शुभम राय त्रिपाठी, चित्रकूट (मप्र), NIT:
महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय में चल रहे ग्रामोदय महोत्सव के चौथे दिन सतत ग्रामीण विकास के विविध आयाम और ग्रामोदय विश्वविद्यालय की भूमिका विषय को लेकर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी में तीन कुलपतियों सहित ग्रामीण विकास विशेषज्ञों ने व्याख्यान प्रस्तुत किए। चौथे दिन का कार्यक्रम सद्भावना सभागार में डॉ सुषमा गूजर के संयोजन में एकल नृत्य एवं समूह नृत्य के साथ संपन्न हुआ। नृत्य विधा की सांस्कृतिक प्रतियोगिता में विश्वविद्यालय के पांचों संकाय के छात्र छात्राओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। वाद्य यंत्रों और नृत्य विधा के मानकों के अनुरूप आयोजित प्रतियोगिता में लोगों ने तालियां बजाकर प्रतिभागियों का उत्साहवर्धन किया। साहित्य प्रतियोगिताओं के क्रम में डॉ वीरेंद्र कुमार व्यास के संयोजकत्व में मध्य प्रदेश की संस्कृति सभ्यता सहित विविध आयामों को लेकर प्रश्न मंच का आयोजन किया गया। प्रश्न मंच में प्रतिभागी छात्र-छात्राओं ने पूरे उत्साह के साथ हिस्सा लिया।
ललित कला प्रतियोगिताओं के क्रम में डॉ राकेश कुमार के संयोजन में मूर्ति कला प्रतियोगिता संपन्न हुई। खेलकूद प्रतियोगिताओं की श्रंखला में डॉ तुषार कांत शास्त्री, विजय सिंह एवं धनंजय सिंह के संयोजकत्व में पुरुष एवं महिला संवर्ग की एथलेटिक्स प्रतियोगिताएं संपन्न हुई। डॉ राकेश कुमार श्रीवास्तव के संयोजन में आयोजित संकाय स्तरीय स्वच्छता प्रतियोगिता का स्थलीय निरीक्षण जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ महेंद्र उपाध्याय ने किया। आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का संयोजन डॉ वीरेंद्र कुमार व्यास एवं डॉ अजय आर चौरे ने किया। इस संगोष्ठी में आयोजित व्याख्यान श्रंखला का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ जेआर दिव्यांग विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश चंद्र दुबे एवं दीनदयाल शोध संस्थान के संगठन सचिव डॉ अभय महाजन व प्रोफेसर के एम एल पाठक पूर्व कुलपति पंडित दीनदयाल उपाध्याय पशु विश्वविद्यालय मथुरा और प्रोफेसर नरेश चंद गौतम कुलपति महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय व अधिष्ठाता प्रोफेसर आई पी त्रिपाठी ने संयुक्त रूप से किया। कार्यक्रम का संचालन कर रहे डॉ ललित कुमार सिंह ने आयोजन के महत्व पर प्रकाश डाला। जनसंचार वैज्ञानिक डॉ वीरेंद्र कुमार व्यास ने संगोष्ठी की उपयोगिता और औचित्य पर अपनी बात रखी।
मुख्य अतिथि जगतगुरु दिव्यांग विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश चंद्र दुबे ने राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहां की आज आधुनिक भारत में ग्रामीण विकास के जितने भी स्रोत हैं उनकी परिकल्पना में महात्मा गांधी का दर्शन निहित है। नानाजी दूरदृष्टि थे । चित्रकूट परीक्षेत्र के ग्रामीण विकास के संदर्भ में नाना जी का अभूतपूर्व अकल्पनीय योगदान है। ग्राम उत्थान के उद्देश्य के लिए निर्मित यह ग्रामोदय विश्वविद्यालय जीवंत उदाहरण है।
विशिष्ट अतिथि दीनदयाल शोध संस्थान के संगठन सचिव डॉ अभय महाजन ने अपने संबोधन में कहा कि गांव विकास की संकल्पना के शाश्वत प्रेरणा स्रोत विश्वविद्यालय के संस्थापक कुलाधिपति रहे भारत रत्न राष्ट्र ऋषि नानाजी देशमुख ने स्वाबलंबन से ही गांव विकास संभव है कि दिशा बतायी। श्रद्धेय नानाजी ने गांव समाज के लिए गांव में कोई गरीब ना रहे ,अशिक्षित ना हो, अस्वस्थ ना हो, गांव विवाद मुक्त हो एवं जनता की सहभागिता और पुरुषार्थ से ही गांव का विकास संभव होगा कहा । ग्रामीण विकास में पंचायत की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। गांव विकास के अभिनव प्रयोग चित्रकूट में नाना जी की प्रेरणा से जीवनंत और प्रसांगिक है।
प्रोफेसर नरेश चंद गौतम ने सभागार को संबोधित करते हुए कहा कि हमें गांव का विकास करना ही होगा, गांव में ही रोजगार खोलना होगा, गांव में ही स्कूल खोलना होगा और गांव में ही प्रकृति प्रदत्त संसाधनों जल और वृक्षों को सुरक्षित और संरक्षित रखना होगा। तभी गांव का विकास होगा। राष्ट्र ऋषि नानाजी ने विश्वं ग्रामे प्रतिष्ठतम का बोध वाक्य इस विश्वविद्यालय के स्थापना के साथ जोड़कर समाज को समर्पित किया है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, नाना देशमुख और पंडित दीनदयाल का दर्शन अपनाकर हम गांव शहर अर्थात संपूर्ण देश ही नहीं विश्व के विकास की संकल्पना कर सकते हैं।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय पशु विश्वविद्यालय मथुरा के पूर्व कुलपति प्रोफेसर के एम एल पाठक ने ग्रामोदय विश्वविद्यालय के गतिविधियों की सराहना करते हुए कहा कि सतत ग्रामीण विकास के लिए यह विश्वविद्यालय सशक्त माध्यम के रूप में पहचाना जाता है।इसे विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर नरेश चंद्र गौतम की नेतृत्व प्रशासनिक क्षमता ने और भी महिमामंडित कर दिया है।
आभार प्रदर्शन डॉ अजय आर चौरे ने किया।
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