भारत बंद के दौरान हुई हिंसा के मामले में पुलिस पर लगा पक्षपात का आरोप, पूरे मामले की जांच कर दोषी पुलिस कर्मियों को निलंबित करने की मांग | New India Times

अब्दुल वाहिद काकर, ब्यूरो चीफ, धुले (महाराष्ट्र), NIT:

भारत बंद के दौरान हुई हिंसा के मामले में पुलिस पर लगा पक्षपात का आरोप, पूरे मामले की जांच कर दोषी पुलिस कर्मियों को निलंबित करने की मांग | New India Times

भारत बंद के दौरान हुई हिंसा के मामले में पक्षपाती पुलिस कर्मियों को निलंबित कर पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच कराए जाने की मांग जिलाधिकारी के नाम सौपे ज्ञापन में ह्यूमन राइट्स कंजर्वेशन ने की है। उन्होंने पुलिस की कार्यशैली पर नाराजगी का इजहार किया है और आरोप लगाया है कि पुलिस जानबूझकर एक विशेष समुदाय के युवकों को अपराधी बनाने का मिशन चला रही है। बेगुनाहों को पुलिस के द्वारा आरोपी बनाकर प्रताड़ित करने के आरोप लगाए गए हैं।

जिला अधिकारी को सौंपे गए ज्ञापन में ह्यूमन राइट्स ने शिकायती ज्ञापन में जिलाधिकारी को बताया है कि 29 जनवरी को बहुजन क्रांति मोर्चा के नेतृत्व में शांति पूर्वक बंद कराया जा रहा था कि इसी बीच पुलिस के सामने चालीस गाँव रोड थाना की नाक के नीचे परिसर में असामाजिक तत्वों के द्वारा उपद्रव किया गया और आगज़नी व पत्थराव पुलिस के सामने किया गया जिसकी वीडियो किलिप मौजूद होने के बावजूद पुलिस ने उन्हें हिंसा और दंगा भड़काने के आरोप में नामजद आरोपी नहीं किया बल्कि एक विशेष समुदाय के नाबालिग युवाओं पर अपराधिक मामले दर्ज किए गए और जो वास्तविक रूप में हाथों में नंगी तलवारें लेकर पुलिस के सामने हिंसा भड़का रहे थे उन्हें पुलिस ने आरोपी नहीं बनाया और मुस्लिम समुदाय के बेगुना 5000 लोगों को आरोपी बनाया है।

शांतिपूर्ण तरीके से संविधान बचाओ समिति के बैनर तले शहर में 25 दिनों से नागरिकता संशोधन कानून (एनआरसी) के विरोध में आंदोलन किया जा रहा था जिसे बंद कराने के लिए क्राइम ब्रांच के तत्कालीन इंस्पेक्टर हेमंत पाटिल द्वारा दबाव बनाया जा रहा था और उन्हीं के इशारे पर पुलिस ने जानबूझकर जमाव पर पूर्व सूचना दिए बिना लाठीचार्ज किया और नगर में अशांति फैलाई जिसमें कुछ राजनीतिक नेताओं की मूक सम्मति होने की बात भी सामने आ रही है।

हुमन राइट्स कंजर्वेशन ने ज़िला पुलिस प्रशासन तथा चालीस गांव रोड थाना प्रभारी निरीक्षक प्रकाश मुंडे पर पक्षपात करने का आरोप लगाया है। उन्होंने प्रशासन से गुहार लगाई है कि बंद के समय जिन्होंने पुलिस को शांति स्थापित करने में सहयोग किया उन्हीं को दंगा भड़काने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है जबकि जिन्होंने पुलिस के सामने नगर की शांति को बाधित किया जिसका सबूत पेश करने के पश्चात भी चालीस गाँव रोड़ पुलिस ने अन्य लोगों पर अपराधिक मामले दर्ज नहीं कराया बल्कि एक विशेष समुदाय के चार से पांच हजार लोगों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया है जो कि अन्याय पूर्ण है। मुस्लिम समाज के अल्पवयीन बच्चों पर पुलिस द्वारा छोटे-छोटे अपराध दाखिल किए जा रहे हैं देर रात उनके आवासों पर छापामारी की जा रही है इसे तुरंत रोकने की मांग की है।

पुलिस पर भेदभावपूर्ण एफआईआर दर्ज करने के लगे आरोप

पुलिस ने चालीस गांव रोड थाने में दर्ज एफआईआर में भेदभावपूर्ण तरीके से एक विशेष समुदाय के नागरिकों जानबूझकर एलसीबी के तत्कालीन पुलिस इंस्पेक्टर हेमंत पाटिल के इशारे पर निशाना बनाय है। दोषपूर्ण भेदभावपूर्ण एफआईआर दर्ज कराने वाले पुलिस इंस्पेक्टर सहित अन्य दोषी पुलिस कर्मियों को निलंबित कर सभी दोषियों पर दंगा भड़काने और पुलिस के सामने हिंसात्मक कार्यवाही करने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाए, इस तरह की मांग फखरुद्दीन अहमद लोहार राष्ट्रीय सचिव हुमन राइट्स कंजर्वेशन, संविधान बचाओ समिति के शेख मोहम्मद जैद, खरीद अंसारी, गुलाम हुसैन आदि ने जिलाधिकारी देवराजन गंगाथरन को ज्ञापन सौंप कर की है।


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