहल्लों से निकला तिरंगा जुलूस

अंधीपुर, चकिया, बख्शी मोढ़ा, दायरा शाह अजमल, करैली, अटाला, बैदनटोला, रसूलपुर से महिलाओं, युवकों व युवतियों ने तिरंगा लहराते हुए और हाथों में काले क़ानून के खिलाफ लिखे पोस्टर लेकर जुलूस निकाला। जुलूस में शामिल लोग विभिन्न मोहल्लों से होते हुए मंसूर अली पार्क में चल रहे धरने मे शामिल हुए और हम लेकर रहेंगे आज़ादी का नारा बुलन्द किया।

मुफ्त में हासिल हो रही है क़ानून की जानकारी

धरना स्थल पर क़ानून सम्बन्धी जानकारी के लिए मुफ्त पढ़ने के लिए खोली गई है लायब्रेरी जहाँ हर समय तीन चार युवतियाँ रजिस्टर में नाम दर्ज कर पढ़ने के लिए पुस्तक देती हैं जिसे पढ़ने के बाद वापिस सौंप दिया जाता है। मंसूर पार्क के एक कोने में लगे स्टाल पर सीएए, एनपीआर और एनआरसी से सम्बनधित पुस्तकों के साथ महान स्वतंत्रता सेनानियों व महान वैज्ञानिकों समेत अनेक प्रकार की पुस्तकें उपलब्ध हैं।


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