गणेश मौर्य, ब्यूरो चीफ, अंबेडकरनगर (यूपी), NIT:
साहब तुम डाल- डाल तो हम पात पात, जी हां! हम आरटीओ दफ्तर के दलाल हैं, हम हलाल नहीं होंगे लाख छापे पड़ें, सख्ती हो लेकिन हम दलाल नहीं सुधरने वाले!! 3 दिन पहले जिला मुख्यालय बसखारी रोड पर स्थित दलालों पर पुलिस ने छापेमारी की, सीओ सिटी धर्मेंद्र सचान नगर कोतवाल अमित सिंह भारी पुलिस बल के साथ पुलिस को देखते ही भगदड़ मची और दुकानों के शटर गिर गए लेकिन दूसरे दिन फिर सुबह होते ही दुकानें सज गईं। इस आरटीओ दफ्तर मेंअगर कोई अनजान व्यक्ति दलालों के चंगुल में फंसा तो हलाल तो जरूर होना है।
आरटीओ दफ्तर बिना दलालों के नहीं चल पा रहा है। साल भर पहले यहां डीएम के निर्देश पर पुलिस ने छापेमारी की थी। इसके बाद फिर हफ्ते बाद दलाली की दुकान सज गई। इसकी रिपोर्ट शासन को भेज दी गई। जब प्रशासन ने सख्ती की तो आरटीओ को भी दलालों की याद आई। डीएम को पत्र लिखकर आरटीओ ने दफ्तर के बाहर से दलालों की दुकानों को हटाने की बात कही गई जिस संबंध में भरपूर नगरपालिका गोपी लिखा गया। जब भी पुलिस की छापेमारी होती है तब दफ्तर के बाहर बनी पक्की दुकानों के भी शटर धड़ाधड़ गिर जाते हैं, दफ्तर के अंदर से बाहर तक दलाल छूमंतर हो जाते हैं। लेकिन ये दहशत महज कुछ घंटों तक ही रहती है। सुबह फिर से दलालों की दुकानें अच्छी खासी सज जाती हैं। हर दुकान पर काम करने वालों का भी जमघट लगा रहा। मुख्य द्वार के ठीक सामने कुछ दलाल चील की तरह पैनी नजर लगाकर रखते हैं। आरटीओ दफ्तर आने वाले लोगों को दलाल देखते रहते हैं। कुछ दलाल आरटीओ दफ्तर के अंदर भी अपना काम कराते नजर आते हैं। हालांकि इतनी दहशत जरूर रही कि वह काफी देर तक अंदर नहीं रहे। दलाल आरटीओ दफ्तर के बाहर स्थित पक्की दुकानों में कुछ अन्य नाम से खुली हैं, लेकिन सूत्रों का कहना है कि यहीं पर बैठकर आरटीओ दफ्तर का कामकाज दलाल संभालते हैं। क्या कहते हैं अधिकारी केएन सिंह और आर आई बिपिन रावत, दलालों को हटाने के लिए डीएम और नगरपालिका को पत्र लिखा गया था। मगर नगर पालिका द्वारा अब तक इन दुकानों को नहीं हटाया गया।
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